गौतमबुद्धनगर।एमिटी विश्वविद्यालय में टेडएक्स एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा के तृतीय संस्करण ‘‘फेसेज़ ऑफ द मून’’ का आयोजन आई टू मूट कोर्ट सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम में डीआरडीओ के पूर्व संयुक्त निदेशक व वैज्ञानिक गुप कैप्टन वी एन झा, एस्ट्रोस्टेयस (स्थायित्व पर्यटन) की संस्थापिका सुश्री सोनल एसगोत्रा, यूएनईएससीओ की द टॉल एलिफेंट सोशियो इमोशन स्किल कंसलटेंट की संस्थापिका सुश्री कृपालिनी स्वामी, सरोद वादक श्री आयुष मोहन, आधुनिक कठपुतली कलाकार श्री दादी पुदुमजी, कत्थक नृत्यांगना सुश्री शिंजिनी कुलकर्णी, मधुबनी कलाकार सुश्री विदुषनी प्रसाद, संस्कृत गीतकार व रैपर श्री शगुन शर्मा आदि ने व्याख्यान एवं प्रस्तुती दी। इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला और स्टूडेंट सपोर्ट एंड एकेडमिक अफेयर की डीन डा अल्पना कक्कर ने सभी का स्वागत किया।डीआडीओ के पूर्व संयुक्त निदेशक व वैज्ञानिक गुप कैप्टन वी एन झा ने संबोधित करते हुए कहा कि रॉकेट निकास की ग्रीनहाउस गैसें, हजारो टन ईंधन लोड करना, भारी रॉकेट के भागों को जलना, उपरी वायुमंडल में पुनः प्रवेश पर उपग्रहों के कबाड चंद्रमा मिशन के दौरान सामने आने वाली कुछ प्रमुख चुनौतियां है इसलिए भविष्य के अनुसंधान एवं विकास और अंर्तराष्ट्रीय कानून यह मानते है कि प्रौद्योगिकी, नो ग्रीन हाउस प्रोपल्शन सिस्टम और अंतरिक्ष मलबे जैसी समस्याओं पर काबू पाने में सक्षम है। इसके अलावा शून्य अपशिष्ट पुनर्जनन प्रौद्योगिकियंा, वैकल्पिक लैडिंग तकनीक और सटीक लैडिंग तकनीक भी फायदेमंद है।एस्ट्रोस्टेयस (स्थायित्व पर्यटन) की संस्थापिका सुश्री सोनल एसगोत्रा ने कहा कि मै हमेशा आकाश और ब्रहमांड से रोमाचिंत थी, कोविड के बाद लोग कुछ नया और ताजा अनुभव करना चाहते थे और इसलिए एस्ट्रोस्टेज का जन्म हुआ जो एस्ट्रो पर्यटन प्रकृति आधारित पुनर्योजी यात्रा की अवधारणा पर आधारित है। यात्रा की शुरूआत लद्दाख के 15 दूरदराज के गांवों के 35 लोगों के साथ हुई जिन्हे खगोल विज्ञान की मूल बातें और दूरबीनों के संचालन की जानकारी दी गई। एस्ट्रोस्टेज एक समुदाय केंद्रीत उद्यम है जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है लोगों को सशक्त बना कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करता है।यूएनईएससीओ की द टॉल एलिफेंट सोशियो इमोशन स्किल कंसलटेंट की संस्थापिका सुश्री कृपालिनी स्वामी ने कहा कि कभी कभी समाज विभिन्न कारणों से व्यक्ति को आंकता है और अपमानित करता है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति के मानस और आत्मसम्मान पर असर पड़ता है। इसलिए जैसे जैसे कोई बड़ा होता है उसके बचपन के अनुभवों के निशान उसके व्यक्तित्व को आकार देते है और उसका आत्मविश्वास और भी कमजोर होने लगता है। आत्म प्रतिबिंब अनुष्ठान निर्माण करना, जर्नलिंग करना और स्वंय की प्रश्ंासा करना उच्च आत्म सम्मान की भावना पैदा करता है और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।सरोद वादक श्री आयुष मोहन, ने वैश्विक संगीत परिपेक्ष्य पर भारतीय क्लासिकल संगीत के प्रभाव की व्याख्या करते हुए बताया कि किस प्रकार हमारी समृद्ध संास्कृतिक विरासत पिछले पांच दशकों से पश्चिम में लोगों को प्रभावित कर रही है। उन्होेनें अपने सरोद वादन के दौरान हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और रागों की बारीकियों के बारे में जानकारी प्रदान की।एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि टेडएक्स एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा के तीसरे संस्करण, युवा छात्रों के लिए बेहद प्रेरणादायक होगा क्योकी हमारे पास वक्ताओं की एक आकशगंगा है जो अपने वास्तविक जीवन के अनुभवों और कहानियों को हमारे साथ साझा करेंगे जो छात्रों को सभी चुनौतियों को पार करने और बनने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करेगें।कत्थक नृत्यांगना सुश्री शिंजिनी कुलकर्णी (स्वर्गवासी श्री पंडित बिरजु महाराज की पोती) ने कत्थक के संर्दभ में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रस्तुती दी। आधुनिक कठपुतली कलाकार श्री दादी पुदुमजी, मधुबनी कलाकार सुश्री विदुषनी प्रसाद, संस्कृत गीतकार व रैपर श्री शगुन शर्मा, वादक श्री विशेष कालीमेरो, एडटेक एंटरप्रिन्यौर सुश्री स्वाती गानेती, स्पीड क्यूबर एवं एस्ट्रोग्राफर श्री शिवम बंसल और गायिका एंव गीत लेखिका सुश्री हरजोत कौर ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
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