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पति के लिए पत्नी, पत्नी के लिए पति का सत्कार करना व विद्वानों से ज्ञान आदि प्राप्त करना ही देव पूजा है। आचार्य सत्यदेव

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर।
दादरी। शारद दुर्लभ यज्ञ के संयोजक एवं प्रवक्ता ओमवीर सिंह आर्य एडवोकेट ने बताया कि शारद दुर्लभ यज्ञ दुजाना के छठे दिन के यज्ञ कार्यक्रम में वैदिक भजनों का विधालय के छात्र छात्राओं ने लिया आनन्द  ।
दादरी। शारद दुर्लभ यज्ञ के संयोजक सदस्य एवं प्रभारी ओमवीर सिंह आर्य एडवोकेट ने बताया कि आज दादी सत्ती मंदिर गांव दुजाना में नवरात्र में दिन रात चलने वाले शारद दुर्लभ यज्ञ सातवें दिन के कार्यक्रम में अजमेर राजस्थान से आये आचार्य सत्यदेव जी आज के यज्ञ के मुख्य ब्रह्म रहै । यज्ञ पर आशिर्वाद रूप शब्दों में आचार्य ने बताया कि "यज्ञो विश्वस्य नाभि:।"यजुर्वेद के इस मंत्र के अनुसार यज्ञ संसार की नाभि है अर्थात यज्ञ संसार की उन्नति व पुष्टि के लिए सार्वाधिक महत्वपूर्ण साधन है। यज्ञ को परिभाषित करते हुए मैं महर्षि दयानंद जी ने अपने ग्रंथ "आर्योद्देश्य रत्नमाला" मैं लिखते हैं कि अग्निहोत्र से लेकर अश्वमेघ प्रर्यन्त व जो शिल्प व्यवहार व पदार्थ विद्या है जो कि जगत के उपकार के लिए किया जाता है उसे यज्ञ कहते हैं। यज्ञ शब्द संस्कृत के यज धातु से बना है जिसका अर्थ है देव पूजा, संगतिकरण व दान अपने गुणों ज्ञान से प्राणी मात्र को लाभान्वित करने वाले जड़ या चेतन पदार्थ को देव कहते हैं अर्थात मनुष्य जीवन को उन्नत बनाने वाले सुरक्षित करने वाले ज्ञान आदि देने वाले पदार्थों को देव कहते हैं। देव पूजा का अर्थ हमारा हित करने वाला जड़ या चेतन पदार्थ को देव कहते हैं। अर्थात मनुष्य जीवन को उन्नत बनाने वाले सुरक्षित करने वाले जड़ या चेतन पदार्थ को देव कहते हैं अर्थात मनुष्य जीवन को उन्नत बनाने वाले सुरक्षित करने वाले ज्ञान देने वाले पदार्थों को देव कहते हैं। देवपुजा का अर्थ हमारा हित करने वाले जड़ चेतन पदार्थों का गुण वर्धन करना उनकी सुरक्षा व सदुपयोग करना और चेतन देवों यथा विद्वान माता-पिता आचार्य अतिथि पति के लिए पत्नी, पत्नी के लिए पति का सत्कार करना व विद्वानों से ज्ञान आदि प्राप्त करना ही देव पूजा है । ओमवीर सिंह आर्य एडवोकेट  धर्मपत्नी उर्मिला आर्य और शेखर आर्य धर्मपत्नी यजमान रहै एवं वैदिक भजनों द्वारा यज्ञ निरन्तर आरम्भ रहा। यज्ञ में राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के भजनोपदेशक कुलदीप विधार्थी ने वैदिक भजनों से यज्ञ प्रेमियों और विधालयों के छात्र छात्राओं से अपील करते हुए राष्ट्र के प्रति प्रेम, संस्कृति, सभ्यता और अपनी पढ़ाई के लिए उपदेश किया । शारद दुर्लभ यज्ञ कार्यक्रम में अनेक विधालयों के छात्र छात्राओं ने यज्ञ कार्यक्रम में आहुतियां देकर शिक्षा के छेत्र में आगे बढ़ने का प्रण लिया। क्षेत्रीय एवं अन्य राज्यों से आये विद्वान आचार्य सत्यव्रत अजमेर, कल्याण सिंह आर्य बिजनौर, ओम प्रकाश आर्य भरतपुर, कुलदीप विधार्थी राष्ट्रवादी भजनों उपदेशक, महेश योगी भजन उपदेशक, महाशय रामगोपाल, महाशय मानसिंह, रविंद्र आर्य, छेत्र के सम्मानित हुकम सिंह आर्य दुजाना आर्य समाज प्रधान, मूलचंद आर्य, ईलचन्द नागर, महेन्द्र प्रधान सुनपुरा, प्रधान मांगे राम आर्य टिटौडा, मोनू प्रधान, हेमराजसिहं प्रधान लडपुरा, यशवीर भगतजी, कमल आर्य, सतीश आर्य, नरपतसिंह प्रधानाचार्य नवादा, सतबीर आर्य, जगबीर आर्य, ग्रीस मुनि, यशवीर चौधरी, अरविंद प्रधान, पंकज नागर, जालेन्द्र आर्य एवं ग्राम दुजाना और आस पास के गांवों से आये सैकड़ों यज्ञ प्रेमियों ने यज्ञ पर आहुतियां देकर कर यज्ञ की शोभा बढ़ायी।

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