संयुक्त शोध पर डीआरडीओ के एसएसपीएल और एमिटी के मध्य समझौता
गौतमबुद्धनगर।एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एप्लाइड सांइसेस एवं एमिटी इंस्टीटयूट फॉर एडवांस रिसर्च एंड स्टडीज द्वारा संयुक्त सहयोग से ‘‘सामग्रियों और उपकरणों में नवीनतम प्रगति’’ विषय पर दो दिवसीय 6वें अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन आईसीआरटीएमडी - 2023 का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का शुभारंभ सीएसआईआर के प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डा एस सथियानारायण, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापूर के प्रोफेसर सुरेश वलियावीट्टिल, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, मुबंई के वेस्ट टू एनर्जी रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी कंाउसिल के निदेशक डा ए डी सावंत, लंदन साउथ बैक विश्वविद्यालय के प्रो हरि मोहन उपाध्याय, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, आईसीआरटीएमडी - 2023 के चेयरपरसन डा वी के जैन और डा सुनिता रतन द्वारा किया गया। सम्मेलन का शुभारंभ करते सीएसआईआर के प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डा एस सथियानारायण ने कहा कि सामग्रियों और उपकरणों में अनुसंधान व नवाचार समय की मंाग है। भारत ने कई क्षेत्रों में अग्रणी बना है लेकिन मैटेरियल उपकरणों के क्षेत्र मे ंहम अभी भी कई देशों पर निर्भर है। अगर भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो हमें रंमैटेरियल उपकरणों के क्षेत्रों में संयुक्त शोध को बढ़ावा देकर भारतीय तकनीकी से युक्त उत्पाद विकसित करने होगे। आप जैसे युवाओ को आगे आकर इस क्षेत्र में अनुसंधान करना होगा। नेशशशशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापूर के प्रोफेसर सुरेश वलियावीट्टिल ने कहा कि हमज ब भी किसी भी उत्पाद का उपयोग करते है तो हम केवल उसके उपयोग पर ध्यान देते है जबकी हमें उसके समाप्त होने के बाद उसके अपशिष्ट के निपटान पर ध्यान देना चाहिए जिससे पर्यावरण को नुकसान ना हो। उन्होनंे छात्रों से समाज की समस्याओं के निवारण हेतु शोध करने की सलाह दी। एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि एमिटी मे ंहम छात्रों को शोध के लिए प्रेरित करते है जिससे वे उद्योगों, समाज की समस्याओं के निवारण हेतु उत्पाद और तकनीकी विकसित करें। डा चौहान ने कहा वर्तमान में जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जिसके लिए हमें नये मैैटेरियल को विकसित करने और शोध को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इस लिए छात्रों, शोधार्थियों को नवीनतम शोध की जानकारी प्रदान करने के लिए इस प्रकार के सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुबंई के वेस्ट टू एनर्जी रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी कंाउसिल के निदेशक डा ए डी सावंत ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन एक आवश्यक प्रक्रिया है, वर्तमान में विभिन्न अपशिष्टों की उत्पत्ति से जल, वायु और भूमि प्रदूषित हो रही है। हम मैटेरियल और डिवाइस की नवीनतम अनुसंधान से अपशिष्ट का प्रबंधन किया जा सकता है।शवंनं वंएमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि इस अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन विभिन्न क्षेत्रों के शिक्षाविद्ों, वैज्ञानिकों, उद्यमियों, शोधार्थियों आदि को एक मंच पर लाकर आम वैश्विक चुनौतियों को हल करने के लिए स्थायी कनेक्शन स्थापित करने के लिए किया जा रहा है। इस अवसर पर मैटेरियल एवं डिवाइस में हो रहे अनुसंधान नवीनतम प्रगति की जानकारी को साझा किया इस अवसर पर तकनीकी सत्रों में जामिया हमदर्द के प्रो एम सारवार आलम, डीआरडीओ के सॉलिड स्टेट फिजिक्स लैबोरेटरी के प्रो रविन्द्र पाल, आईआईटी रूड़की की डा मधु जैन आदि ने अपने विचार रखे।
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डीआरडीओ के सॉलिड स्टेट फिजिक्स लैबोरेटरी और एमिटी विश्वविद्यालय के मध्य समझौता पर हुआ हस्ताक्षर संयुक्त अनुसंधान और सहयोग विकसित करने के आज रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सॉलिड स्टेट फिजिक्स लैबोरेटरी और एमिटी विश्वविद्यालय के मध्य समझौता पत्र हस्ताक्षर किया गया। इस समझौता पत्र पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सॉलिड स्टेट फिजिक्स लैबोरेटरी की निदेशक डा मीना मिश्रा और एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने हस्ताक्षर किये। इस समझौता पत्र के अंर्तगत दोनो संस्थान संयुक्त अनुसंधान और सहयोग सहित संयुक्त कार्यशाला, संयुक्त शैक्षणिक कार्यक्रम, पीएचडी के संयुक्त पर्यवेक्षण आदि पर मिलकर कार्य करेगें।इस अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सॉलिड स्टेट फिजिक्स लैबोरेटरी की निदेशक डा मीना मिश्रा ने 6वें अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन आईसीआरटीएमडी - 2023 में प्रतिभागियों को एडवंास सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी फॉर डिफेंस एप्लीकेशन पर संबोधित करते हुए कहा कि रशिया और यूक्रेन के युद्ध के उपरंात सेमीकंडक्टर की महत्वतता बढ़ गई है और इस क्षेत्र में अनुसंधान में भी तेजी आई है। डा मिश्रा ने सॉलिड स्टेट फिजिक्स लैबोरेटरी द्वारा विकसित की गई तकनीकी जैसे हाई जी एमईएमएस स्विच, डिजाइन एंड डेवलपमेंट ऑफ एक्यूस्टीक एमिशन सेंसर, एक्यूस्टिक एमिशन टेक्नोलॉजी, रसायन युद्ध के दौरान उपयोग होने वाले सेंसर ई नासिका एवं एसीएडीए और इन्फ्रारेड टेक्नोलॉजी फॉर नाइट विजन के बारे में जानकारी दी।इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के डा नीरज शर्मा, डा ए के सिंह, डा गोपाल भूषण और डा वी के जैन उपस्थित थे।
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