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लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र सवतन्त्रता सेनानी नेता जी सुभाष चंद बोस की जयंती का हुआ आयोजन

ताहिर अली संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गाजियाबाद।
गाजियाबाद। लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरूप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में विलक्षण प्रतिभा के धनी, स्वतन्त्रता सेनानी नेता जी सुभाष चंद बोस की जयंती का आयोजन किया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता ड़ा0 देवकर्ण ने किया, मुख्य वक्ता संस्था के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव भी कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल रहे, संचालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र ने, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया, समारोह में शामिल सभी साथियों ने नेता जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे स्मरण करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया, कार्यक्रम को अनिल मिश्र, चन्द्रबली मौर्य ने भी संबोधित किया, गीतकार हुकुम सिंह ने “देते है भगवान को धोखा, इन्सा को क्या छोड़ेंगे” गीत गाकर सभी को आत्म-विभोर कर दिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि नेता जी सुभाष चंद बोस ने भारत को आजादी दिलवाने में अपना पूरा जीवन अर्पण कर दिया, उन्होने आजाद हिन्द फौज बना नवजवानों को तैयार किया, तथा उनमे देश को आजाद कराने का जज्बा पैदा किया, हजारों नवजवान आजादी के संघर्ष में कूद पड़े, उनके आह्वान पर खून से हस्ताक्षर कर उनकी सेना में भर्ती हो गये, महिलाएं, वीरांगना 17 ने भी झाँसी की रानी रेजीमेंट का नेतृत्व किया, नेता जी के जादुई और अद्भुत नेतृत्व ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में नई जान ड़ाल दिया, उनके अंदर भारत को आजाद कराने और देशवासियों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने का सपना था, क्योकि उन्होने आई0सी0एस0 की नौकरी से इसलिए त्याग-पत्र दे दिया था कि मै ब्रिटिश की नौकरी कर अपने देशवासियों के ऊपर जुल्म-सितम  ढाएँ, यह मेरे वश का नहीं| वह करुणा, दया की प्रतिमूर्ति रहे, आज 21 वीं सदी में आजादी के 76 वर्ष बाद भी यहाँ हम सुभाष बाबू के सपनों का भारत नहीं बना पाये, जाति, धर्म, नफरत, असहिष्णुता, धार्मिक पाखंड, झूठ और लूट ने असमानता का वातावरण पैदाकर दिया है, वर्चस्ववादी, सामंतवादी सोच वाले कमजोर वर्गों का शोषण और अत्याचार कर रहे है, बहन, बेटियों की इज्जत सुरक्षित नहीं है, मणिपुर की हालत 3 मई से बेकाबू हो बच्चों और महिलाओं को सरेआम निर्वस्त्र घुमाना सभ्य समाज के लिए कलंक और देश के लिए शुभ संकेत नहीं है, शिक्षा, चिकित्सा की हालत चिंताजनक है, ब्रिटिश हुकूमत से देश आजाद हो गया, लेकिन सामाजिक स्वतन्त्रता और आर्थिक आजादी कोसों दूर है, घोर पूंजीवादी व्यवस्था का शासन तंत्र पर कब्जा देश के लिए शुभ संकेत नहीं है, नेताजी सुभाष चंद बोस ने अपने प्राणों की आहुति क्या इसीलिए दिया था, हम आज इस अवसर पर इतना कहना चाहते है कि यदि नेताजी के सपनों का भारत बनाना चाहते है तो बेकारी, बेरोजगारी, घोर मंहगाई पर नियंत्रण तथा महिलाओं के साथ होने वाले अनाचार को रोकने की व्यवस्था करनी चाहिए, तभी नेता जी को सच्ची श्रद्धांजलि देने के अधिकारी होंगे। कार्यक्रम में राम दुलार यादव, देवकर्ण चौहान, चंद्रबली मौर्य, हुकुम सिंह, विजय भाटी एडवोकेट, एस0 एन0 जायसवाल, मुनीव यादव, रामेश्वर यादव, एम0 आर0 खान, मंगल देव, फूलचंद वर्मा, देवनाथ भारती, अमृतलाल चौरसिया, सुजय तिवारी, अमर बहादुर, भक्ति यादव, ब्रह्म प्रकाश, रोहित यादव, अनिल कुमार मिश्र, सम्राट सिंह यादव, डेनियल, हरेन्द्र यादव, हाजी मोहम्मद सलाम, हरिकृष्ण, नवीन कुमार, प्रेमचंद पटेल, शिवम पांडे, अखिलेश कुमार शुक्ल उपस्थित रहे।

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