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गलगोटियास विश्वविद्यालय में ग्रेटर नोएडा शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल हुआ शुभारंभ।

मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर 
कलाकार की कला से भविष्य आकार लेता है : गजेंद्र चौहान

गौतमबुद्धनगर।दो दिन चलने वाले ग्रेटर नोएडा शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल का गलगोटिया विश्वविद्यालय में शुभारंभ हो गया। प्रेरणा मीडिया शोध संस्थान और गलगोटिया विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हो रहे फिल्म फेस्टिवल का जाने माने कलाकार महाभारत में धर्मराज युधिष्ठिर की भूमिका निभा चुके गजेंद्र चौहान ने कार्यक्रम में शामिल अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित करके किया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में कार्यक्रम के संयोजक ने अतिथियों का परिचय कराया। उपस्थित अतिथियों में फिल्म लेखक और निर्देशक आकाश आदित्य लांबा, टेलीविजन और फिल्मों की जानी मानी कलाकार सुप्रिया शुक्ला आदि शामिल हुए। संयुक्त क्षेत्र प्रचारक प्रमुख कृपा शंकर, क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम सिंह, गलगोटिया यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार नितिन गौर तथा कुलाधिपति की सलाहकार रेनू लूथरा ने सभी अतिथियों का आथित्य अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह के साथ स्वागत कर के किया।उद्घाटन सत्र में ऐतिहासिक सीरियल महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका निभा चुके गजेंद्र चौहान ने कहा कि कलाकार वह है जो अपनी कला से भविष्य को आकार देता है।  कला अपना रास्ता ढूंढ ही लेती है। कलाकार वही है जिसके अंदर जिज्ञासाएं हैं। कभी किसी को जीवन में हार नहीं माननी चाहिए, प्रयास से निश्चित रूप से एक दिन सफलता मिलती है। पटकथा लेखक और निर्देशक आकाश आदित्य लांबा ने सभा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं भी कभी छात्र रहा हूं, सभी व्यक्ति जीवन भर कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं। उन्होंने भारतीय सिनेमा की गुणवत्ता पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि सिनेमा में इनोवेशन आवश्यक है।  हमें इन्नोवेटिव होना चाहिए। भारत में सकारात्मकता का नया माहौल बन रहा है। हम सभी को भारतीय संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए। अपनी मूलभूत और ओरिजिनिलिटी को ध्यान में रखना चाहिए। भारत विश्व गुरु रहा था, पुनः विश्व गुरु बनेगा। आकाश आदित्य लांबा गदर जैसी फिल्मों के सह निर्देशक रह चुके हैं।टेलीविजन और फिल्मों की जानी-मानी कलाकार सुप्रिया शुक्ला ने कहा कि हमें अपनी फिल्मों में अपनी संस्कृति दिखानी चाहिए। दुनिया के तमाम देश अपने सिनेमा में अपनी संस्कृति को गौरव के साथ दिखाते हैं। हमारे पास तो संस्कृति के विविध तत्व मौजूद हैं, जिन्हें सिनेमा के जरिए दर्शकों तक पहुंचाया जा सकता है। हमें सिनेमा के जरिए अपनी संस्कृति को समृद्ध बनाना है।संयुक्त क्षेत्र प्रचारक प्रमुख कृपा शंकर ने कहा कि जला हुआ दीपक ही बुझे हुए दीपकों को जला सकता है। हजार बुझे हुए दीपक एक दीपक नहीं जला सकते, लेकिन एक जला हुआ दीपक हजारों बुझे हुए दीपकों को जला सकता है हम सभी को जला हुआ दीपक बनना है। आने वाले समय में भारत की संस्कृति पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगी। सिनेमा इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।क्षेत्र प्रचारक प्रमुख पदम सिंह ने कहा कि हमें आने वाले 25 वर्षों के लिए अपनी भूमिका तय करनी है। विश्व गुरु भारत और बसुधैव कुटुंबकम भारत के लिए अपनी वर्तमान में अपनी भूमिका तय करनी है। आने वाले समय में भारत निश्चित रूप से विश्व गुरु बनेगा। हमें अपने अंदर झांकना है और अपनी भूमिका तय करनी है। हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पहचानना होगा। फिल्मों का समाज पर गहरा प्रभाव होता है। फिल्में भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।धर्म जागरण मंच, उत्तर क्षेत्र के प्रमुख राकेश ने कहा कि कला सभी के अंदर होती है, लेकिन उसका सही उपयोग करना आना चाहिए। कला का प्रयोग राष्ट्र उत्थान में करना चाहिए।गलगोटिया विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नितिन गौड़ ने कहा कि आम लोग कला और कलाकार को अपने जीवन में उतारते हैं, इसलिए उनकी ज़िम्मेदारी भी बढ़ जाती है। कलाकार और कला की पहचान पात्र की महानता से भी होती है।गलगोटिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति की सलाहकार रेनू लूथरा ने सभी अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि मीडिया परिवर्तन का इंस्ट्रूमेंट है। देश में राष्ट्रभक्ति की भावना बढ़ रही है, देश विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि फिल्मों से घटनाओं को अनुभव किया जा सकता है। कला को जीवंत करने के लिए भावनाएं और प्रयास लगते हैं। उन्होंने कश्मीर फाइल और केरल स्टोरी का उदाहरण देकर अपने अनुभव के बारे में बताया। ग्रेटर नोएडा शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल के प्रथम सत्र के प्रारंभ में गलगोटिया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डीन डॉ आज्ञाराम पांडे ने कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। उन्होंने कहा कि फिल्म फेस्टिवल में देश के विभिन्न राज्यों  से 200 से अधिक फिल्मों की एंट्री आईं, जिसमें 111 फिल्मों को फेस्टिवल की थीम के अनुसार सही पाया गया। फिल्मों की समीक्षा फिल्म जगत से जुड़े लोगों द्वारा की गई और उनमें से श्रेष्ठ का चयन किया गया। प्रथम सत्र के अंत में राष्ट्रगीत का गायन हुआ। फेस्टिवल के द्वितीय सत्र में गजेंद्र चौहान ने 'फिल्म मेकिंग की मास्टर क्लास' में कलाकारी के गुर बताए। साथ ही उन्होंने कलाकार के सामने आने वाली चुनौतियां के बारे में भी बारीकी से समझाया। इंटरएक्टिव सेशन के दौरान छात्रों और उपस्थित लोगों ने उनकी कला और अनुभव के बारे में प्रश्न पूछे जिनके जवाब उन्होंने अपने अनुभव के साथ दिया। कार्यक्रम के तृतीय सत्र में फिल्मों के एजेंडें पर बात की गई। फिल्में केवल मनोरंजन का ही माध्यम नहीं है बल्कि वह अपना एक उद्देश्य और संदेश भी प्रेषित करते हैं। तृतीय सत्र में विष्णु शर्मा, क्षमा त्रिपाठी और नीतू कुमार ने 'ओपन फोरन, लोकप्रियता; समाज संवर्धन और फिल्म समीक्षा विषय पर अपने विचार रखे।


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