लॉयड के शिक्षा संकाय में आधुनिक भारतीय शिक्षा में स्वामी विवेकानंद के विचारों की प्रासंगिकता पर संगोष्ठिका हुआ आयोजन ।


मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर ‌ 
ग्रेटर नोएडा लॉयड इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के शिक्षा संकाय में 12 जनवरी 2023 को स्वामी विवेकानंद के जन्मोत्सव को युवाओं को प्रेरित करने और मनुष्य निर्माण की शिक्षा के संदर्भ में आधुनिक भारतीय शिक्षा पद्धति में स्वामी विवेकानंद के विचारों की प्रासंगिकता पर बी एड और एम एड  वर्ष 2023-25 के छात्र-छात्राओं ने अपने विचार साझा किए।बालक नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद के बनने तक का सफर भारतीय समाज में ही नहीं बल्कि विश्व स्तरीय समाज में भी किस प्रकार धैर्य संयम चरित्र के द्वारा मानवता का कल्याण किया जा सकता है उनका जीवन इसी का पर्याय है।कुमारी वर्षा भाटी, अनम शफी,  रोजिश, महिमा चौधरी, आयुषी वशिष्ठ,सपना,नेहा,पूजा भाटी निकिता अंशु पाल अनेक छात्र-छात्राओं ने अपने विचार साझा किए।स्वामी विवेकानंद का जीवन भारतीय समाज में युवाओं के लिए प्रेरणादायक है वह ऊर्जा उत्साह ज्ञान धैर्य संयम से परिपूर्ण एक महामना बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी महान विभूति थे। उन्होंने कहा कि जिस तरुण के अंदर वायु के समान वेग होता है वही युवा है और युवा के अंदर वह क्षमता होती है जो समाज राष्ट्र में बदलाव ला सकता है इसलिए उन्होंने सैद्धांतिकता के स्थान पर व्यवहारिकता की शिक्षा की वकालत की। स्वामी जी हमेशा देश के युवाओं को संबोधित करते हुए कहते थे की शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिसमें चरित्र बल बढे, मानसिक बल बढ़े ,आध्यात्मिक बल बढ़े जिससे आपकी स्नायु फौलाद की तरह मजबूत हो क्योंकि शारीरिक क्षमता और आध्यात्मिक शक्ति का संगठन होता है युवा। उन्होंने कहा था कि *"है युवाओं! तुम्हें जीवन की प्रत्येक क्षेत्र में व्यावहारिक बनना पड़ेगा सिद्धांतों ने पूरे देश को खोखला कर दिया है।"* जब तक युवाओं में लक्ष्य प्राप्ति का जूनून न हो तबतक  लक्ष्य क्या कोई भी सफलता प्राप्ति नही हो सकती। इसके लिए अध्यात्म आधारित चरित्र बल होना चहिए। सच्ची सेवा मानव सेवा है, इस के लिए प्रेरणादायक कहानी उद्धरण बच्चों को शुरू से सिखाया जाए।
स्वामी जी के शैक्षिक विचार आज भी आधुनिक शिक्षा के लिए इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि शिक्षा के उद्देश्य में जब तक बालक का आध्यात्मिक शारीरिक मानसिक विकास नहीं होगा नैतिक और चारित्रिक विकास नहीं होगा तब तक उसकी वाणी में ओजस्विता नहीं आएगी आंखों में दीप्ति नहीं आएगी चेहरे पर तेज नहीं आएगा और जब तक शरीर ऊर्जावान नहीं होगा तब तक आप किसी भी कार्य की सकारात्मक परिणति नहीं कर सकते हैं इसलिए युवाओं को ऊर्जावान बनाने और उनकी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में देने के भारत की सनातनी परंपरा में आधारित पौराणिकी और वैदिकी  शिक्षा के मूल्य को अपनाने की जरूरत है। शिक्षा संकाय के एचओडी डॉ विजय परमार ने स्वामी जी के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेने और उनके विचारों को जीवन में व्यावहारिक रूप में अपने की सीख देते हुए स्वामी विवेकानंद जी द्वारा हनुमान जी को आदर्श मानने वाले प्रसंग का जिक्र करते हुए अपने संबोधन में कहा कि हनुमान जी संपूर्ण रूप से इंद्रियजीत थे उनके जीवन भक्ति के उसे महान आदर्श पर खड़ा था और उनका अटूट ब्रह्मचर्य यही उनको चिरंजीवी और सेवा आदर्श का प्रतीक बनता है।स्वामी जी ने हमेशा कहा वीर बनो, निर्भय बनो, जीवन में किसी भी प्रकार की दुर्बलता पाप होती है। युवाओं को अपनी शक्ति के द्वारा स्वयं को ही नहीं परिवार समाज राष्ट्र को सभी प्रकार के भय से मुक्त करना है और मानवता की सेवा करते हुए मनुष्यता का निर्माण करना है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