मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स
संवाददाता, धौलाना।रविवार शाम को धौलाना के जी आर एस पब्लिक स्कूल परिसर में हिंदी साहित्य भारती अंतर्राष्ट्रीय द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता करते हुए संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष, प्रोफेसर, पूर्व प्राचार्य डा वागीश दिनकर ने पढ़ा कि - नित्य लगाने को बाजी रहते तत्पर प्राणों की।इतिहासों में अंकित गाथा धौलाना बलिदानों की।
संस्था के जिला अध्यक्ष दिनेश त्यागी ने पढ़ा कि -
बाबा जी के खौफ से दुनिया है भयभीत।
तुलसी बाबा कह गए भय बिन नाही प्रीत।
कवि विजय वत्स ने पढ़ा कि -
मेरा देश है महान जाने सारा ये जहान इस पर नाज मुझको।
इसके कण कण में भगवान इस पर नाज मुझको।
डा सतीश वर्धन ने पढ़ा कि -
मां भी महान है पिता भी महान है।
कदमों में दोनों के ही सारा जहान है।
कवि अशोक गोयल ने पढ़ा कि -
शहीदों की शहादत पर मुझे एक गान लिखना है।
मुझे सागर के सीने पर भी हिंदुस्तान लिखना है।
संचालन कर रहे कवि ओमपाल सिंह विकट ने निकाय चुनाव से जुड़ी अपनी नवीनतम रचना पढ़ते हुए कहा कि -
छोड़ के ए सी दौड़ रहे वो चप्पल तक ना पाँव में।
हालत बद से बदतर हो गई नेता जी की चुनाव में।
क्षेत्र के मशहूर शायर अमरपाल चौहान अमर ने पढ़ा कि -
टूटी कश्ती में ढोते रहे उम्र भर ना खुदा भी मिले तो ऐसे मिले।
गिर पड़े शाख से टूटकर खुद ब खुद गुल खिले भी चमन में तो ऐसे खिले।
कवि गंगाशरण शर्मा ने पढ़ा कि -
मेरी यही समझ में आए मैं हथियार उगाऊं।
गेंहूँ जौ के बदले दादा पिस्टल ही लगवाऊं।
आयोजक पुष्पेंद्र पंकज ने पढ़ा कि -
यदि उस ओर जाओ जिधर अड़चनें हैं।
तो संकट से लड़कर दिखाना मेरे लाल।
लोकेश शर्मा विचित्र ने पढ़ा कि -
दुश्चक्र कुछ ऐसे चला मेरे चहेते रिश्तों में।
पल पल टूटा स्नेह विश्वास घटा किश्तों में।
नगेंद्र सिसौदिया ने पढ़ा कि -
मंहगाई यूँ कर रही निशदिन हम पर वार।
जैसे नन्हे दीप पर आंधी करे प्रहार।
मोनू राणा ने पढ़ा कि -
देखो झूल गए फांसी पर अपने तीन जवान।
भारत मां के लाडले कर गए जो बलिदान।
देवेंद्र सिसौदिया देव मित्र ने पढ़ा कि -
सच में झूठ के रंग सदा घोले नहीं जाते।
सच तो ये है हमसे झूठ बोले नहीं जाते।
ओज के प्रबल हस्ताक्षर, आयोजक सौरभ राणा ने पढ़ा कि -
हम यहाँ राष्ट्र के हितार्थ पढ़ते हैं काव्य।
ताकि देशभक्ति की आग जलती रहे।
वीर रस के शानदार कवि मोहित शौर्य ने पढ़ा कि -
कामयाबी के जोश और जूनून तक जाएगा।
गाँव का रास्ता है सुकून तक जाएगा।
शब्दों के जादूगर कहे जाने वाले कपिल वीर ने पढ़ा कि -
जमाना साथ ना दे तो कभी मायूस मत होना।
हुनरमंदों के संग में काफिले कम ही निकलते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि राजकुमार सिसौदिया ने अपनी दमदार रचनाओं से रोंगटे खड़े कर दिए। उन्होंने पढ़ा कि -
भारती का भाल है ये प्यारा काश्मीर मेरा, भारती का भाल कोई छूने नहीं पाएगा।विद्यालय के प्रबंधक जसवन्त राणा व कवि अशोक प्रयासी का सभी कवियों एवं आयोजक मंडल ने स्वागत किया।
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