ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय के आनंदस्वरुप सभागार में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नोएडा विभाग द्वारा प्रबुद्ध नागरिक समारोह का व्यवस्थित एवं सफल
आयोजन किया गया। कार्यक्रम में ‘स्व आधारित भारत पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ विषय पर सभागार को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि स्व आधारित भारत आज समय की आवश्यकता है। हमारे लिए भी और विश्व के लिए भी। पहले इसे आवश्यक नहीं माना जाता था आज इसकी आवश्यकता है तो चर्चा भी हो पड़ी है। किसी देश की उन्नति तब तक नहीं हो सकती जबतक वह अपने बल पर कुछ कर के न दिखाए। यह हमारे संदर्भ में भी लागू होता है। वह आगे कहते कि जब प्रथम स्वतंत्रता संग्राम किसी कारण से विफल हो गया। लेकिन उससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ ऐसा नहीं है। उससे चेतना तो जगी यह महत्वपूर्ण है। उसके बाद हम स्वतंत्र हुए। हमें स्वतंत्रता के बाद जो अच्छा लगा हमने उसका धारण किया। बाहर की भी जो अच्छी चीजें थी उसको भी हमने लिया। लेना भी चाहिए इसमें कोई गलत बात भी नहीं है। लेकिन उसको अपने अनुसार लेना और अपनी शर्तों पर लेना, यह महत्वपूर्ण है। स्व आधारित भारत की परिकल्पना करना कोई गलत नहीं है। इसकी आवश्यकता भी है। आज इसकी आवश्यकता भी है। क्योंकि भारत के भले में दुनिया का भला है। इसलिए हम कह सकते है कि भारत का भला होना आवश्यक है। हमने कोरोना काल में भी देखा की किस तरह भारत की जिन चीजों की आलोचना होती भी वहीं वरदान साबित हुई। इस लिए हम कहते है कि भारत की उन्नति स्व आधारति उन्नति हो यह महत्वपूर्ण है। हमारे लिए भी और विश्व के लिए भी। सरसंघचालक ने कहा कि राष्ट्र बनते है बनाए नहीं जाते है। बनाए हुए राष्ट्र नष्ट हो जाते है। हम इस लिए जुड़े है क्योंकि हमारा जीवन सदियों से चला आ रहा है। इस लिए हम आज भी जुड़े है। भाषा संस्कृति और खानपान में विभिता होने के बावजूद भी आज भी हम साथ है। जो नहीं जुड़े वह टूट गए।
हमारा राष्ट्र एक राष्ट्र ही नहीं सनातन राष्ट्र है। और सँगठित राष्ट्र है। आज से नहीं यह सनातन काल से चला आ रहा है। हम जब प्रार्थना करते है तो अपने साथ विश्व खुशमय हो ऐसी प्रार्थना करते है।क्योंकि यहीं हमारा स्वभाव है। सरसंघचालक ने कहा कि सामाजिक समरसता अति आवश्यक है। दुनिया में समता और समानता एकसाथ नहीं आ सकती है। अगर समता आएगी तो समानता नहीं होगा और अगर समानता होगी तो समता नहीं होगा। यह तभी हो सकता है जब बन्धुत्व की भावना होगी।
सत्य को स्थापित करने के लिए शक्ति की आवश्यकता पड़ती है। यह तभी हो सकता है जब आप शक्ति सम्पन्न हो । इसलिए यह आवश्यक है कि भारत शक्ति सम्पन्न हो। देश को सुरक्षित रखने के लिए जो कार्य करते है वह बल के बिना सम्भव नहीं है। भारत के स्व को समझकर नियम एवं कानून बने, अभी तक हम अंग्रेजों के तंत्र से चल रहे है इसे बदलने की जरूरत है। हमें स्वदेशी को बढ़ावा देना चाहिए। विकेंद्री उत्पाद सीमित उपभोग करना चाहिए। रोजगार को प्रभावित करने वाली या यह कहे कि उसे मारने वाली तकनीक हमें नहीं लेनी चाहिए। हमारे यहाँ त्याग की परवर्ती है। भौतिक एवं अध्यात्म दोनों भारत की आवश्यकता है। दकियानूसी बातों को समाज को छोड़ना पड़ेगा। अर्थतंत्र को अपने और समय के हिसाब से बनाना चाहिए। कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्वलित कर माँ भारती के चित्र में पुष्प अरपण के साथ हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों ने भी माँ भारती के चित्र में पुष्प अरपण किए। कार्यक्रम में क्षेत्र और आपपास के प्रबुद्ध नागरिक वर्ग उपस्थित रहे।
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