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पायल चौधरी और शिवानी सिकंद्राबादी ने नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति देते हुए खूब धमाल मचाया





प्रीति चौधरी और बले भाटी ने महाभारत के किस्से अर्जुन- ब्रहनल्ला और उत्तरा कुमारी के संवाद से- गउ घेर ली जंगल में, म्हारा ग्वाला मारा भगाया....... रागनी प्रस्तुत की 



मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर


 गौतम बुद्ध नगर ऐतिहासिक प्राचीनकालीन बाराही मेला-2023 के नौंवे दिन, दिनांक 13 अप्रैल-2023 गुरूवार को उत्तर प्रदेश सरकार के वन पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिर्वतन राज्य मंत्री केपी मलिक मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे

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सूरजपुर में चल रहे ऐतिहासिक प्राचीनकालीन बाराही मेला-2023 के  छठवें, दिन संस्कृति मंच से रात्रिकालीन कार्यक्रमों की श्रंखला में राधे स्नेह विद्या निकेतन सूरजपुर के बच्चों द्वारा गीत संगीत और नृत्य की प्रस्तुति ने लोगों का मन मोह लिया। रागनियों के रंगारंग कार्यक्रमों में बले भाटी एंड पार्टी के कलाकारों ने एक से बढ कर एक रागनियों की प्रस्तुति देते हुए खूब वाहवाही लूटी। पायल चौधरी और शिवानी सिकंद्राबादी ने नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति देते हुए खूब धमाल मचाया। प्रीति चौधरी और बले भाटी ने महाभारत के किस्से अर्जुन- ब्रहनल्ला और उत्तरा कुमारी के संवाद से- गउ घेर ली जंगल में, म्हारा ग्वाला मारा भगाया. रागनी प्रस्तुत की। जब कि अजय भडाना और प्रीति चौधरी ने महाभारत के किस्से के द्रौपदी और अर्जुन संवाद से- पटरे उपर पैर रखले, तू मत नंदलाल उठायो और कथा तारा रानी प्रंसग से राजा हरिश्चंद और तारा रानी संवाद को लेकर रागनियां प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। इसके साथ ही कई सवाल जवाब की भी रागनियां प्रस्तुत की गईं। कार्यक्रम में शिव मंदिर मेला समिति के संरक्षक राजवीर भगतजी, सूरजपुर उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष महेश शर्मा, श्रीमद भागवत कथा वाचिका धर्मेश शास्त्री मुख्य अतिथि और विशिष्ठ के रूप में उपस्थित रहे। शिव मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी, महासचिव ओमवीर बैंसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल, मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिजेंद्र ठेकेदार और टेकचंद्र प्रधान, सतपाल शर्मा एडवोकेट, दीपक भाटी एडवोकेट, सुधीर भाटी, परमजीत भाटी,विनोद पंडित तेल वाले, विनोद सिकंद्राबादी, रघुवीर जेसीबी वाले आदि ने मुख्य और विशिष्ठ अतिथियों का स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। शिव मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी ने बताया कि ऐतिहासिक प्राचीनकालीन बाराही मेला-2023 के नौंवे दिन, दिनांक 13 अप्रैल-2023 गुरूवार को उत्तर प्रदेश सरकार के वन पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिर्वतन राज्य मंत्री केपी मलिक मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे। साथ ही दिल्ली भाजपा प्रदेश मंत्री लक्की चौधरी और कई पदाधिकारी व कार्यकर्ता विशिष्ठ अतिथि के रूप में मेले में शिरकत करेंगे।मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि कल दिनांक 12 अप्रैल-2023, बुद्धवार की सांय हरियाणा और राजस्थान के कलाकारों तथा ग्रीन ग्रेटर नोएडा स्कूल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। जब कि रात्रिकालीन रागनियों के रंगारंग कार्यक्रमों में राजबाला एंड पार्टी के कलाकारों कर्मवीर बैंसला, बलराम बैंसला, रविंद्र बैंसला, भूलेराम भरानपुर, मीनू चौधरी,पायल चौधरी, कल्पना और कविता चौधरी द्वारा खास प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इस मौके पर कार्यक्रम मे चौधरी धर्मपाल भाटी प्रधान, ओमवीर बैंसला, लक्ष्मण सिंघल, मूलचंद शर्मा और बिजेंद्र ठेकेदार, विनोद भाटी, जगदीश भाटी एडवोकेट,  बिजेंद्र सिंह आर्य, भूदेव शर्मा, विनोद कौंडली, भोपाल ठेकेदार, रवि भाटी आदि मेला समिति के पदाधिकारी और गणमान्यजन उपस्थित रहे।

विशेष आर्कषणः....

 

चमत्कारिक सरोवर में स्नान करने से दूर हो जाते हैं, चर्म रोग

 

प्राचीन बाराही मेला प्रांगण में एक सरोवर बना हुआ है। माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान कर लेने भर से ही चर्म रोग छू मंतर हो जाते है। बाराही मेले के मौके पर यह सरोवर विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सरोवर की गहराई 10 फीट तक है, इसका निमार्ण मंदिर स्थापित होने समय से ही माना जाता है। शिव मंदिर मेला समिति के प्रयासों से अब सरोवर का सौंदर्यकरण भी कराया जा चुका है। बताया जाता है कि क्षेत्र में 12 कोस की दल दल हुआ करती थी, यहां पानी जमीन से उबाला लिया करता था। किवदंति यह भी बनी हुई है कि कासना से लेकर सूरजपुर तक नौलखा बाग हुआ करता था। इस बाग में घूमने के लिए कासना की राजकुमारी निहालदे आया करती थीं। इस सरोवर में राजकुमारी निहालदे अपनी सखियों के साथ स्नान आदि भी किया करती थी। शिव मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी, महासचिव ओमवीर बैंसला और कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल बताते हैं कि इस क्षेत्र को आल्हा उदल का रण क्षेत्र भी माना जाता है। यहां आल्हा उदल के कई युद्ध हुए और इतना लहू बहा कि यहां से बहते हुए नाले का नाम ही लहुया खार और अब लोहिया खार कहा जाने लगा है। उन्होंने बताया कि सरोवर में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। दाद खाज या खुजली हो जाती है, तो आज भी यह प्रथा प्रचलित है कि कपडे लत्ते आदि सामग्री उठावनी के तौर पर रख लिया करते हैं और जब माता बाराही देवी का यह मेला आता है, उसे सरोवर में आर्पित कर दिया जाता है। दूसरे कसबो में बूढे बाबू के मेले पर उठावनी आदि दी जाती है मगर यहां पर बारही मेले पर ऐसा होता है। सरोवर में स्नान के लिए बच्चे खूब अठखेलियां करते नजर आते हैं।

 

 


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