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जीबीयू के बौध अध्ययन विभाग के विदेशी छात्रों ने वियतनाम का बौध पर्व वू-लान मनाया ।


मनोज तोमर दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स ब्यूरो चीफ गौतमबुद्धनगर 
गौतमबुद्धनगर।आज वियतनाम बौध परंपरा के अनुसार अपने पूर्वजों, माता-पिता और शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए वु-लान पर्व जीबीयू में बौध-अध्ययन विभाग के विदेशी छात्रों ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जिसमें विदेशी छात्रों के अलावा विश्वविद्यालय के कुलपति, अधिष्ठाता शैक्षणिक एवं बौध अध्ययन विभाग के शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। यह त्यौहार वियतनाम में लोकप्रिय बौद्ध त्यौहारों में से एक है। इस त्योहार का भारतीय जुड़ाव है या हम कह सकते हैं कि यह साझा बौद्ध विरासत का प्रमाण है जो भारत से चीन होते हुए वियतनाम और अन्य बौद्ध देशों तक पहुंचा है। यह कहानी मौदगल्याना से जुड़ी है, जिसने अपनी मां को नर्क की यातनाओं से बचाया था और मान्यता के अनुसार इस विशेष दिन नरक का द्वार खुलता है ताकि दिवंगत आत्मा रिश्तेदारों द्वारा दी गई भिक्षा और उपहार स्वीकार करने के लिए पृथ्वी पर आ सके। चीन में इसे युलान पेन कहा जाता है जबकि भारत में इसे उलम्बन कहा जाता है।इस कार्यक्रम का आयोजन वियतनाम के बौद्ध छात्रों द्वारा किया गया था जो मुख्य रूप से वियतनामी बौद्ध धर्म की खत-सी परंपरा से संबंधित हैं। कार्यक्रम का समन्वय आदरणीय भिक्षु न्गुयेन दुय चुओंग और आदरणीय भिक्षु तू खाक हाई द्वारा किया गया और अध्यक्षता आदरणीय भिक्षु लीम ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर रवींद्र कुमार सिन्हा, कुलपति, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, प्रोफेसर एन पी मेलकानिया, और बौद्ध अध्ययन विभाग के संकाय सदस्य और जीबीयू के विदेशी छात्र थे। प्रोफेसर सिन्हा पूरे कार्यक्रम को छात्रों द्वारा आयोजित करने के तरीके से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने इस महोत्सव के बारे में भी जाना। उन्होंने निमंत्रण और वियतनामी बौद्ध परंपरा के बारे में और अधिक जानने के अवसर के लिए अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। प्रोफेसर मेलकानिया ने भी अपना अनुभव व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ अरविन्द कुमार सिंह, डॉ चंद्रशेखर पासवान, डॉ प्रियदर्शिनी मित्र, डॉ ज्ञानदित्य शाक्य, डॉ चिंतल वेंकट सिवासाई, डॉ मनीष मेशराम, डॉ विमलेश कुमार राय, एवं बौध छात्रों ने भाग लिया।

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