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ऐतिहासिक बाराही मेला सभ्यता और संस्कृति परंपराओं को लेकर सूरजपुर शहर को नईं उंचाईयों पर ले जाने का काम कर रहा हैः नवाब सिंह नागर




मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर

सुरेश गोला और मन्नु तंवर ने श्रवण नीर के किस्से से- नाम गांव का पता बता दे ओ, रोटी पाने वाली........., चंद्रमा से भी अच्छी तेरी सूरत प्यारी प्यारी.... और बॉबी बघेल व सुरेश गोला ने- बीच नदी में अंब राजा बहता बहता जावे, श्रवण नीर बेचारे रोते रोते रह गए किनारे..... रागनी प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी


जीआर पब्लिक स्कूल सूरजपुर के बच्चों ने अपनी सुंदर प्रस्तुतियों जैसे- जिंदगी की राहों में, रजो गम के मेले हैं........ से लोगों का मनमोह लिया, जब कि भारती पब्लिक स्कूल के बच्चों ने -संदेशे आते हैं..... और अखंड है प्रचंड है.... गीत पर विशेष प्रस्तुति देते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया






नौंवे दिन गुरूवार को मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व सिचाई राज्य मंत्री व लाल बहादुर शास्त्री गन्ना संस्थान लखनउ के अध्यक्ष नवाब सिंह नागर पहुंचे

 

गौतम बुद्ध नगर   सूरजपुर में चल रहे ऐतिहासिक प्राचीन बाराही मेला.2023 के नौंवे दिन गुरूवार को मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व सिचाई राज्य मंत्री व लाल बहादुर शास्त्री गन्ना संस्थान लखनउ के अध्यक्ष नवाब सिंह नागर पहुंचे। समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व सिचाई राज्य मंत्री नवाब सिंह नागर ने कहा कि ऐतिहासिक बाराही मेला-2023 भव्यता को लगतार छूता जा रहा है। उन्हांंने कहा कि ऐतिहासिक बाराही मेला सभ्यता और संस्कृति परंपराओं को लेकर सूरजपुर शहर को नईं उंचाईयों पर ले जाने का काम कर रहा है। इस मौके पर उन्होंने नगर पालिका की जरूरत बताते हुए कहा कि सूरजपुर शहर की आबादी जिस लिहाज से बढ रही है यहां नगर पालिका जैसी संवैधानिक की इकाई की जरूरत है। सूरजपुर शहर को नगर पालिका का दर्ज दिलाए जाने के लिए भविष्य मेंं सरकार से जरूर मांग की जाएगी। मुख्य अतिथि व पूर्व सिचाई राज्य मंत्री नवाब सिंह नागर का शिव मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी, महासचिव ओमवीर बैंसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल, मीडिया प्रभारी मूलचंद आर्य और बिजेंद्र ठेकेदार, जगदीश भाटी एडवोकेट, विनोद सिकंद्राबादी, महाराज सिंह उर्फ पप्पू, अनिल कपासिया, राजकुमार नागर, भीम खारी, राकेश बैंसला, राजपाल भडाना, गौरव नागर, विनोद पंडित तेल वाले आदि पदाधिकारियों ने माल्यापर्ण और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। गुरूवार को संध्याकालीन कार्यक्रमों में राजस्थान से आए कलाकारों ने गीत संगीत के कार्यक्रम प्रस्तुत किए। वहीं जीआर पब्लिक स्कूल सूरजपुर के बच्चों ने अपनी सुंदर प्रस्तुतियों जैसे- जिंदगी की राहों में, रजो गम के मेले हैं........ से लोगों का मनमोह लिया। जब कि भारती पब्लिक स्कूल के बच्चों ने -संदेशे आते हैं..... और अखंड है प्रचंड है.... गीत पर विशेष प्रस्तुति देते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। रात्रिकालीन रागनियों के रंगारंग कार्यक्रम में सुरेश गोला एंड पार्टी के कलाकरों ने एक से बढ कर एक रागनियों की प्रस्तुति से लोगों की खूब वाहवाही लूटी। सुरेश गोला और मन्नु तंवर ने श्रवण नीर के किस्से से- नाम गांव का पता बता दे ओ, रोटी पाने वाली........., चंद्रमा से भी अच्छी तेरी सूरत प्यारी प्यारी.... और बॉबी बघेल व सुरेश गोला ने- बीच नदी में अंब राजा बहता बहता जावे, श्रवण नीर बेचारे रोते रोते रह गए किनारे..... रागनी प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। अन्नू चौधरी- बुंलदशहर और अंजलि ठकरान ने मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति देते हुए खूब धमाल मचाया।मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि कल दिनांक 15 अप्रैल.2023 शनिवार  की सांय हरियाणा और राजस्थान के कलाकारों तथा विभिन्न स्कूलों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। जब कि रात्रिकालीन रागनियों के रंगारंग कार्यक्रमों में हरेंद्र नागर, पिंकी शर्मा, सुषमा चौधरी, अंजलि चौधरी, गजेंद्र दौसा, गोपाल शर्मा आदि कलाकार खास प्रस्तुतियां देंगे।  इस मौके पर कार्यक्रम मे चौधरी धर्मपाल भाटी प्रधान, ओमवीर बैंसला, लक्ष्मण सिंघल, मूलचंद शर्मा और  राजपाल खटाना, रूपेश चौधरी, हरि शर्मा, भंवर सिंह बैसोया, अनिल कपासिया, अज्जू भाटी, देवा शर्मा आदि मेला समिति के पदाधिकारी और गणमान्यजन उपस्थित रहे।




