मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर
गौतमबुद्धनगर।राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह दिनांक 17 से 23 सितंबर तक पूरे भारत में मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय है फार्माकोविजिलेंस में सार्वजनिक विश्वास को बढ़ावा देनाश्। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए प्रतिकूल दवा निगरानी केंद्रए फार्माकोलॉजी विभागए गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेजए ग्रेटर नोएडा ने भारतीय फार्माकोपिया आयोग भारत सरकार के तत्वावधान में दवा सुरक्षा और प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया; एडीआर निगरानी के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सप्ताह के लिए सूचनात्मक और आकर्षक कार्यक्रमों की एक लाइनअप की योजना बनाई है। ग्रेटर नोएडा के गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ0 राकेश गुप्ता के मार्गदर्शन और समर्थन में कार्यक्रमों की योजना बनाई गई थी। दिनांक 17.23 सितंबर, 2023 से फार्माकोविजिलेंस सप्ताह मनाने के लिए पूरे सप्ताह के कार्यक्रमों की योजना बनाई गई।संस्थान में फार्माकोविजिलेन्स सप्ताह का शुभारम्भ संस्थान के निदेशक डा0 ब्रिगे0 राकेश गुप्ता के निर्देशन में दिनांक 18 सितंबर को एमबीबीएस छात्रों व संकाय द्वारा उद्घाटन समारोह के साथ हुआ। समारोह में स्वास्थ्य देखभाल में फार्माकोविजिलेंस के महत्व पर जोर दिया और बताया गया कि यह रोगी सुरक्षा में कैसे योगदान देता है। साथ ही प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया रिपोर्टिंग के बारे में जागरूकता पर बात की। इस अवसर पर एमबीबीएस छात्रों ने फार्माकोविजिलेंस जागरूकता पर अपने विचार प्रस्तुत किएए एमबीबीएस छात्रों ने दस-दस के समूहों में रंगोली प्रतियोगिता में भाग लिया और फार्माकोविजिलेंस के विषय से संबंधित अपनी कलात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता का निर्णय सम्मानित संकाय सदस्य डॉ सी डी त्रिपाठीए एचओडी और फार्माकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ सी डी त्रिपाठी, डॉ अमित शर्मा, एचओडी फोरेंसिक मेडिसिनए डॉ आइजेन भट्टाचार्य, आचार्य, बायोकैमिस्ट्री ने किया। स्किट प्रतियोगिता में छात्रों ने मनोरंजक तरीके से दवा सुरक्षा और सतर्कता के महत्व को व्यक्त करने के लिए नाटकीय तरीकों का उपयोग किया। इस कार्यक्रम के निर्णायक मंडल में फार्माकोलॉजी के एचओडी और प्रोफेसर डॉ सी डी त्रिपाठी, बायोकैमिस्ट्री के प्रोफेसर डॉ आइजेन भट्टाचार्य, फार्माकोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ एकता अरोड़ा और फार्माकोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ मणि भारती शामिल थे।
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