फोर्टिस नोएडा में अमेरिका की 32 वर्षीय महिला का रोबोटिक मायोमेक्टॉमी के जरिए जटिल फाइब्रॉएड का हुआ सफल इलाज ।





मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर ‌ 
नोएडा: 10 जनवरी 2024, अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता और अत्याधुनिक मेडिकल तकनीक का प्रयोग करते हुए, फोर्टिस नोएडा ने अमेरिका की रहने वाली 32 वर्षीय मरीज का रोबोट की सहायता से सफल  मायोमेक्टॉमी सर्जरी की। मरीज़ की शादी को चार साल हो गए हैं और वे दर्दनाक मासिक धर्म और गर्भधारण करने में असमर्थता से जूझ रही थी।  अमेरिका में पहले हुए अल्ट्रासाउंड जांच से उनके गर्भाशय की मांसपेशियों के भीतर दो बड़े फाइब्रॉएड होने का पता चला।  एक फाइब्रॉएड का आकार लगभग 5 सेमी था, जबकि दूसरे का आकार लगभग 10 सेमी था।  आकार में बड़ा फाइब्रॉइड उनके गर्भाशय की परत और कैविटी पर दबाव डाल रहा था, जिससे उन्हें दर्द व अन्य परेशान करने वाले लक्षण और बांझपन की समस्या का सामना करना पड़ रहा था।अमेरिका में रहने वाली इस 32 वर्षीय महिला के लिए, फाइब्रॉइड बड़ी परेशानी और निराशा का कारण बन चुका था और हर गुजरते दिन के साथ उनकी हालत बिगड़ रही थी। रोगी की गंभीर स्थिति के कारण उसके लक्षणों को कम करने और गर्भधारण की संभावना बढ़ाने के लिए इन फाइब्रॉइड को हटाना जरूरी था।  उन्हें अमेरिका में समय पर सर्जिकल सहायता प्राप्त करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।  सर्जरी के लिए न केवल प्रतीक्षा समय अनावश्यक रूप से लंबा था, बल्कि उससे जुड़ी लागत भी बहुत अधिक थी।  इसने उन्हें वैकल्पिक विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित किया।  मरीज़ भारत आईं और नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में डॉक्टरों से परामर्श किया।  रोगी की जांच करने पर, डॉक्टरों ने फाइब्रॉइड को हटाने के लिए रोबोट की सहायता से की जाने वाली मायोमेक्टॉमी सर्जरी की सलाह दी।फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक एवं एचओडी डॉ. अंजना सिंह ने बताया, "रोबोट-असिस्टेड मायोमेक्टॉमी सर्जन को पेट के निचले हिस्से में छोटे चीरों के माध्यम से उपकरण और एक छोटा कैमरा डालने में मदद करती है।  इससे सर्जन उस क्षेत्र को बेहतर तरीके से देख सकता है। इस प्रक्रिया में सर्जिकल उपकरण रोबोटिक नियंत्रक का उपयोग करके प्रयोग किए जाते हैं। रोबोटिक आर्म्स की उन्नत निपुणता गर्भाशय को संरक्षित करते हुए सावधानीपूर्वक फाइब्रॉइड को हटाने की सुविधा देती है।  रोबोटिक तकनीक के उपयोग से ऑपरेशन के बाद होने वाला दर्द कम हो जाता है, जिससे उपचार प्रक्रिया अधिक आरामदायक हो जाती है। यह पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में कई फायदे भी प्रदान करता है, जिसमें छोटे चीरे, कम रक्त हानि, तेजी से रिकवरी और न्यूनतम घाव का होना शामिल हैं।  रक्तस्राव में वृद्धि से बचने के लिए रोगी के मासिक धर्म के बाद सर्जरी की योजना बनाई गई थी।  हमें सर्जरी की सटीकता और खून की कमी न होने, अस्पताल में कम समय तक रुकने के मामले में रोबोटिक सहायता के सभी सुविधाओं का पूरा लाभ मिला। साथ ही सर्जरी के दौरान या बाद में मरीज को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता नहीं पड़ी। ऑपरेशन के बाद उनकी रिकवरी स्थिर थी।  सर्जरी के दिन शाम को उसे मुस्कुराते हुए देखना बहुत संतुष्टिदायक था।  रोबोटिक सर्जरी से उन्हें लगभग 5 से 6 मिमी के कीहोल चीरों के माध्यम से हुए उपचार का लाभ मिला, जिसमें कम से कम निशान पड़े और जो चीरा नजर आ रह था वह भी कॉस्मेटिक रूप से सही दिख रहा था।सर्जरी के बाद मरीज तीन सप्ताह से अधिक समय तक डॉक्टरों की देखरेख में रही , जिसके बाद हाल ही में वह वापस अमेरिका चली गई।  डॉक्टरों ने यह भी बताया कि सर्जरी में किसी भी तरह की देरी से फाइब्रॉइड बढ़ जाता, जिससे उसके लक्षण बिगड़ जाते और उसके बाद अधिक जटिल सर्जरी की आवश्यकता होती है।डॉ. अंजना सिंह ने  बताया कि इस अत्याधुनिक प्रक्रिया के लाभ सामान्य तरीके से की जाने वाली सर्जरी के मुकाबले कई गुना थे।  सबसे पहले, रोगी को उसके दर्दनाक मासिक धर्म में होने वाले अत्यधिक रक्तस्राव में उल्लेखनीय कमी का अनुभव हुआ, जिससे उसके जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ।  इसके अतिरिक्त, फाइब्रॉइड को हटाने से उसके गर्भाशय की परत और कैविटी पर दबाव समाप्त हो गया, जिससे उसके स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ गई। ठीक होने में कम समय लगने का मतलब है कि वह अपनी दैनिक गतिविधियों को अपेक्षाकृत तेजी से फिर से शुरू कर सकती है।"

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