गौतमबुद्धनगर।गलगोटियास विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ ‘लिबरल एजुकेशन ने इस (एफडीपी) फ़ैकल्टी डेवलपमेंट कार्याशाला का आयोजन हार्टफुलनेश-एजुकेशन ट्रस्ट के सहयोग से व्यक्तिगत और शैक्षणिक उत्कृष्ट्रता और स्तिथरता पर आधारित मैडिटेशन (हार्टफुलनेस) दृष्टि कोण पर आधारित एक संकाय-विकास कार्यक्रम का आयोजन किया। एक नई पहल में, गलगोटिया विश्वविद्यालय की लिबरल शिक्षा की स्कूल, हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट के साथ साझेदारी में, व्यक्तिगत और शैक्षिक उत्कृष्टता और परिस्थितिगतता पर अपना फैकल्टी विकास कार्यक्रम शुरू किया। यह कार्यक्रम अकादमिक पाठ्यक्रमों में परिस्थितिगतता के सिद्धांतों को भरोसे के साथ प्रवेश कराने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे शिक्षाविदों को एक अधिक परिस्थितिगत भविष्य के लिए सशक्त बनाया जा सके। एक सतत भविष्य के लिए शिक्षाविदों को सशक्त बनाना: यह कार्यक्रम शिक्षाविदों को ज्ञान और नवाचारी दृष्टिकोण प्रदान करने का लक्ष्य रखता है जो कि अकादमिक पाठ्यक्रमों में परिस्थितिगतता के सिद्धांतों को बिना किसी अवरोध के समाहित कर सके। गलगोटिया विश्वविद्यालय की लिबरल शिक्षा के स्कूल और शांति शिक्षा और अनुसंधान केंद्र के संयुक्त अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ। अनुराधा पारासर, सहयोगी श्रीमान रुपेश शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, यूनाइटेड बायोटेक प्रा॰ लिमिटेड; एन॰सी॰आर॰ एच॰सी॰ समन्वयक, हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट ने इस परिस्थितिगत और नवाचारी फैकल्टी विकास कार्यक्रम की संकल्पना की है।
सम्पूर्ण एफडीपी कार्यक्रम की खास बात ये रही की वक्ताओं ने अपनी बात को पूर्ण रूप से वैज्ञानिक तरीक़ों के आधार पर रखा। सम्पूर्ण एफडीपी कार्यक्रम का सार कृत्रिम बुद्धिमत्ता नहीं रहा। हार्दिक बुद्धिमता रहा। कार्यक्रम का संदेश बहुत ही स्पष्ट है कि हमें खुद को भी बदलने की ज़रूरत है और अपने आस -पास के समाज को भी बदने की ज़रूरत है। आये हुए अतिथियों में से मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के पहलुओं पर बोलते हुए रूपेश शर्मा ने कहा कि जागरूकता हमारी सभी गतिविधियों की कुंजी है। अनेक विषयों पर बोलते हुए रूपेस कृष्णन ने आत्म-परिवर्तन की शक्ति की बात कही। जस कमल जीत भुले ने स्पष्ट रूप शिक्षा और ध्यान के बीच मज़बूत कनेक्टिविटी पर ध्यान केन्द्रित किया। अनन्या राव ने संक्षेप में कहा कि स्थितिरता संकट में है। चन्दर शेखर पाटिल ने सत्त शिक्षण ढाँचे के बारे में बात की। उनके लिये “ध्यान ही” महत्वपूर्ण पूँजी है। जिसकी अत्यधिक आवश्यकता है।
सतत् भविष्य के लिये शिक्षकों को सशक्त बनाना: कभी-बदलते वैश्विक परिदृश्य के जवाब में, संकाय विकास कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को ज्ञान, क्षमताओं और अभिनव दृष्टिकोणों के साथ सशक्त बनाना है जो अकादमिक पाठ्यक्रम में स्थिरता सिद्धांतों को मूल रूप से एकीकृत करने के लिए आवश्यक हैं। कार्यक्रम का केंद्रीय ध्यान स्थिरता की गहरी समझ को बढ़ावा देने पर है, जो वैश्विक चुनौतियों को नेविगेट करने वाले संकाय और छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है और अधिक टिकाऊ भविष्य में योगदान देता है।विश्वविद्यालय के चॉसलर श्री सुनील गलगोटियास, ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी को अपनी शुभकामनाएं दी और और कहा कि मैडिटेशन और योगा हमारे जीवन में बहत ही महत्वपूर्ण और पॉज़िटिव बदलाव लाते हैं। एक सकारात्मक सोच हमारे अन्दर आती है। विश्वविद्यालय के सीईओ डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि हम शिक्षा के साथ साथ अपने विद्यार्थियों और शिक्षकों के चहुँमुखी विकास के लिये सदैव त्तपर हैं। वो सदैव आपना मार्गदर्शन और सकारात्मक वातावरण में अपना योगदान देते हैं।
विश्वविद्यालय की माननीय निदेशक संचालन: सुश्री आराधना गलगोटिया ने कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करके के लिये हमें अपनी सोच को सदैव पॉज़िटिव रखना है। तभी हम अपने बडे से बड़े उद्देश्यों को प्राप्त कर सकेंगे।
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