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कैंसर की सर्जरी हुई आसान,फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा ने शुरू की प्रोस्टेट कैंसर की रोबोटिक सर्जरी ।





 गाजियाबाद निवासी 67 वर्षीय स्टेज-1 प्रोस्टेट कैंसर मरीज का हुआ सफल इलाज 

मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर 
ग्रेटर नोएडा,। फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा ने प्रोस्ट्रेट की रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।  इस नई तकनीक के साथ ही अब नोएडा और आसपास के क्षेत्र के प्रोस्टेट की जटिल सर्जरी की आवश्यकता वाले मरीजों के लिए रोबोटिक सर्जरी की अत्याधुनिक सुविधा फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा में उपलब्ध हो गई हैं। अस्पताल में ऑन्कोलॉजी, रीनल साइंसेज, जनरल सर्जरी, गायनेकोलॉजी, थोरैसिक सर्जरी, ईएनटी, बेरिएट्रिक सर्जरी आदि के लिए रोबोटिक सर्जरी का प्रयोग स्फलतापूर्वक किया जा रहा है। यह अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक सर्जिकल प्रक्रियाओं में कम चीर फाड़ के साथ सटीकता से सर्जरी की सुविधा देती है। इससे मरीज को ठीक होने में कम समय लगता है और वह शीघ्र ही अपनी सामान्य जीवनचर्या को अपना लेते हैं।रोबोटिक सर्जरी इस तकनीक से फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा में एक 67 वर्षीय प्रोस्टेट कैंसर रोगी का सफल इलाज किया गया है। यह सफल सर्जरी डॉ. पीयूष वार्ष्णेय, एडिशनल डायरेक्टर, यूरोलॉजी द्वारा की गई।

 *गाजियाबाद के मरीज को मिला नया जीवन* 

श्री नरसिंह, इंदिरापुरम, गाजियाबाद के रहने वाले हैं। वे बढ़े हुए एस.पीएसए (21.0 एनजी/एमएल) के साथ डॉ. वार्ष्णेय के पास आए। डॉ. वार्ष्णेय ने उन्हें परामर्श दिया और टीआरयूएस निर्देशित प्रोस्टेट बायोप्सी कराई, जिससे पता चला कि उन्हें स्टेज-1 प्रोस्टेट कैंसर था।
प्रोस्टेट कैंसर की जांच के बाद, डॉ. वार्ष्णेय ने मरीज और उनके परिवार को रोबोटिक-सहायता प्राप्त रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी के बारे में बताया। सर्जरी में साढ़े तीन घंटे लगे। इस सर्जरी में रक्तस्राव न्यूनतम हुआ और मरीज को चार दिन बाद छुट्टी दे दी गई। इसके एक हफ्ते बाद कैथेटर भी हटा दिया गया और वर्तमान में मरीज न्यूनतम मूत्र रिसाव के साथ रिकवर हो रहे हैं।दुनिया में चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है। डॉ. वार्ष्णेय ने बताया, "प्रोस्टेट कैंसर दुनिया में चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है। प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में रोबोटिक सर्जरी एक आधुनिक सर्जिकल तकनीक है, जिसे लेप्रोस्कोपिक प्रोस्टेटक्टोमी के नाम से भी जाना जाता है। रोबोटिक सर्जरी में बड़े चीरे की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रक्रिया में सर्जन रोगी के पेट में कुछ छोटे चीरे लगाते हैं और फिर एक रोबोट का उपयोग करके कैंसर प्रभावित उतकों को हटा देते हैं। रोबोटिक सर्जरी पारंपरिक सर्जरी की तुलना में अधिक फायदेमंद है। इसमें रक्त की हानि कम होती है। इससे मरीज को संक्रमण का खतरा भी लगभग नगण्य होता है और सर्जरी के बाद जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
सर्जरी के बाद श्री नरसिंह ने कहा, "मैं डॉ. वार्ष्णेय और उनकी टीम द्वारा किए गए इलाज से बहुत खुश हूं। उन्होंने मेरी सर्जरी को बहुत ही कुशलता से अंजाम दिया और मैं अब बिल्कुल ठीक हूं।"बता दें कि इससे पहले फोर्टिस नोएडा हॉस्पिटल में अमेरिका की रहने वाली 32 वर्षीय मरीज की रोबोट की सहायता से सफल  मायोमेक्टॉमी सर्जरी की गई थी।

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