विचार,अब जबकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अपने चरम पर है तो भाजपा चुनावी समर्थन जुटाने में शुद्ध रूप से सांप्रदायिक मंच के सहारे है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने भाजपा के चुनाव प्रचार का मुख्य तौर पर कर दिया है जिसमें सांप्रदायिकता एवं मुस्लिम विरोधी बयानबाजी की भरमार है योगी आदित्यनाथ जी ने 80 बनाम 20 के मुकाबले की बात कही है जो हिंदू और मुस्लिम आबादी के अनुपात के लगभग करीब करीब है 20% में वे हैं जो राम मंदिर व काशी विश्वनाथधाम के खिलाफ हैं माफिया और आतंकवादियों के हमदर्द हैं उन्होंने समाजवादी पार्टी पर जिन्ना व पाकिस्तानी प्रेमी होने और आतंकवादियों का संगी होने का ठप्पा लगाने की कोशिश की है योगी जी ने ट्वीट किया है कि वह जिन्ना के भक्त हैं हम सरदार पटेल की पूजा करने वाले है साम्प्रदाइक सन्देश देने मे अमित शाह भी पीछे नहीं हैं उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में पहले भाजपा ने हिंदुओं का पलायन होने का हव्वा खड़ा किया था जिसका बड़ा शोर मचाया था क्या में समाजवादी पार्टी की सरकार के समय में मुसलमान माफियाओं की धमकियों की वजह से पलायन करना पड़ा था उन्होंने सपा पर भाजपा नेताओं खिलाफ झूठे मुकदमे लगाने का भी आरोप लगाया उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मथुरा में ईदगाह मस्जिद की जगह पर मंदिर बनाने का मुद्दा भी उठा रहा है बरहाल सांप्रदायिक एजेंडे पर तथा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश पर भाजपा का यह जोर वास्तव में ऐसा लगता है कि भाजपा अपने पांव तले से जमीन खिसक की देकर बदहवास हो रही है ऐतिहासिक किसान आंदोलन उस जाट मुस्लिम खाई को बहुत हद तकपाठ दिया है जो 2013 के सितंबर के मुजफ्फरनगर दंगों ने पैदा कर दी थी अब मुस्लिम विरोधी भावनाओं को उभारने और पुरानी शिकायतों को कुरेदने के जरिए फिर से साम्प्रदायिक खाई को उभारने की कोशिश की जा रही है अन्य पिछड़ावर्ग के अनेक मंत्रियों व विधायकों के भाजपा से नाता तोड़ने और समाजवादी पार्टी में शामिल होने से साफ हो गया कि भाजपा के लिए 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह गैर यादव पिछड़ी जातियों को गोलबंद करने के मौके बहुत ही कम रह गए सीएमआईई के आंकड़े दिखाते हैं कि उत्तर प्रदेश में रोजगार की दर 2016 के दिसंबर के 38.5 फीसद के स्तर से गिरकर 2021 के दिसंबर में 32.8% रह गई थी योगी आदित्यनाथ के रोजगार देने के दावे हवा-हवाई साबित हो गए ऐसे में जाहिर है कि भाजपा के लिए यही सुरक्षितहै की वह अगर अन्ना जिन्ना की रट लगाए और सभी भाजपा विरोधहियो को जिन्ना का अनुयायी बताएं।
लेखक: गजेन्द्र खारी एडवोकेट
0 टिप्पणियाँ