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जीएल बजाज सेंटर फॉर रिसर्च एंड इनक्यूबेशन ने दो दिवसीय स्टार्टअप सबमिट -2024 कार्यक्रम का आयोंजन किया।


 मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर 

ग्रेटर नोएडा। स्थित जीएल बजाज सेंटर फॉर रिसर्च एंड इनक्यूबेशन ने काशी हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) वाराणसी के अटल इनक्यूबेशन सेंटर में संयुक्त रूप से दो दिवसीय स्टार्टअप सबमिट -2024 कार्यक्रम का आयोंजन किया। वाराणसी स्टार्टअप सबमिट -2024 में देश भर से आए हुए लगभग 80 स्टार्टअप ने इन्वेस्टमेंट के लिए इस इन्वेस्टर सब्मिट में भाग लिया। जीएल बजाज इनक्यूबेशन सेंटर की ओर से 5 स्टार्टअप ने सेंटर के जनरल मैनेजर डॉक्टर पुर्णेन्दु शेखर पांडेय के साथ इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। जीएल बजाज इनक्यूबेशन सेंटर से स्टार्टअप्स हर्ब्स एंड एरोमेटिक प्राइवेट लिमिटेड के विश्व सक्सेना, एग्गहेड फाउंडेशन एंड एसजी के एडवाइजर और ड्रीम प्रोवाइडर प्राइवेट लिमिटेड के देवेंद्र कुमार ने स्टार्टअप का प्रदर्शन किया। जीएल बजाज के वाईस चेयरमैन पंकज अग्रवाल ने कहा "हमारी इनक्यूबेशन प्रणाली का सार केवल अभूतपूर्व विचारों या स्टार्टअप को बढ़ावा देना नहीं है बल्कि एक ऐसी संस्कृति को पैदा करना है जहां रचनात्मकता, नवाचार और सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके। इस संस्कृति को नई परियोजनाओं के विकास का समर्थन और पोषण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो एक सहायक वातावरण में जोखिम लेने और प्रयोग को प्रोत्साहित करती है। यह एक ऐसी जगह है जहां विफलता को एक झटके के रूप में नहीं बल्कि एक कदम आगे बढ़ने के रूप में देखा जाता है जो मूल्यवान अंतर्दृष्टि और सीखने के अवसर प्रदान करता है।जीएल बजाज शिक्षण संस्थान के सीईओ कार्तिकेय अग्रवाल ने बताया कि जीएल बजाज सेंटर फॉर रिसर्च एंड इनक्यूबेशन ग्रेटर नोएडा की स्थापना जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट द्वारा की गई है जो एक प्रमुख नैक ए+ संस्थान है। जीएलबीसीआरआई के पास वर्तमान में 47 स्टार्टअप हैं, जो उत्तर प्रदेश के निजी कॉलेजों में सबसे अधिक इनक्यूबेट है।जीएलबीसीआरआई को डीएसटी, एमएसएमई और स्टार्टिंन यूपी द्वारा मान्यता प्राप्त है और जीएल बजाज इंस्टीट्यूट हमेशा उद्यमी संस्कृति के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने में सहायता करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। सेंटर के एडवाइजर डॉक्टर एसपी मिश्रा और इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर मानस कुमार मिश्रा ने इस तरह के सयुंक्त कार्यक्रम की सराहना की। डॉक्टर मानस कुमार मिश्रा ने बताया कि ये "सहयोगात्मक कार्यक्रम इस संस्कृति की आधारशिला हैं। ये उत्प्रेरक हैं जो विविध दिमाग, कौशल और दृष्टिकोण को एक साथ लाते हैं। ये सभाएँ, कार्यशालाएँ, हैकथॉन, विचार-मंथन सत्र या नेटवर्किंग कार्यक्रम केवल नए विचार उत्पन्न करने के बारे में नहीं है बल्कि संबंध बनाने, समुदाय की भावना को बढ़ावा देने और एक सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के बारे में हैं जहां हर कोई योगदान करने के लिए मूल्यवान और सशक्त महसूस करता है।

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