गौतमबुद्धनगर।उन्होंने दर्शकों को उस दिलचस्प यात्रा से रूबरू कराया कि कैसे भारत दुनिया के पांच नाजुक देशों से निकलकर शीर्ष पांच देशों में पहुंच गया।भारत के आर्थिक विकास की तीव्र गति और इसके वैश्विक डिजिटल पावरहाउस के रूप में उभरने पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 76 वर्षों में जितना विकास हुआ था, उससे अधिक विकास पिछले 7 वर्षों में हुआ है।छात्रों से राष्ट्र को वापस लौटाने और भारत के उत्थान में योगदान देने का आग्रह करते हुए उन्होंने बताया कि केवल एक उपभोक्ता होना एक निर्माता होने जितना संतुष्टिदायक नहीं है।ब्रह्मा को निर्माता, विष्णु को प्रबंधक और महेश को संहारक की उपमा देते हुए उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि उन्हें बुराई का संहारक, नए भारत का निर्माता और भारत के संसाधनों का संरक्षक और प्रबंधक बनना चाहिए।उन्होंने कहा कि भविष्य भारत का है और कुछ ही वर्षों में "महान भारतीय सपने" को साकार करने के लिए दुनिया भर से लोग भारत आएंगे!हम अब तीसरी दुनिया नहीं हैं बल्कि अपने देश की डिजिटल प्रगति के कारण पहली दुनिया का हिस्सा हैं।उन्होंने सभी को समाज में परिवर्तन का वाहक बनने के लिए प्रोत्साहित किया। "जब हम सब बदलेंगे तो देश बदल जाएगा", उन्होंने कहा - एक ऐसा बयान जिस पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। आज उच्च राजकोषीय घाटे वाले कर्ज में डूबे देश से हम एक राजकोषीय अधिशेष अर्थव्यवस्था बन गए हैं, जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि भारत का आईटी निर्यात पूरे मध्य पूर्व के पेट्रोलियम निर्यात से बड़ा है।
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