" हम वही हैं जो हम बार-बार करते हैं श्रेष्ठता आपके काम में नहीं बल्कि आपकी आदतों में है।"
गौतम बुध नगर एनटीपीसी डीपीएस, एनटीपीसी, विद्युत नगर के एमपी हॉल में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का विषय विद्यार्थियों में व्यक्तित्व विकास तथा सकारात्मक दृष्टिकोण जाग्रत करना था। इस कार्यशाला के स्रोत कर्ता एनटीपीसी विद्युत नगर, दादरी के पूर्व एच. ओ. एच. आर. श्री वी. शिवा प्रसाद जी थे। श्री वी. शिवा प्रसाद डीपीएस, विद्युत नगर के प्रो-वाइस चेयरमैन भी रहे हैं। सेवानिवृत्त होने के पश्चात वे विद्यालय से जुड़कर विद्यालय के लाभार्थ अपनी सेवाएं देकर विद्यार्थियों तथा शिक्षक गणों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं।कार्यशाला का आरंभ प्रधानाचार्या श्रीमती पूनम दुआ के संबोधन भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने स्रोत कर्ता श्री वी. शिवा प्रसाद जी का परिचय दिया, साथ ही दुशाला भेंट कर उनका सम्मान किया।श्री वी. शिवा प्रसाद जी ने कार्यशाला के आरंभ में विद्यार्थियों को महाभारत के उदाहरण देकर जीवन की वास्तविकता से परिचित कराया।इस कार्यशाला का उद्देश्य वर्तमान जीवन में व्यक्तित्व विकास के महत्व के साथ-साथ जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना था। यह सत्य है कि प्रत्येक मनुष्य का स्वभाव जीवन के प्रति उसके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। वर्तमान समय की व्यस्ततम जीवन शैली एवं दिनचर्या में हम व्यक्तित्व के विकास तथा सकारात्मक दृष्टिकोण की तरफ ध्यान ही नहीं दे पाते हैं। स्रोत कर्ता ने विभिन्न खिलाड़ियों तथा महापुरुषों का उदाहरण देकर विद्यार्थियों को उनके जीवन से सीख लेने के लिए प्रेरित किया। साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरणात्मक पुस्तकें पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने विद्यार्थियों को सतत प्रयास करने तथा जीवन में श्रेष्ठतम प्रदर्शन करने के लिए भी उत्साहित किया। स्रोत कर्ता ने युवा पीढ़ी को समय का महत्व समझाने के लिए अंग्रेज़ी भाषा के महान कवि रुडयार्ड कपिलिंग की कविता 'इफ़' का उदाहरण भी दिया। कार्यशाला के अंत में स्रोत कर्ता ने विद्यार्थियों को शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक रूप से भी स्वस्थ रहने हेतु निरंतर प्रयास करते रहने का सुझाव दिया। स्रोत कर्ता ने विद्यालय के सभी शिक्षक गणों के साथ मिलकर सीखने की प्रक्रिया पर बल दिया। साथ ही विद्यार्थियों में जीवन के प्रति उत्साह तथा सीखने के प्रति रुझान रखने का संदेश दिया।समग्र रूप से कार्यशाला सफल रही।
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