सपनो का शहर बना सपनों का फोटो।
दादरी। जन-आंदोलन संगठन ने सरकार से मांग की है कि सरकार हाईटेक सिटी वेव-सिटी बिल्डर्स कम्पनी की पालिसी के पालन में लापरवाही करते हुए और बिल्डर्स का लेंड बैंक समाप्त कर उक्त बिल्डर्स का लाईसेंस निरस्त किया जाए। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमवीर सिंह आर्य एडवोकेट ने बताया कि दुजाना गांव का किसान प्रतिनिधिमंडल गाजियाबाद औधोगिक विकास प्राधिकरण गाजियाबाद के वीसी से मिला वेब-सिटी योजना के सम्बन्ध में मिला और मांग की कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ज्ञापन के माध्यम से हमारी बात पहुंचाई जाए। आर्य ने बताया कि दुजाना गांव के किसानों का एवं इन्वेस्टर्स का हाईटेक बिल्डर्स वेब-सिटी के प्रति दिन प्रतिदिन गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है बिल्डर्स की लापरवाही के कारण दुजाना गांव के किसान हर रोज नई-नई परेशानियों से झूज रहे हैं।आप को बताये चले कि नेशनल हाईवे 9 से सटी इंटीग्रेटेड हाइटेक टाउनशिप योजना यूपी कैबिनेट ने सन् 2021 में फिर से शुरू करने का फैसला लेते हुए परियोजना पूरा करने में समय सीमा में 5 साल का विस्तार और दे दिया था ऐसे में महानगर में उप्पल चड्डा हाईटेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की हाईटेक सिटी वेब-सिटी योजना निवेश करने वाले लोगों को घर और किसानों का जमीन का सपना पूरा होने की उम्मीद जगी थी लेकिन बिल्डर्स की लापरवाही के कारण किसानों से 2003 से ली गई जमीन लेंड बैंक पर कोई भी विकास एवं निर्माण कार्य नहीं किया गया है जिससे आसपास के किसानों का खेती करना दूभर हो रहा है।
शासन की ओर से साल 2004-5 में हाईटेक टाउनशिप योजना लांच की गई थी हाइटेक सिटी के तहत महानगर में वेब सिटी और सन सिटी में भविष्य की जरूरत को पूरा करने के लिए एक लाख आवास बनाये जाने का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन योजना के करीब 17-18 वर्ष बीतने के बावजूद वेब-सिटी को छोड़ सनसिटी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। सनसिटी योजना में सन् 2021 तक 10 फ़ीसदी की प्रगति भी नहीं हुई है। बिल्डर ने 4312 में से केवल 891 एकड़ जमीन खरीद सका योजना में बड़ी संख्या में लोगों ने भूखंड के साथ फ्लैट में निवेश करते हुए लगभग पूरी रकम जमा कर दी लेकिन फ्लैट व मकान तो दूर लोगों को जमीन तक कब्जा नहीं मिला लोगों को उम्मीद जगी थी की
गाजियाबाद हाईटेक सिटी योजना को मिली संजीवनी से लोगों के घर का सपना होगा पूरा लेकिन बिल्डर के देरी के कारण इन्वेस्टर के साथ किसान महामारी और भुखमरी के कगार पर हैं। हाइटेक सिटी वेब-सिटी के किसानों को होने वाली परेशानियां अनेक है टाउनशिप के आरंभ के समय जमीन बहुत ही कम कीमत पर लगभग 350 रूपये वर्ग गज खरीदी गई थी वर्तमान में उस भूमि को 50 हजार रुपए से ₹ एक लाख वर्ग गज के रेट में बेचा जा रहा है! अगर वर्तमान में अधिग्रहण होती तो भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2015 के तहत सर्किल रेट का रेजिडेंशियल एरिया में सर्किल रेट के अनुसार 2 गुना दिया जाना चाहिए था जिसे ने देकर गांवों की जमीन को बिल्डर्स द्वारा औने पौने दामों में खरीद कर किसानों को ठगा गया है। इतने बड़े एरिया को एक बिल्डर को 18 गांवों की जमीन देकर बिल्डर के एकाधिकार के कारण किसानों को कम कीमत देकर वर्तमान में भी लूटा जा रहा है । बिल्डर्स द्वारा खरीदी गई जमीन खाली पड़ी होने के कारण पड़ोसी किसान की खेती में आवारा पशु, जंगली जानवर, मिट्टी खदान से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है। दुजाना गांव में आज तक भी कोई विकास कार्य जैसे नाली, शिविर, सीसी रोड, स्कूल, पुस्तकालय, अस्पताल, बरातघर आदि का निर्माण नहीं किया गया है। पुरानी आबादी गांवों की किनारे कहां तक छोड़नी है नहीं बताया गया है गांवों के किसानों की आबादी बढ़ने के कारण आबादी की जमीन एक बड़ी समस्या है। गांव की कितनी जमीन हाईटेक सिटी वेव-सिटी योजना में है और कितनी बाहर है नहीं बताया गया। किसानों को अपने खेतों पर जो पुश्तैनी मकान पशुओं के लिए डेयरी आदि नहीं बनाने दिया जा रहा है किसान जाए तो जाए कहां? बिल्डर्स द्वारा जमीनों को लंबे समय तक खरीद कर कुछ भी कार्य नहीं करना। केवल एक बिल्डर को सम्पूर्ण अधिकार देकर बार-बार उसे समय बड़ाना घौर निन्दा का विषय है। दुजाना गांव में किसानों को बुरी तरह लूटा गया एवं लूटा जा रहा है किसान की जमीन बिल्डर द्वारा खरीद करने पर वह खुद उसके बच्चे बेरोजगार हो जाएंगे और रोजगार की कोई गारंटी बिल्डर द्वारा नहीं दी गई है । नाली चकरोड की जो चकबंदी के दौरान 5% बचत की जमीन किसान से काटी गई थी उस जमीन पर फ्री कब्जा करके नाली एवं चकरोड़ अवरुद्ध कर दिए गए हैं जिससे गांव के किसानों को अपने खेतों में सिंचाई के लिए पानी भी नहीं पहुंच पा रहा है । सबसे बड़ी समस्या खेती के लिए किसानों में बिल्डर्स का भय का माहौल है अगर बिल्डर्स बाज नहीं आता है तो मजबूरन संगठन को न्यायालय के दरवाजे खटखटाने होंगे। अनेकों बार शिकायत करने के बावजूद भी बिल्डर्स अपने ढुलमुल रवैया पर कायम है ।किसान शासन प्रशासन से उक्त बिल्डर्स के निस्तारण की मांग चाहता है और अन्य बिल्डर्सो को भी उक्त सिटी डेवलप में सहायक बनाया जाये जिससे बिल्डर्स की मनमर्जी पर रोक लग सके।
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