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अधिवक्ता परिषद ब्रज द्वारा मृत्यु कालिक कथन के संदर्भ में स्वाध्याय मंडल का हुआ आयोजन

कर्मवीर आर्य संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर।
ग्रेटर नोएडा। अधिवक्ता परिषद ब्रज की गौतमबुद्धनगर इकाई द्वारा मृत्यु कालिक कथन (Dying Declaration) के संदर्भ में स्वाध्याय मंडल का आयोजन दिनांक 19 मई 2023 दिन शुक्रवार को बार एसोसिएशन के सभागार में आयोजित किया। कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों के मंच पर आगमन एवं राष्ट्रगीत के साथ हुआ। सभागार में उपस्थित अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता चौधरी हरिराज सिंह वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा धारा 32 भारतीय साक्ष्य अधिनियम में वर्णित मृत्यु कालिक कथन के विषय में विस्तार से बताया की वह मृतक का कथन उसकी मृत्यु के कारण के सम्बन्ध में होता है। इसके लिए यह आवश्यक नहीं है की उसे कथन के समय अपनी मृत्यु का अंदेशा हो।सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मृत्यु कालिक कथन साक्ष्य के मूल सिद्धांतो का अपवाद है और इसका आधार उस अवधारणा पर है कि "मृत्यु शय्या पर व्यक्ति झूंठ नहीं बोलता"। परन्तु मृत्यु कालिक कथन पर तभी विश्वास किया जा सकता है जब यह सिद्ध हो जाये की वह विधि द्वारा स्थापित अव्यवों को पूर्ण करता है। मृत्यु कालिक कथन यदि सत्य सिद्ध हो जाता है तो उसको किसी अन्य साक्षी के समर्थन की आवश्यकता नहीं रहती। उन्होंने उकाराम बनाम राजस्थान सरकार और उमाकांत व अन्य बनाम छत्तीसगढ़ में प्रतिपादित उक्त सिद्धांत को विस्तार से रखा। इसके विपरीत मृत्यु कालिक कथन पर विश्वास न करने के सिद्धांत पर भी प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा की यह साक्ष्य "सर्वोत्तम" की श्रेणी में नहीं रखी जा सकती है क्योंकि इसमें शपथ नहीं होती, यह सुनी-सुनाई साक्ष्य की परिधि में आती है, इसमें कथन करने वाले व्यक्ति की भाव भंगिमा का उल्लेख नहीं किया जाता, यह अभियुक्त की अनुपस्थिति में होती है उसकी प्रतिपरीक्षा ही नहीं होती। मृत्यु कालिक कथन के प्रकार पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि वह इशारों से, मौखिक अथवा लिखित तथा प्रश्न उत्तर के रूप में जाना जाता है। मुनियप्पन बनाम मद्रास राज्य में सर्वोच्च न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि जब मृत्यु कालिक कथन अधूरा हो परन्तु अपराध का वर्णन पूर्ण हो तो भी उसपर विश्वास किया गया है। उन्होंने बताया की मृत्यु कालिक कथन को अतिशीघ्र अभिलिखित किया जाना चाहिए, उसको दर्ज करने में की गई देरी अभियोजन के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। मुख्य वक्ता ने आगे बताया कि यह सुनिश्चित किया जाना अति अवश्य है मृत्यु कालिक कथनकर्ता की मानसिक स्थित बयान देने लायक़ थी। मानसिक स्थिति जाँचने हेतु केवल चिकित्सक का प्रमाण पत्र पर्याप्त नहीं है। स्वाध्याय मण्डल में विषय प्रवेश सत्यम पहल अधिवक्ता द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम का सफल संचालन  सरीता मलिक द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष अमित शर्मा द्वारा किया गया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ । सभागार में सभागार में- राजेंद्र नागर एडवोकेट पूर्व अध्यक्ष, रामशरण नागर एडवोकेट पूर्व अध्यक्ष, नितिन त्यागी जी, सुमन नागर, ध्रुव रस्तोगी, राकेश वर्मा, किशन लाल पराशर, प्रवीण कुमार, मोहित यादव, उदित नागर, नरेंद्र टाईगर, देवा भाटी, धर्मेंद्र नागर सहित सैकड़ों अधिवक्ताओं की गोष्ठी में सहभागिता रही।

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