गौतम बुद्ध नगर आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत दिनांक 10अप्रैल 2023 को प्राचार्य प्रो (डॉ) दिव्या नाथ के निर्देशन में संस्कृत विभाग द्वारा "समाज सुधारक के रूप में स्वामी दयानन्द सरस्वती एवं आर्य समाज की भूमिका ''इस विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया । मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत विभागाध्यक्षा प्रो (डॉ) दीप्ति वाजपेयी द्वारा प्रकाश डाला गया । उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि स्वामी दयानन्द सरस्वती महान व्यक्तित्व के धनी तथा महान समाज सुधारक थे, उन्होंने वेदों के प्रचार के लिए 10 अप्रैल 1875 में मुम्बई में आर्य समाज की स्थापना की। 'वेदों की ओर लौटो ' यह उनका प्रमुख नारा था। इस नारे के द्वारा वह समाज को अपनी जड़ों से जोड़ना चाहते थे, क्योंकि संसार का समस्त ज्ञान वेदों में निहित है। वेदों से ही हमारी संस्कृति की रक्षा हो सकती है। इस क्रम में डॉ नीलम शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा है कि महर्षि दयानंद का समाज सुधार में व्यापक योगदान है। तत्कालीन समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियां, अन्धविश्वास, रूढ़ियों तथा पाखण्डों का विरोध किया तथा नारी को शिक्षा का अधिकार,सबको वेद पढ़ने का अधिकार इस पर बहुत बल दिया। डॉ कनकलता ने अपने उद्बोधन में स्वामी दयानन्द के विषय में बताया कि वो गुण कर्म स्वभाव के आधार पर वर्ण व्यवस्था, दलितोद्धार, विधवा विवाह, गुरुकुलीय शिक्षा के समर्थक थे तथा वैदिक मंत्रों का सही अर्थ उन्होंने किया। इसी क्रम में डॉ शिखा रानी ने बताया कि स्वामी जी ने अपने ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश में अध्यात्म एवं आस्तिकता से परिचय कराया। महर्षि परम योगी तथा प्राणायाम पर उनका विशेष बल था। भारी संख्या में छात्राओं ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापकगण भी उपस्थित रहे। उक्त कार्यक्रम में "आजादी का अमृत महोत्सव" समिति प्रभारी डॉ संजीव कुमार का भी विशेष योगदान रहा । अपने देश के महान समाज सुधारकों और महान व्यक्तियों के विषय में आज का युवा वर्ग जाने और उनसे प्रेरणा ले इस उद्देश्य से इस व्याख्यान का आयोजन किया गया था और इस दृष्टि से कार्यक्रम पूर्णतः सफल रहा ।
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