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जीबीयू ने कोरिया की डोंग्गुक यूनिवर्सिटी वाइज़ के साथ शैक्षिक शोध एवं छात्रों के शैक्षिक विकाश के लिए समझौता किया


मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर
गौतम बुद्ध नगर इस वर्ष भारत और दक्षिण कोरिया राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ के रूप में दोनों देश मना रहे हैं जो प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसी सम्बंध को आगे बढ़ाते हुए जीबीयू ने भी इसे प्रगाढ़ता प्रदान करने में अपनी एक छोटी से योगदान इस समझौते के द्वारा की है। समझौते पर आधिकारिक रूप से अमली जामा पहनाने हेतु हस्ताक्षर हुए जिसमें जीबीयू के कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी और डोंग्गुक विश्वविद्यालय वाइज़ के प्रेसिडेंट श्रीमान यी यंग-क्यूँग अपने अपने हस्ताक्षर किए।डॉ अरविंद सिंह जिन्होंने इस समझौते को साकार करने में एक मुख्य भूमिका निभाई है उनका कहना है कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (GBU) दक्षिण कोरिया में एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय है। और यही वजह है कि विश्वविद्यालय ने पहले भी दक्षिण कोरिया के डोंगगुक विश्वविद्यालय के दो संस्थानों/कॉलेजों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। इस क्रम में आज तीसरा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं। कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी ने कहा कि इस समझौते की मदद से दोनो संस्थानों के बीच शैक्षिक शोध में सहयोग के उद्देश्य के लिए किया गया है। इस समझौते के अंतर्गत निम्न बिंदुओं पर सहमती हुई हैं जिसमें दोनों संस्थानों के छात्रों, संकाय सदस्यों के बीच आपसी आदान-प्रदान, अनुसंधान और प्रकाशनों के माध्यम से सूचना का आदान-प्रदान, आपसी हित के क्षेत्रों में समस्या-समाधान में ज्ञान और अनुप्रयोग के सृजन के लिए संयुक्त परियोजना पर सहयोगात्मक अनुसंधान कार्य करना, संगोष्ठी/सम्मेलन/कार्यशाला/संगोष्ठी/वेबिनार/विचार-मंथन सत्र की भागीदारी एवं आयोजन, और दोनों पक्षों की आपसी समझ से कोई अन्य मामला, इत्यादि।इस समझौते पर अपनी प्रतिक्रिया के दौरान जीबीयू के कुलपति प्रो रवीन्द्र कुमार सिन्हा ने कहा कि दोनो संस्थानों के बीच इस समझौते  का मुख्य उद्देश्य संबंधित संस्थानों की शिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों में रुचि को बढ़ावा देना है और उनके बीच सहयोग के शैक्षणिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण और आर्थिक लाभों की समझ को व्यापक बनाना है। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों संस्थानों की शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों के लिए सक्रिय व्यावसायिक सहयोग के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है जो आपसी सहयोग में एक मील का पत्थर साबित होगा। कुलपति जीबीयू ने कहा कि दोनों संस्थानों के प्रतिनिधियों ने सैद्धांतिक तौर पर ऑनलाइन कोरियाई भाषा का कार्यक्रम, प्रबंधन विषय पर कांफ्रेंस, एवं शिक्षकों में शोध के विषयों पर आपसी सहमति पर शोध परियोजना, आदि पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।शैक्षिक अधिष्ठाता प्रो एन पी मलकनिया ने कहा कि यह अनुबंध आपसी समझ को मजबूत करेगा, और अनुकूल सहयोग को बढ़ावा देगा और साथ ही शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों के लिए आपसी आदान-प्रदान की सहूलियत प्रदान करेगा, जैसे कि शोध प्रबंध / परियोजना / इंटर्नशिप / डॉक्टरेट अनुसंधान और बौद्ध अध्ययन, अनुप्रयुक्त विज्ञान, इंजीनियरिंग, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, प्रबंधन में उन्नत अनुसंधान, जैव प्रौद्योगिकी, मानविकी और सामाजिक विज्ञान, और छात्रों / शोध विद्वानों और संकाय / वैज्ञानिकों द्वारा विश्वविद्यालय के स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री के लिए अग्रणी कानून और न्याय। डॉ अरविंद सिंह के अनुसार यह समझौता उच्च शिक्षा के अलावा धर्म, संस्कृति और अनुसंधान सहित सभी दिशाओं में दो विश्वविद्यालयों के बीच आदान-प्रदान का विस्तार करने के अवसर के रूप में काम करेगा।इस संबंध में, यह आपके ध्यान में लाना है कि विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय को डोंगगुक यूनिवर्सिटी WISE (DUW), ग्योंगजू कैंपस, दक्षिण कोरिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ था जिसमें मेरे पुराने शिष्य श्री संजीव कुमार की अहम भूमिका रही है। समझौते के समय वहाँ डॉ इन्दु उप्रेती, प्रो बंदना पाण्डे, डॉ नीति राणा, प्रो संजय शर्मा, डॉ ओम् प्रकाश, डॉ केके द्विवेदी, डॉ सीएस पासवान, श्री ली यू-क्यूँग, बाए ब्यूँग-गुक, चोई दोंग़-उक, इत्यादि मौजूद रहे।

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