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140 करोड लोगों के सुरक्षित भविष्य के लिए बलिदान हुए , भारत मां के इन वीर सपूतों को नमन

विशेष संवाददाता‌ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स।
नोएडा/जम्मू-कश्मीर: अनंतनाग मे 140 करोड लोगों के सुरक्षित भविष्य के लिए , भारत मां के इन वीर सपूतों ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए , बलिदानीयों को नमन्। 
देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हुए भारतीय सेना और पुलिस के इन महान वीरों ने  क्षणभर भी यह नहीं सोचा कि उनके बाद उनके माता-पिता, पत्नी बच्चे , भाई बहन  कैसे जिएंगे और उनका क्या हाल  होगा। इस देश में लोग अपने स्वार्थ , लाभ- हानि और राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण , नफरत की आग में इस कदर जल रहे हैं और अंधे हो गए हैं कि.
1. वो सेना द्वारा  देशहित में की गई प्रत्येक  करवाई पर  शक और उंगली उठाते है  और झूठा प्रचार करते हैं ।
2. राजनीतिक  पार्टियों के सपोर्टर  अपने  निजी फायदे , स्वार्थ और अपनी पसंद ना पसंद के कारण उन पार्टियों का गुणगान और जय जयकार करते हैं , जो सत्ता पाने के लिए देशद्रोह में लिप्त लोगों की खुले रूप से सहायता और वकालत करती हैं । लोकतंत्र में सरकारें आती जाती रहती हैं और सभी का  काम करने का तरीका अलग-अलग है । आप उन्हें पसंद या ना पसंद कर सकते हो लेकिन 
1. क्या हम , अपने  राजनीतिक स्वार्थ के कारण इतने स्वार्थी हो गए हैं कि  , हमें अपने देश और आने वाली पीढ़ियों  का भविष्य भी दाव पर लगा दे।
2. क्या हमारा राजनीतिक स्वार्थ देश के स्वाभिमान और अखंडता से भी सर्वोपरि है ? और क्या हम अपने क्षणिक भौतिक सुख और बड़प्पन के लिए के लिए , अपनी संवेदनाएं , भावनाओं , संस्कारों  और आत्मा की भी तिलांजलि दे दे ?
यह देश  सबका है सरकार में बैठे लोगों का ही नहीं , आज वो है , कल को कोई दूसरा होगा और परसों कोई तीसरा होगा ।
 एक पल को निष्पक्ष होकर ईमानदारी से सोचो
1. क्या हमें उन पार्टियों और लोगों का समर्थन करना चाहिए जो खुले रूप से  देशद्रोही लोगों और शक्तियों का समर्थन करते हैं?
2. क्या हमें इतना निष्ठुर होना चाहिए  कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए हम देश और आने वाले पीढ़ियों का अस्तित्व ही खतरे में डाल दे ।
3. अगर ये वीर सपूत आपके भाई या आपके परिवार के सदस्य होते हैं तो फिर भी क्या आप की विचारधारा यही होती या राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठकर कुछ देश प्रेम जागता ? पहले भी और कल भी भारत मां के वीर सपूतों ने अपने देश और देश की जनता के लिए  बलिदान दिया है , तो क्या हमारा कर्तव्य नहीं बनता कि हम देश के अहित में  काम करने वाली शक्तियों का गुणगान ना करें। अपने प्राणों की आहुति देने वाले और स्वर्ग में बैठे हुए वीरगति को प्राप्त हुए भारत मां के इन  वीर सपूतों को अपने देश की जनता से , चाहे वह किसी भी समूह , जाति, समुदाय से हो ,  यह आशा तो होगी  कि  भारत के सभी लोग देश का अहित सोचने वाली पार्टियों और लोगों  का गुनगान ना करें। _वीर सपूतों की आशाओं पर आप खरे उतरे_या_तर्क कुतर्क करें यह आपके बुजुर्गों के द्वारा दिए हुए संस्कारों पर निर्भर है।_वीर सपूतों  द्वारा दिए गए इस  सर्वोच्च बलिदान के यह देश और देश की जनता उनकी सदैव  ऋणी रहेगी।
लेखक: बलराज नागर 

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