गौतमबुद्धनगर डिजिटल हेल्थकेयर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नवीनतम प्रगति पर चर्चा करने के लिए और विशेषज्ञों को एक मंच प्रदान करने हेतु एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हॉस्पीटल एडिमिनिस्ट्रेशन द्वारा ‘‘कोड टू केयर - स्वास्थय देखभाल में डिजिटल परिवर्तन’’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का शुभारंभ कंसोर्टियम ऑफ एक्रेडिटेड हेल्थकेयर ऑर्गेनाइजेशन (सीएएचओ) के अध्यक्ष डा विजय अग्रवाल, एसबीआएसआर अस्पताल के वरिष्ठ कंसलटेंट डा सुरेन शुक्ला, एमिटी विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ हेल्थ एंड एलाइड साइंसेस के डीन डा बी सी दास और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हॉस्पीटल एडिमिनिस्ट्रेशन के निदेशक डा अजय कुमार जैन द्वारा किया गया।कंसोर्टियम ऑफ एक्रेडिटेड हेल्थकेयर ऑर्गेनाइजेशन (सीएएचओ) के अध्यक्ष डा विजय अग्रवाल ने ‘‘डिजिटल हेल्थ इन हॉस्पीटल सेक्टर’’ पर संबोधित करते हुए कहा कि चतुर्थ औद्योगिकी क्रांति मे सबसे अधिक प्रभावित स्वास्थय देखभाल क्षेत्र हुआ क्योकी वे इसके लिए तैयार नही थे। आज हर मेडिकल उपकरण पुनः अविष्कारित होकर डिजिटल हो रहा है। कई तेजी से आगे बढ़ने वाली प्रौद्योगिकियों का अभिसरण हुआ है, नई प्रौद्योगिकियां कई पहले से कठिन समस्याओं का समाधान करने, लागत मॉडल को बदलने और रोगी परिणामों में काफी सुधार करने का अवसर प्रदान करती है। इसमें एआई, मशीन लर्निंग, डिजिटल हेल्थ प्लेटफार्म, मानव मशीन इंटरफेस आदि शामिल है। डिजिटल स्वास्थय तेजी से बढ़ रहा है। डा अग्रवाल ने मशीन लर्निंग, एआई, के हेल्थकेयर में उपयोग पर आधारित केस स्टडी और कॉम्बीनेशन थिरेपी को बताते हुए भविष्य में चिकित्सकों को तकनीकी से सलाह लेना अनिवार्य होगा।एसबीआएसआर अस्पताल के वरिष्ठ कंसलटेंट डा सुरेन शुक्ला ने कहा कि भारत का स्वास्थय सेवा बाजार अवसरों से भरा है और वित्त वर्ष 2023 - 24 में स्वास्थय सेवा पर भारत का सार्वजनिक व्यय सकल घरेलु उत्पाद 2ण्1 प्रतिशत तक पहुंच गया है। देश में अच्छी तरह से प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों का एक बड़ा समूह है और सरकार ने स्वास्थय सेवा उद्योग के लिए लगभग 89155 करोड़ रूपये का बजट आंवटित किया है। डिजिटल स्वास्थय प्रौद्योगिकियां जिनमें इलेक्ट्रोनिक स्वास्थय रिकार्ड, टेलीहेल्थ और टेलीमेडिसिन, मोबाइल हेल्थ, पहनने योग्य उपकरण, स्वास्थय सूचना विनिमय, डिजिटल थेरेप्यूटिक्स, एआई और मशीन लर्निंग शामिल है जो कि लोकप्रियता हासिल कर रही है और स्वास्थय देखभाल पेशेवरों द्वारा तेजी से उपयोग किया जा रहा है। एआई का उपयोग फेफड़ों के कैंसर, स्तन का कैंसर का पता लगाने में और अनुवांशिक संबंध खोज में सुधार के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया जा रहा है।
एमिटी विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ हेल्थ एंड एलाइड साइंसेस के डीन डा बी सी दास ने संबोधित करते हुए कहा कि आज एआई और अन्य नवीनतम प्रौद्योगिकियों ने स्वास्थय के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर रही है। आप जैसे युवा छात्रों के लिए इस क्षेत्र में अवसरों की भरमार है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जहंा एक अत्यंत उपयोगी है वही दूसरी तरह इसका दुरूउपयोग भी हो सकता है। एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा इस प्रकार की संगोष्ठीयों द्वारा छात्रों को विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त करने और अनुसंधान के लिए प्रेरित किया जाता है।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हॉस्पीटल एडिमिनिस्ट्रेशन के निदेशक डा अजय कुमार जैन ने स्वागत करते हुए स्वास्थय देखभाल में हो रहे डिजिटल परिवर्तन का इंतिहास को बताया और कहा कि डिजिटल परिवर्तन में डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग नये व्यापार प्रणाली के निर्माण, ग्राहको के अनुभव और संस्थान की संस्कृती के लिए किया जाता है। वर्तमान में आमजन तक स्वास्थय सुविधाआंे की उपलब्धता, स्वास्थय सुविधाआंे की गुणवत्ता, स्वास्थय सुविधाआंे का मूल्य आदि चुनौतीयां है जिसका निवारण युवाओं द्वारा संभव है।इस संगोष्ठी के अंर्तगत एक परिचर्चा सत्र का आयोजन भी किया गया जिसमें कंसोर्टियम ऑफ एक्रेडिटेड हेल्थकेयर ऑर्गेनाइजेशन (सीएएचओ) के अध्यक्ष डा विजय अग्रवाल, एसबीआएसआर अस्पताल के वरिष्ठ कंसलटेंट डा सुरेन शुक्ला, एमिटी विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ हेल्थ एंड एलाइड साइंसेस के डीन डा बी सी दास, एमिटी इंस्टीटयूट एंड पब्लिक हेल्थ एंड हॉस्पीटल एडिमिनिस्ट्रेशन के निदेशक डा अजय कुमार जैन, एमिटी सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के निदेशक प्रो एम के दत्ता और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के सेंटर फॉर कंप्यूटशनल बायोलॉजी एंड बायोइर्न्फोमेटिक्स के प्रमुख डा कमल रावल ने अपने विचार रखे।इस संगोष्ठी के समापन पर एमिटी इंस्टीटयूट एंड पब्लिक हेल्थ एंड हॉस्पीटल एडिमिनिस्ट्रेशन की सहायक प्रोफेसर डा शाज़िना सईद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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