श्रीविष्णु महायज्ञ और श्रीराम कथा का आठवां दिन



 मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर 
श्रीराम की भक्ति में मन लगाने से होगी मोक्ष की प्राप्ति: सद्गुरूनाथ जी महाराज
नोएडा: भावातीत ध्यान एवं योग प्रवर्तक महर्षि महेश योगी जी के दिव्य आशीर्वाद से  आयोजित श्रीविष्णु महायज्ञ के पावन अवसर पर चल रहे श्रीराम कथा में भक्तों को कथा सुनते हुए सद्गुरूनाथ जी महाराज ने कहाकि महर्षि महेश योगी भारत की महान आध्यात्मिक विभूतियों में से एक थे। उन्होंने भावातीत ध्यान योग की खोज कर संपूर्ण विश्व को एक अनोखे ज्ञान की स्थापना की। भावातीत ध्यान एवं योग के द्वारा उन्होंने सारी दुनिया में मानवीय सेवा का जो महत्वपूर्ण कार्य किया, वह बहुत ही अमूल्य है। उन्होंने भारत के साथ संपूर्ण विश्व में भावातीत ध्यान एवं योग के साथ शैक्षिक संस्थाओं की भी स्थापना की थी। महर्षि महेश योगी जी द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थाओं में भारतीय सनातन संस्कृति, धर्म, आध्यात्म के साथ-साथ जीवन के व्यावहारिक मूल्यों की शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने हेतु उनका योगदान सदैव अमर रहेगा।
कथा के दौरान सद्गुरूनाथ जी महाराज ने कहा कि तुम जो सुनते हो, जो देखते हो, जो चखते हो, ये सभी शरीर की कामेन्द्रियों द्वारा संचालित होती हैं। शरीर की कामेन्द्रियां आपके मन में किसी चीज को खाने, देखने या सुनने की चाहत पैदा करती हैं। इस कण-कण में भगवान श्रीराम व्याप्त हैं, एक पत्ता भी उनके इशारे के बिना नहीं हिलता। इसलिए प्रभु सुमिरन में अपना ध्यान हमेशा लगाओ। भगवान और भक्त के बारे में गुरूदेव ने कहा कि मन, बुद्धि और चित्त के सम्यक् योग के बिना सेवक का अपने स्वामी के ह्रदय में प्रवेश संभव नहीं है। हनुमान जी के ह्रदय में श्रीराम हैं और श्रीराम के ह्रदय में हनुमान जी। यही है सेवक-भगवान का भाव।
हनुमान जी केवल वही नहीं करते हैं, जो भगवान कहते हैं, हनुमान जी तो वह भी सब कर देते हैं जो उनके प्रभु चाहते हैं। अपने चाहने का अभाव व स्वामी की चाह में स्थिति, यही सेवा है, सेवक सोई जो स्वामि हित करई, अपने हित अनहित की चिंता सेवक को कदापि नहीं होती है। हनुमान जी भगवान के वे अनन्य भक्त हैं, जिनके मन में भगवान का कोई विकल्प नहीं है, बुद्धि केवल अपने प्रभु के कार्यों की समीक्षा करती है, और चित्त में राम के अतिरिक्त की भी उपस्थिति नहीं है। सारी बानर सेना और सुग्रीव आदि का हित हनुमान जी के कारण ही हुआ, हनुमान जी के अभाव में रामायण की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
जीवन का उत्कर्ष केवल भौतिक उन्नति के बजाय ईश्वर की कृपा पाकर परम पुरुषार्थ की प्राप्ति है। जीव का स्वार्थ व परमार्थ सब राम विषयक होना चाहिए। तब जीव व ब्रह्म की एकता सिद्ध होती है। स्वारथ साँच जीव कहँ ऐहू। मन क्रम बचन राम पद नेहू। तथा सखा परम परमारथ ऐहू। मन क्रम बचन राम पद नेहू। श्रीहनुमान जी ने राम को ही स्वार्थ माना और राम को ही परमार्थ माना। जब तक स्वार्थ और परमार्थ मिलकर राम को समर्पित नहीं होते, तब तक दोनों अपने स्वरूप को धन्य नहीं कर सकते