क्राइस्ट चर्च यूनिवर्सिटी बैंगलोर ने जीती एमिटी नेशनल ट्रायल एडवोकेसी टूर्नामेंट 2024 की ट्रॉफी।




मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर ‌ 
गौतमबुद्धनगर।एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी लॉ स्कूल में चल रहे तृतीय एमिटी नेशनल ट्रायल एडवोकेसी टूर्नामेंट 2024 का आज समापन हो गया। इस प्रतियोगिता में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री के जी बालाकृष्णन, दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश श्रीमती ज्योती सिंह, सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता सुश्री मोनिका अरोड़ा और एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने क्राइस्ट चर्च यूनिवर्सिटी बैंगलोर को विजेता और आईआईएम रोहतक की टीम को उपविजेता घोषित किया गया। सर्वश्रेष्ठ शोध टीम का पुरस्कार आईआईएम रोहतक, सर्वश्रेष्ठ मेमोरियल टीम का पुरस्कार आईएलएस पुणे को मिला जबकि क्राइस्ट चर्च यूनिवर्सिटी बैंगलोर को सर्वश्रेष्ठ काउंसिल टीम घोषित किया गया।इस प्रतियोगिता में कुल 22 टीमों ने हिस्सा लिया जिसमें 8 टीमें क्वाटर फाइनल के लिए और 4 टीमें सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई हुई। इस एमिटी नेशनल ट्रायल एडवोकेसी टूर्नामेंट 2024 का उददेश्य भविष्य में वकील और न्यायीक अधिकारी बनने की इच्छा रखने वाले छात्रों के कौशल को विकसित करना और रचनात्मक युवा मस्तिष्कों को एक साथ लाना था। इस प्रतियोगिता में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, क्राइस्ट विश्वविद्यालय, सीएलसी विश्वविद्यालय, यूपीईएस देहरादून, निरमा यूनिवर्सिटी, ओ पी जिंदल सहित कई संस्थानों ने हिस्सा लिया।भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री के जी बालाकृष्णन ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि वकीलों की वर्तमान पीढ़ी के पास तलाशने के लिए बहुत सारे अवसर और रास्ते है। वे कोरपोरेट क्षेत्र, बैंकों में काम करने, शिक्षक बनने या किसी अन्य संगठन में शामिल होने का विकल्प चुन सकते है। भारतीय अदालतें दुनिया की सबसे अच्छी अदालते है लेकिन एकमात्र समस्या बड़ी संख्या मंे लंबित मामले है। उन्होने छात्रों को इर्मानदारी, मेहनती बनने सहित पढ़ने की आदत विकसित करने की सलाह दी।दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश श्रीमती ज्योती सिंह ने कहा कि जो लोग हार गये है उन्हे निराश नही होना चाहिए और सफलता के लिए कड़ी मेहनत करते रहनी चाहिए। कानूनी मामलों में मानव जीवन शामिल होता है इसलिए उन्हें केवल मामलें के रूप में ना लें बल्कि सावधानी से और संवेदनशीलता के साथ सोचें क्योकि एक गलत निर्णय कई जिंदगियों के दुर्भाग्य का कारण बन सकता है। त्वरित सोच, अभिव्यक्ति कौशल, और लक्ष्योन्मुख होना सफल होने का मंत्र है।सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता सुश्री मोनिका अरोड़ा ने कहा कि मनुष्य कहानियों के संर्दभ में सोचता है डेटा या संख्याओं के संर्दभ में नही इसलिए वकील को सरल शब्दों में विचार करना चाहिए और अपने विचारों को सरल एवं प्रांसगिक शब्दों में रखना चाहिए। उन्होनें छात्रों से कड़ी मेहनत करने, अच्छे संचारक बनने, स्वंय पर विश्वास करने, खुद मे सुधार करते रहने और लगातार सीखने रहने का आह्वान किया।एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डा डी के बंद्योपाध्याय ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि जीतना या हारना महत्वपूर्ण नही है बल्कि जो आप सीख कर जाते है वो महत्वपूर्ण है। ऐसी प्रतियोगितायें आपको समूह कार्य और सहयोग सीखाती है इसके साथ आपके आधार को मजबूत बनाती है जो एक वकील के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।कार्यक्रम के अंत में एमिटी लॉ स्कूल की सहायक प्रोफेसर डा गार्गी भदौरिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के शिक्षकगण एवं छात्र उपस्थित थें।

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