गौतमबुद्धनगर।एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी द्वारा ‘‘पब्लिक पॉलिसी ’’ पर अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन आई - कॉप 2024 का आयोजन किया गया। ‘‘सार्वजनिक नीति में बदलते प्रतिमान - तकनीकी व्यवधान, पर्यावरणीय विस्थापन और मानव प्रतिभा ’’ पर आयोजित इस सम्मेलन का शुभारंभ गेल लिमिटेड के चीफ विजिलेस ऑफिसर श्री संदीप सरकार, गौतमबुद्धनगर के डीसीपी ट्रैफिक अनिल कुमार यादव, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, सेंटर फॉर कल्चर मिडिया गर्वनेंस की मानद निदेशक प्रो तरजीत सभरवाल, सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गर्वनेंस की प्रमुख डा रूमकी बासु और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के कार्यकारी निदेशक प्रो योगेन्द्र सिंह द्वारा किया गया।सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए गेल लिमिटेड के चीफ विजिलेस ऑफिसर श्री संदीप सरकार ने कहा कि वर्तमान समय एक बहुत ही दिलचस्प समय है जिसमें संस्कृति, प्रशासन, तकनीक, अर्थव्यवस्था सभी का विकास हो रहा है। देश विश्व की तृतीय सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर, और विकास पर ध्यान केन्द्रीत होकर कैपिटल निवेश बढ़ रहा है। तमाम विकास के बावजूद आप जैसे युवा निती निर्माताओं के सम्मुख कुछ चुनौतियां जैसे आय में अंतर, पर्यावरण, स्वास्थय, शिक्षा, सुरक्षा के मुद्दे आदि है जिस पर ध्यान केन्द्रीत करना आवश्यक है। मानवीय प्रतिभा से आप इन चुनौतियों का निवारण कर सकते है हमें पब्लिक पॉलिसी विश्लेषण के दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए। कोई भी निराकरण हर समस्या के लिए लागू नही हो सकता।गौतमबुद्धनगर के डीसीपी (ट्रैफिक) श्री अनिल कुमार यादव ने छात्रों से कहा कि पब्लिक पॉलिसी के क्षेत्र में तकनीकी के उपयोग से समाज के हित हेतु नई नीतियों का निमार्ण आवश्यक है। नई नीतियों के निर्माण के दौरान समाज की आवश्यकता के साथ पर्यावरण के सरंक्षण का ध्यान अवश्यक रखे। श्री यादव ने कहा कि जनसंाख्यिकीय विभाजन को भी पब्लिक पॉलिसी में समायोजित करें तभी हम 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था और विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल कर पायेगें। इस प्रकार के सम्मेलन आप जैसे भविष्य के निती निर्माताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो नई प्रौद्योगिकियों की मदद से नई चुनौतियों का निवारण करने में सहायक होगी। हर क्षेत्र चाहे वो समाज की आवश्यकता से जुड़ा हो या सड़क नियमों के पालन से उस पर विचार करे।
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमें इस सम्मेलन में केवल पब्लिक पॉलिसी पर ध्यान केन्द्रीत नही करना है बल्कि इससे जुड़े अन्य मुद्दों पर विचार करना चाहिए। जिस तरह औद्योगिक परिवर्तन आ रहा है और देश विकास के नये मुकाम पर है उसके साथ नई चुनौतियां भी व्याप्त हो रही है। आज तकनीकी सभी क्षेत्रों का अभिन्न अंग बन गया है और उच्च शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी केवल शिक्षण प्रदान करने तक सीमित नही रह गई है बल्कि छात्रों को राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए तैयार करने की भी है जिसके लिए एमिटी प्रतिबद्ध है।सेंटर फॉर कल्चर मिडिया गर्वनेंस की मानद निदेशक प्रो तरजीत सभरवाल ने कहा कि नई उभरती प्रौद्योगिकियों की सहायता से व्यक्ति मिडिया के कई माध्यम से अपनी बात रखने के लिए सक्षम है और जीवन के हर पहलु में परिवर्तन आ रहा है। बदलते दौर में आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेस, समाज की प्रशासन का संचालन भी करेगा। आज तकनीक के माध्यम से उपलब्ध सूचनाओं में और बहुत सारी गलत सूचनाये भी आ रही है जो लोकतंत्र के लिए ठीक नही है यह एक बहुत बड़ी चुनौती बन कर उभर रहा है जिसके लिए नितियों का निर्माण आवश्यक है। सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गर्वनेंस की प्रमुख डा रूमकी बासु ने तकनीकी व्यवधान, पर्यावरणीय विस्थापन और मानव प्रतिभा की जटिलताओं और अंातरिकताओ के बारे में बताते हुए कहा कि हर नई तकनीक, मिश्रित लाभ हानियों के साथ आती है इसलिए उसके उपयोगिता को समझने की आवश्यकता है।कार्यक्रम के अंर्तगत आयोजित तकनीकी सत्र में ‘‘ क्या प्रौद्योगिकी इंसानों पर भारी पड़ेगी’ और ‘‘वैसे यह किसका ग्रह है’’ विषय पर परिचर्चा की गई जिसमें पीडब्लूसी इंडिया के पाटर्नर श्री संतोष मिश्रा, ईएक्सएल ंइडिया के लीगल हेड श्री सत्यजीत गुप्ता, जामिया विश्वविद्यालय के प्रो बुलबुल धर, एस पी जैन इंस्टीटयूट मैनजमेंट एंड रिसर्च कीे एसोसिएट प्रोफेसर चंद्रीका परमार आदि ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी की उप निदेशक डा बिदिशा बैनर्जी द्वारा किया गया।
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