ग्रेटर नोएडा। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की अनियमितताएं आज भी विश्वविद्यालय के विकास में बाधक बनी हुई हैं, 511 एकड़ भूमि लेकर तथा कई हजार करोड़ की लागत से बना गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के लगभग 15 वर्षों के उपरांत भी बदहाली का शिकार है ! , 15 सालों के बाद आज भी विश्वविद्यालय में केवल दो प्रोफेसर प्रोफेसर संजय शर्मा व प्रोफेसर श्वेता आनंद ही हैं। विश्वविद्यालय की आंतरिक अनियमितता का परिणाम यह है कि जो पद विधिक रूप से प्रोफेसर स्तर के व्यक्तियों के पास होने चाहिए उन पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर के व्यक्ति विश्वविद्यालय में चार्ज संभाले हुए हैं। साथ ही कुछ रिटायर्ड प्रोफेसर्स भी विश्वविद्यालय के पदों पर जमे हुए हैं जो की यूजीसी की गाइडलाइंस के अनुरूप नहीं है। विश्वविद्यालय की बोर्ड आफ मैनेजमेंट भी एक्ट के अनुसार नहीं है। इन्हीं कारण विश्वविद्यालय की नियुक्तियों में भी धांधली के आरोप अक्सर लगते रहते हैं। पूर्व में भी विश्वविद्यालय में अवैध नियुक्तियों तथा आर्थिक भ्रष्टाचार को लेकर लोकायुक्त द्वारा तक भी जांच की जा चुकी है परंतु नतीजा कोई नहीं निकला। यदि विश्वविद्यालय का कोई शिक्षक या कर्मचारी विश्वविद्यालय की अनियमितता दूर करने व व्यवस्था ठीक करने के लिए कहता है तो उसे सस्पेंड करने व टर्मिनेट करने की धमकी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दी जाती है। विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए विश्वविद्यालय में योग्य शिक्षकों का अभाव है। एक बड़ी संख्या में आज भी गेस्ट फैकल्टी द्वारा ही काम चलाया जा रहा है। विश्वविद्यालय के अनेक कोर्सेज में छात्रों की संख्या न के बराबर है। बहुत सारे कोर्सेज के लिए विश्वविद्यालय में पुस्तकों का भी अभाव है। साथ ही मेंटेनेंस की व्यवस्था भी बहुत ही लचर है। आए दिन मेंटेनेंस व्यवस्था को लेकर आरोप भी लगते रहते हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय में आर्थिक पारदर्शिता भी नहीं है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों व कर्मचारियों की विनियमितीकरण की प्रक्रिया में भी अनेक अनियमिताओं के आरोप हैं। शिक्षकों का कहना है कि वर्तमान कुलपति प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा भी पिछले दो वर्षों में अनियमितताओं को दूर करने के लिए किसी प्रकार का प्रयास नहीं कर सके हैं। सूत्रों की माने तो विश्वविद्यालय के शिक्षकों का यह कहना है कि जब तक विश्वविद्यालय से अवैध नियुक्तियां तथा आर्थिक अनियमितताएं नहीं हटाई जाएगी तब तक विश्वविद्यालय का विकास असंभव है। इसके लिए कुछ शिक्षक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व विश्वविद्यालय की कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ से आस लगाए बैठे हैं।
उक्त प्रकरण जी बी यूं विश्वविद्यालय कुलपति रविन्द्र कुमार सिन्रहा एवं रजिस्टार विश्वास त्रिपाठी के संज्ञान में है लेकिन उनकी तरफ से न्यूज़ पर कोई टिप्पणी नहीं की गयी।
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