बाराही मेले में कुआ बन रहा है, खोया पाया ईमानदारी की चौपाल



प्राचीनकालीन बाराही मेले में पुराना कुंआ ईमानदारी की चौपाल बन रहा है। बाराही मंदिर प्रांगण में स्थित इस पुराने कुए पर आकर कभी भरी दुपहेरी में राहगीर प्यास बुझाया करते थे। किंतु आज यह कुआ प्यास बुझाने के बजाय भुले भटके लोगों के लिए मद्दगार साबित हो रहा है। यहां बैठे मेला समिति के पदाधिकारी मेले में आए दर्शकों के लिए खोया पाया के काम में लगे रहते हैं। बताया जाता है कि प्राचीन बाराही मंदिर प्रांगण में बने इस कुए की गहराई करीब 25 फीट है। शिव मंदिर मेला समिति के कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल ने बताया कि एक समय था कि जब यहां कुए का पानी बहुत ठंडा होता था और राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए कुए पर कई मटके रख रहते थे। मुख्य रास्ता यहीं से होकर गुजरता था। राहगीर यहां पर भरी दुपहेरी में सुस्ताने के लिए भी रूकते थे। किंतु अब यह सूखा पडा हुआ है, इसका कारण शायद क्षेत्र का जलस्तर नीचे जाना भी रहा है। बाराही मेले के मौके पर यहां उद्घोषणा की चौपाल काम होता है। इस चौपाल को लोग खोया पाया कुआं के नाम से जानते हैं। मेला के समिति के पदाधिकारी यहां मंदिर और मेले के लिए आने वाले दान की भी उद्घोषणा करते हैं। साथ ही मेले में यदि कोई अपना बिछड जाए या फिर भटक जाए तो यहां पर पूरी मद्द मिलती है। वैसे तो यहां कुए पर मेला समिति पदाधिकारी मौके बे मौके बैठे रहते हैं मगर मुख्य जिम्मेदारी विनोद सिकंद्राबादी की ही रहती है। विनोद सिकंद्राबादी शिव मंदिर मेला समिति में सहसचिव की भूमिका में भी है और यहां पूरे मनोयोग से उद्घोषणा के कार्य में लगे रहते हैं। बाराही मेला सहसचिव विनोद सिकंद्राबादी बताते हैं कि वर्ष 2001 में जब से यह वर्तमान शिव मंदिर मेला समिति आसित्व में आई हैं, इस भूमिका में हैं। बाराही मेले में आने वाले दर्शकों का जब अपना कोई बिछड जाता है या फिर कोई कीमती वस्तु पर्स, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, हैलीमेट आदि तो लोग यहां आते हैं। साथ ही ऐसे भी लोग जिन्हें उक्त कीमती वस्तु पा जाती है तो यहां कुए पर आकर जमा करा देते हैं। खोने और पाने की सूचना प्रसारित की जाती है और लोग अपने अमुक सामान को आकर ले लेते हैं। उन्होंने बताया कि यह पुराना कुंआ, जिसमें अब पानी नही है, इस मेले में ईमानदारी की चौपाल बन कर ख्याति अर्जित कर रहा है।

 


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