-->

दिल्ली पब्लिक स्कूल, विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया गया


 मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर
गौतम बुद्ध नगर विश्व स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली पब्लिक स्कूल, एनटीपीसी विद्युत नगर में कक्षा 7 से 10 तक के विद्यार्थियों के लिए एक विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस प्रार्थना सभा का उद्देश्य विद्यार्थियों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना था। प्रार्थना सभा का शुभ आरंभ दीप प्रज्वलन तथा गणेश स्तुति से किया गया। इसके पश्चात कक्षा 10 के विद्यार्थियों ने योगा तथा विभिन्न प्राणायाम के प्रदर्शन से सभी का मन मोह लिया। इस अवसर पर सम्मानित अतिथि डॉ. पी. चीना चावला 'द हेल्थ ट्रस्ट' की संस्थापिका और एक प्रमाणित योगा और ध्यान चिकित्सक ने अच्छे स्वास्थ्य के रहस्य पर बात की। उन्होंने हमारे स्वास्थ्य की तुलना एक अच्छी तरह से तेल लगे 'दीप' से की और खुद को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रखने के रहस्य सभी से साझा किये। उन्होंने छात्रों एवं शिक्षक-गण  को प्राणायाम अभ्यास भी करके दिखाएं। छात्रों ने उनकी देखरेख में ध्यान भी किया।विशिष्ट अतिथि डॉ शैलेंद्र कुमार (सीएमओ, एनटीपीसी अस्पताल) ने 11 से 16 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों में इंटरनेट की बढ़ती हुई लत के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ध्वनि प्रदूषण जैसे छिपे हुए प्रदूषण को गंभीरता से संबोधित किया जाना चाहिए। सामुदायिक स्वास्थ्य व्यक्तिगत स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य और स्वच्छता के साथ-साथ अपने परिवेश का भी ध्यान रखना चाहिए। विद्यालय की    प्रधानाचार्या    सुश्री पूनम दुआ ने इस अवसर पर अतिथियों को अपनी उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया और उनके अमूल्य ज्ञान के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने 2 घंटे के लंबे सत्र के दौरान अनुशासित और सीखने के प्रति ईमानदार रहने के लिए छात्रों की सराहना की। वह चाहती थी कि डीपीएस विद्युत नगर उनके माध्यम से दुनिया में शांति लाए। उन्होंने इस अवसर पर श्लोक का पाठ किया और एक स्वस्थ व्यक्ति को परिभाषित करने का अर्थ समझाया–
समदोष: समाग्निश्च समधातुमलक्रिय:। प्रसन्नात्मेन्द्रियमना:  स्वस्थ इत्यभिधीयते।अर्थात् शरीर मन : स्वास्थय लक्षण-जिसके (सत्वादिगुण तथा  वातादि) दोष (जठर तथा काय की) अग्नि ,(रसादिसप्त) धातु (पुरषादि) मल इनकी क्रियाएँ सम हो तथा जिसकी आत्मा, इन्द्रियाँ तथा मन प्रसन्न हो वह स्वस्थ्य कहलाता है । एक स्वस्थ व्यक्ति को उस व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया जिसमें दोष संतुलन में होना चाहिए। पाचन-अग्नि संतुलित अवस्था में हो और अपशिष्ट सामान्य, संतुलित अवस्था में काम कर रहे हों। संवेदी और भीतरी अंग, इंद्रीय अंग, मन और आत्मा भी एक सुखद बांसी में होनी चाहिए ऐसे व्यक्ति जो उन सभी क्षेत्रों में संतुलित रहता है वह स्वस्थ व्यक्ति अथवा स्वस्थ आत्मा कहलाता है।
 
 
 
 
 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