गौतम बुद्ध नगर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ग्रेटर नोएडा के जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के पक्ष में फैसला सुनाया है। यह मुकदमा आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों (ईडब्ल्यूएस) के दाखिले और परीक्षा से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के तर्कों को खारिज कर दिया है। यूनिवर्सिटी को आदेश दिया है कि उनकी ओर से 28 नवंबर 2022 को जारी किया गया आदेश खारिज किया जाता है। ईडब्ल्यूएस स्टूडेंट्स के प्रोविजनल एडमिशन को स्थाई करें। अदालत का यह आदेश मिलने के बाद एक महीने में सभी छात्रों की परीक्षाएं करवाई जाएं। यह फैसला जस्टिस करुणेश सिंह पवार की अदालत ने सुनाया है।जीएल बजाज इंस्टीट्यूट, छात्रों, उत्तर प्रदेश सरकार, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 22 मार्च 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब 26 अप्रैल 2023 को जस्टिस करुणेश सिंह पवार ने अपना फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा, “103वें संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई है। उत्तर प्रदेश में एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय को छोड़कर बाकी देशभर के विश्वविद्यालयों ने एआईसीटीई के निर्देशों पर इसे स्वीकार किया है। तकनीकी शिक्षण संस्थानों में दाखिला प्रक्रिया और परीक्षा को लेकर एआईसीटीई सर्वोच्च निकाय है। राज्य सरकार, विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान एआईसीटीई के नियमों, निर्देशों व आदेशों को मानने के लिए बाध्य हैं। केंद्रीय कानून के मुताबिक एआईसीटीई के निर्देशों का पालन करना अपरिहार्य है। ऐसे में शिक्षण संस्थानों में ईडब्ल्यूएस कोटे के आधार पर किए गए दाखिले वैध हैं। उन पर रोक लगाने का अधिकार एकेटीयू के पास नहीं है।”अदालत ने आगे कहा, “एकेटीयू के रजिस्ट्रार की ओर से 28 नवंबर 2022 को जारी किया गया आदेश रद्द किया जाता है। डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया जाता है कि ईडब्ल्यूएस कोटे के आधार पर दाखिल किए गए छात्रों के प्रवेश को नियमित करें। अदालत का यह आदेश मिलने के बाद एक महीने में सभी छात्रों की परीक्षा का आयोजन किया जाए।”
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