गौतमबुद्धनगर ।उत्तर प्रदेश 12 सितंबर 2023 – उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में 12 सितंबर, 2023, मंगलवार, को हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) ने "इनोवेटिव पैकेजिंग फॉर ग्लास हैंडीक्राफ्ट्स" विषयक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को उनके उत्पाद की स्थिरता, पोर्टेबिलिटी और उपभोक्ता आकर्षण में सुधार के लिए नवीनतम पैकेजिंग रणनीतियों की जानकारी देना था।इस अवसर पर ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर.के.वर्मा ने बताया कि सेमिनार में यूपी ग्लास निर्माता और निर्यात एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री मुकेश बंसल; पैकेजिंग विशेषज्ञ और ईपीसीएच के पैकेजिंग सलाहकार डॉ. माधब चक्रवर्ती; इपीसीएच के उपनिदेशक श्री राजेश सिंह और फिरोजाबाद के 70 से अधिक निर्यातकों की गरिमामयी उपस्थिति रही। ईपीसीएच के अध्यक्ष श्री दिलीप बैद ने कहा कि 2030 तक तीन गुना निर्यात हासिल करने के अपने प्रयास में, परिषद ने डिजाइन, पैकेजिंग और प्रोडक्टिविटी पर विभिन्न हैंडहोल्डिंग कार्यक्रम शुरू किए हैं। फिरोजाबाद में आज की इस कार्यशाला का उद्देश्य हस्तशिल्प उद्योग के एक विशिष्ट सेगमेंट जो की ग्लास हस्तशिल्प के लिए पैकेजिंग से संबंधित चुनौतियों और अवसरों का समाधान करना है। उन्होंने आगे कहा कि यह कार्यशाला पैकेजिंग के लिए नवीन दृष्टिकोणों का पता लगाएगी जो हस्तशिल्प उत्पादों की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करते हुए उनकी दृश्य अपील को बढ़ाती है।
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर के वर्मा ने कहा कि कांच के हस्तशिल्प अपनी उत्कृष्ट सुंदरता और शिल्प कौशल के लिए जाने जाते हैं, लेकिन जब पैकेजिंग और परिवहन की बात आती है तो उनकी नाजुक प्रवृति को देखते हुए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इस कार्यशाला से शिल्प, कौशल और प्रभावी पैकेजिंग के बीच अंतर को पाटने का प्रयास किया गया। ग्लास मैन्युफैक्चरर एंड एक्सपोर्ट एसोसिएशन, यूपी के अध्यक्ष श्री मुकेश बंसल ने बताया कि यह कार्यशाला ग्लास हस्तशिल्प निर्यातकों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए डिज़ाइन की गई थी। ग्लास हस्तशिल्प अपनी सुंदरता और नाजुकता के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन सुरक्षित परिवहन और बाजार की तैयारी के लिए विशेष पैकेजिंग की आवश्यकता समय की मांग है। यह कार्यशाला हस्तशिल्प ग्लास क्षेत्र में निर्यातकों को पैकेजिंग समाधानों के बारे में जानकार विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाएगी, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और पर्यावरण पर प्रभाव कम होगा।ईपीसीएच के पैकेजिंग सलाहकार और पैकेजिंग डॉ. माधब चक्रवर्ती ने प्रतिभागियों को हस्तशिल्प ग्लास उत्पादों के लिए सबसे प्रभावी पैकेजिंग रुझानों के बारे में बताया। साथ ही यह भी बताया कि कांच के हस्तशिल्प व्यवसायों को अपनी पैकेजिंग को पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए क्या करना चाहिए। उन्होंने एक महीने पहले खोजपूर्ण दौरा किया और क्लस्टर आधारित निर्यातकों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर हासिल जानकारी को निर्यातकों से साझा किया। इसके साथ ही उन्होंने इस दौरान विकसित कुछ पैकेजिंग प्रोटोटाइप भी साझा किए। ये प्रोटोटाइप रत्न हस्तशिल्प उत्पादों की अनूठी जरूरतों और जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किए गए थे। प्रोटोटाइप में पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग सामग्री, कलात्मक पैकेजिंग डिजाइन और अभिनव उत्पाद प्रस्तुति शामिल थी।कार्यशाला कई मायनों में सभी हितधारकों के लिए फायदेमंद साबित हुई। कार्यशाला में पैकेजिंग तकनीकों में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना, लागत में कटौती और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए नए विचारों की खोज करना और पर्यावरण के अनुकूल ग्लास उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना शामिल रहा। प्रतिभागियों द्वारा पैकेजिंग तकनीक, पैकेजिंग विकास और विपणन से संबंधित विभिन्न प्रश्न पूछे गए। वक्ताओं ने सभी प्रश्नों को संबोधित किया और निर्यातकों को समाधान प्रदान किया और सदस्य निर्यातकों के साथ सकारात्मक बातचीत के साथ समापन किया।ईपीसीएच दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारतीय हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने और उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प उत्पादों और सेवाओं के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेशों में भारत की छवि और होम,जीवनशैली,कपड़ा, फर्नीचर और फैशन आभूषण और सहायक उपकरण के उत्पादन में लगे क्राफ्ट क्लस्टर के लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड इमेज बनाने के लिए जिम्मेदार एक नोडल संस्थान है। इस अवसर पर ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर के वर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान हस्तशिल्प निर्यात 30019.24 करोड़ रुपये (3728.47 मिलियन डॉलर) रहा।
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