गौतमबुद्धनगर।कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन और सरस्वती वन्दना से किया गया। गलगोटियाज विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा० के० मल्लिकार्जुन बाबू ने विदेश की धरती से आये हुए सभी विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप सभी का भारत की धरती पर और गलगोटियाज विश्वविद्यालय के प्रांगण ह्रदय तल से बहुत-बहुत स्वागत है। आप सभी हमारे गलगोटिया विश्वविद्यालय के परिवार के सदस्य हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के नियमों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। और कहा कि आपको कभी कोई परेशानी आती है तो उन समस्याओं के समाधान के लिये हम सदैव त्तपर हैं। आप कठिन परिश्रम के साथ विद्या अध्ययन करें। और उच्च अँक प्राप्त करके अपने राष्ट्र का, अपने माता पिता का, अपने गलगोटिया विश्वविद्यालय के साथ-साथ भारत का नाम भी रोशन करें। विश्वविद्यालय की चॉसलर सलाहकार एवम् पूर्व वाइस चांसलर डा० रेनु लूथरा मैम ने विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमें आज का दिन हम सबके जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। शिक्षा के साथ साथ आज से हमें एक दूसरे की महान संस्कृतियों को जानने का भी अवसर प्राप्त होगा। जो कि अपने आप में एक बहुत ही अद्भुत और पूरे विश्व के लिये शुभ और कल्याणकारी है। विश्वविद्यालय के प्रो० वॉइस चॉसलर डा० अवधेश कुमार ने पूरे विश्व के हित में भारत के अपने “वसुधैव-कुटुम्बकम” के नज़रिये की बात कही। उन्होंने कहा कि पूरा विश्व ही अपना परिवार है। कोविड जैसी भयंकर महामारी के समय में भी भारत ने पूरी दुनिया कई देशों में कोविड वैक्सीन भेज कर मनुष्य मात्र की रक्षा की थी। अफ़्रीकन यूनियन को भी भारत ने जी-20 में सम्मिलित कराकर पूरे विश्व के कल्याण की बात की है। विश्वविद्यालय के चॉसलर सुनील गलगोटिया ने कहा विद्यार्थियों को अपनी शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आप सभी विद्यार्थी अनुशासन की परिधि में रहकर कठिन परिश्रम करें।आप पूरी निष्ठा के साथ विद्या अध्ययन करके अपने सपनों को साकार करें। विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने विद्यार्थियों से कहा कि आप विचार कर सकते हैं, सपने देख सकते हैं और इनको हकीकत में बदलने का साहस रखते हैं। जब आप खुद को परिभाषित करते हैं, तो सारी दुनिया आपके पास से गुजरती है। आपकी सोच, आपके विचार और आपकी भावनाएं आपकी शक्ति बनती हैं। आपकी सोच आपके कर्मों को प्रेरित करती है, और कर्म से ही सफलता आती है।विश्वविद्यालय की डायरेक्टर ऑपरेशनस सुश्री आराधना गलगोटिया ने विद्यार्थियों को एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक महान वैज्ञानिक ने कहा था, “सफलता एक अविचल आदर्श है, जिसका पाठ आपको विफलता से सीखना होगा।” यदि आप गिरते हैं तो उठें, यदि आप हारते हैं तो जीतें। अपनी गलतियों को एक मौका समझें और उनसे सीखें। आपकी असफलताओं में भी आपके बड़े सपने छिपे होते हैं। अपने विफलताओं को मतलब से भरें और आगे बढ़ने के लिए एक नया उद्देश्य तय करें। साँस्कृतिक कार्यक्रमों की कडी में ज़िम्बाब्वे के विद्यार्थियों ने एक बहुत ही अद्भुत स्वागत गीत प्रस्तुत किया। नाइजीरिया के विद्यार्थियों ने अपने स्पीच में कहा कि हमें भारत बहुत अच्छा लगता है। हमें भारत से बहुत प्यार है। भारत की सुप्रिया ने भगवान शिव के एक भजन की भारत नाट्यम के माध्यम से बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी। और पूजा गौत्तम नेपाली नृत्य की बहुत ही आकर्षक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन मेध्या गुप्ता ने किया और राष्ट्रीय गाण के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया।
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