हैं। सद्गुरु जी महाराज ने आगे कहाकि हनुमान जी ने लंका के सभी  घरों को इसलिए जला दिया, क्योंकि वे देखें कि शरीर रुपी लंका में सुन्दरता तो बहुत है, पर उसमें प्राण तत्त्व का अभाव है, आत्मतत्त्व का अभाव है, तो वे समझ गये कि जिस शरीर में प्राण ही नहीं है तो उसको तो जला ही देना चाहिए और विभीषण के घर में राम नाम अंकित था, इसलिए उसे नहीं जलाया। जिन्ह हरि भगति हृदय नहिं आनी। जीवित सव समान तेहि प्राणी।। लंका में केवल उतना ही भाग जलाया गया जो निष्प्राण था, जो दूसरे की शांति छीनेगा, जो दूसरे की लक्ष्मी का हरण करेगा, जो दूसरे की शक्ति का हरण करेगा, वह निश्चित जलेगा, और जलाया जायेगा, जलाया भी जाना चाहिए। जिन-जिन मंदिरों में भक्ति का अभाव था वे सब हनुमान जी ने जला दिये, विभीषण के घर में भक्ति होती थी, उसे छोड़ दिया। भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जन-जन के बीच सदियों से समाहित हैं और सदियों तक रहेंगे। जबतक श्रीराम कथा चलती रहेगी, सनातन संस्कृति पर कोई आंच नहीं आ सकती। सनातन संस्कृति को मिटाने का दंभ पालने वाले रावण, कंस व हिरण्याकश्यप सरीखे राक्षसों का बुरा अंत हुआ। महाराज जी ने कहा कि वर्तमान में प्रत्येक मनुष्य भविष्य की चिंता से ग्रस्त होकर विभिन्न प्रकार की मानसिक व शारीरिक परेशानियों से ग्रस्त होता जा रहा है। महाराज ने कहा कि लोग सोचते हैं कल की चिंता भी करनी है, जबकि भरोसा आज का भी नहीं है। 
श्रीराम कथा के पावन अवसर पर श्री अजय प्रकाश श्रीवास्तव, अध्यक्ष, महर्षि महेश योगी संस्थान और कुलाधिपति, महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नालोजी, श्री राहुल भारद्वाज, उपाध्यक्ष, महर्षि महेश योगी संस्थान, आलोक प्रकाश श्रीवास्तव, युवराज, महर्षि महेश योगी संस्थान, गोपाल कृष्ण अग्रवाल, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा, श्री विपिन गुप्ता, मुख्य संपादक, नेशनल एक्सप्रेस, मनोज गुप्ता, वीरेंद्र मिश्र, पत्रकार, आचार्य श्री वीरेंद्र त्रिपाठी, स्वामी ध्यानजी, जितेंद्र शर्मा, आचार्य नवल नारायण, श्री सुदर्शन लाट जी, डॉ. के. बी. अस्थाना,  डीन, महर्षि स्कूल ऑफ़ लॉ, डॉ. अमिता राठी, अमल श्रीवास्तव, अजय सिंह, महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ इंफार्मेशन टेक्नालॉजी, नोएडा कैंपस, संजीव श्रीवास्तव, रणधीर सचान, वी. एस. रेड्डी, दयाशंकर गुप्ता, यादवेन्द्र यादव, शिशिरकांत श्रीवास्तव, एस. पी. गर्ग, सोमवीर सिंह चौहान, लल्लन पाठक, धर्मेन्द्र शर्मा, श्रीकांत ओझा, राजेंद्र शुक्ल, शिशुपाल, उमाशंकर श्रीवास्तव, राजेन्द्र खंतवाल, नरेंद्र सिंह, बिनोद श्रीवास्तव, (एचओ), अजीत मिश्रा, विनोद श्रीवास्तव, राजीव अरोरा, तथा श्रीविष्णु महायज्ञ व श्रीराम कथा कार्यक्रम के संयोजक रामेन्द्र सचान, गिरीश अग्निहोत्री एवं हजारो श्रद्धालु उपस्थित थे।कथा का सीधा प्रसारण आस्था, आस्था प्राईम-1, आस्था फेसबुक एवं आस्था यूटूयूब चैनल पर अगले 18 दिसम्बर तक किया जाएगा। देश और विदेश के भक्तजन टीवी और इंटरनेट द्वारा कथा का आनंद ले सकते हैं।

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