ग्रेटर नोएडा: वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अलंकार शर्मा ने बताया कि DFCC की WDFC परियोजना के दादरी-JNPT लाइन के न्यू दादरी स्टेशन के पास घना जनसंख्या का क्षेत्र है । इस सेक्शन में दादरी से रेवाड़ी तक का और आगे के सेक्शन भी सिद्ध हो चुके हैं। प्रधानमन्त्री उद्घाटन कर चुके हैं और डबल डेकर ट्रेन चल भी रही हैं । देखा जाये तो प्रोजेक्ट पूरा हो गया है। देश विकसित हो रहा है, प्रगति पर है पर अब बात आती है आस-पास के सेक्टर, सोसाइटी और गावों में रहने वाले आमजनों और उन लोगों की जो इस रेलवे लाइन के द्वारा काटे गये मार्ग का प्रयोग गाजियाबाद, नोएडा से ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे जाने के लिये करते हैं । यह सड़क ग़ाज़ियाबाद और ग्रेटर नोएडा वेस्ट को ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए मुख्य मार्ग है । चाहें बड़े कंटेनर ले जाने वाले ट्रक हों या कार और मोटरसाइकिल से आने जाने वाले जन, ये सड़क उनके लिए बहुत आवश्यक है । इसे 130 मीटर रोड के नाम से और गूगल मैप में ग्रेटर नोएडा वेस्ट लिंक रोड के नाम से पहचाना जाता है। इस सड़क पर जब रेलवे लाइन डली तो साथ ही साथ रेलवे लाइन के ऊपर से आने और जाने के लिये फ़्लाइओवर और इसी प्रकार अंडरपास बनाने का कार्य भी प्रारंभ हुआ । प्रभावित निवासियों और इस मार्क का प्रयोग करने वाले लाखों लोग गत 3 वर्षों से घटिया वैकल्पिक मार्गों, गड्ढे, हिचकोलों, कभी रोड़ी-बजरी और कभी कीचड़ पानी से हो कर अपने गंतव्य की यात्रा करने को विवश हैं । रेल चल गई, काम ख़त्म, फ़्लाइओवर आधे बने, अंडरपास वर्षा में झील और गर्मी में धूल के रेगिस्तान बन जाते हैं । इन नागरिकों और मार्ग प्रयोग करने वालों की विवशता सुनने को ना ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी तैयार है ना एल एंड टी जो प्रोजेक्ट बना रही है और ना डीएफ़सीसी एयर यूपीएसआईडीए । ट्विटर पर, फ़ेसबुक पर ईमेल से व्यक्तिगत बातचीत से कई अभियान चले पर ज़िम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही । इस प्रोजेक्ट के पास में पैरामाउंट गोल्फ फारेस्ट, डिज़ाइन आर्क, ओएसिस ग्रांड वैनेशिया, शिवालिक होम्स, एवीजे हाईट्स, स्टेलर एमआई, मिगसन ग्रीन मेन्शन, साकीपुर, तिलपता, गुलिस्तानपुर जैसी कई घनी आबादी वाली सोसाइटी और गाँव तो हैं ही, सूरजपुर साईट सी जैसा बड़ा औद्योगिक क्षेत्र भी है। बच्चों को विद्यालय जाने, महिला पुरुषों को कार्यालय जाने और दैनिक आवश्यकताओं के लिए ग्रेटर नोएडा के अन्य सेक्टर, परिचौक जाने के लिए प्रतिदिन जद्दोजहद करनी पड़ती है । इसे देख कर दादरी में बने रेलवे ओवरब्रिज की याद आ जाती है, जिसे प्रस्ताव से धरातल पर पूर्णावतार तक आने में लगभग 15 वर्ष का समय लग गया । इसी तरह यहाँ का ओवरब्रिज भी खड़ा है,2-3 माह से ना कोई काम चल रहा है, ना कोई ढाँढस ही बँधाता है कि हाँ निकट भविष्य में ये बन जायेगा । क्या ये अंडरपास, ओवरब्रिज ऐसे ही रह तकेंगे ? अब तो अधबने फ़्लाइओवर की मिट्टी पर उगी घास को चरने आस पास से मवेशी भी आने लगे हैं । कोई तो सुने ?!?
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