ग्रेटर नोएडा। देव ऋषि थे नारद।
सत्य सनातन वैदिक यज्ञ समिति तिलपता में पांच दिवसीय सामवेद पारायण यज्ञ का आयोजन किया गया, यज्ञ के ब्रह्मा वेदों के प्रखंड विद्वान आचार्य विद्यादेव हैं वेद पाठ गुरुकुल मुरसदपुर के ब्रह्मचारी कर रही हैं के चौथे दिवस प्रातः सत्र में मुजफ्फरनगर से चलकर आए विशेष आमंत्रित विद्वान आचार्य कंवरपाल शास्त्री ने बेहद ओजस्वी प्रेरक उद्बोधन दिया। शास्त्री जी ने कहा आज कुछ लोग अज्ञानता में देव ऋषि नारद का मजाक उड़ाते हैं जो लोग अति भोजन करते हैं या जो घूम घूम कर चुगली निंदा करते हैं लोग उनको मजाक में आलोचनात्मक अर्थ में नारद कहते हैं लेकिन नारद शब्द का अर्थ है जो घूम घूम कर वेदों का प्रचार करें वेदों का नाद करे वह नारद कहलाता है। इस भारत जो ऋषि-मुनियों की भूमि रही है अनेकों कालखंड में रामायण व महाभारत काल में अनेकों नारद नाम के ऋषि हुए हैं रामायण कालीन नारद ऐसे ही परम ऋषि थे जिन्हें महर्षि नहीं राज ऋषि नहीं देव ऋषि की पदवी मिली है। देव ऋषि नारद सांगोपांग वैदिक वांग्मय के मूर्धन्य विद्वान थे। इतिहास लेखन पत्रकारिता की विद्या के आद्य मर्मज्ञ थे। अपने उद्बोधन में आचार्य कुवरंपाल जी ने आगे कहा हमें अपने परिवारों में सुसंतानों का निर्माण करना होगा।न तो अधिक संतान से सुख मिलता है ना कम संतान से सुख मिलता है केवल सुसन्तान ही सुख का कारण बनती है ।आचार्य जी ने यज्ञ की महिमा पर भी प्रकाश डाला अग्नि देवो का मुख् है जो भी सामग्री घी हम अग्नि में डालते हैं ।वह सब देवों को मिल जाता है हमें श्रद्धा से यज्ञ कार्य संपादित करना चाहिए । आचार्य जी ने कहा इस कार्यक्रम का आयोजक गण बेहद सराहनीय प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं वैदिक बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं को संस्कारित कर रहे हैं शिक्षा के साथ-साथ क्योंकि हम 75 फ़ीसदी सुनकर ही सीखते हैं 15 फ़ीसदी पढ़कर 10 फ़ीसदी दूसरों के अनुकरण से सीखते हैं ।यदि महर्षि दयानंद ना होते तो नारी को इतना सम्मान इतना ऊंचा स्थान हमारे देश में नहीं मिलता। नारी को पढ़ने का अधिकार देव दयानंद ने ही दिलाया। उपस्थित सैकड़ों श्रोताओं ने एक ताल स्वर में तालियां बजाकर आचार्य जी के व्याख्यान के अंत में उन्हें प्रेरक उद्बोधन के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके पश्चात कार्यक्रम में आमंत्रित भजन उपदेशक आर्य संदीप गिल का संगीत पाठ हुआ। उन्होंने एक के बाद एक देश भक्ति व ईश्वर भक्ति के अनेकों सुमधुर भजन सुनाए। संदीप जी ने एक भजन सुनाया उसके बोल इस प्रकार थे जो हृदय के तारों को झंकृत करने वाले थे।
भजन इस प्रकार था।
ऐ दुनिया के वाली तेरी महिमा निराली।
कोई जाने या ना जाने हम तो जान गए ।
कोई माने या ना माने हम तो मान गए।
उपस्थित सभी भगवती शक्ति रुपी छात्राओं ने आर्य जनों में ताली बजाकर भजन का आनंद लिया। आमंत्रित अतिथियों के सम्मान सत्कार वैचारिक ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश का भी सम्मान में भेंट स्वरूप वितरण कार्यक्रम के समानांतर चलता रहा। सत्य सनातन वैदिक यज्ञशाला समिति का प्रांगण ओम ध्वजा पताका से प्राचीन वैदिक ऋषि मुनियों के आश्रम की भांति शोभायमान हो रहा था। सभी अतिथियों के लिए आवास भोजन की बहुत सुंदर स्थान की गई है। इस सुंदर सराहनीय कार्यक्रम की पूर्णाहुति कल दोपहर 11:00 बजे 26 मार्च को दोपहर होगी 1:00 बजे तक कार्यक्रम चलेगा ।आप सभी धर्म अनुरागी सज्जन सादर आमंत्रित हैं। इस अवसर पर मैनेजर बलबीर आर्य, आर्य सागर खारी, कार्यक्रम के संचालक सुखबीर आर्य, रणवीर आर्य, सचिन आर्य, महाशय किशनलाल बाबूराम आर्य, अशोक आर्य, महावीर आर्य, बिजेंदर आर्य जी प्रेम सिंह आर्य जी प्रबंधक श्यामवीर भाटी, संजय भाटी, पवन आर्य, धर्मराज शास्त्री, अशोक कुमार पवार, इंजीनियर श्यामवीर भाटी, प्रधानाचार्य अमरेश प्राइमरी स्कूल की प्रधानाचार्य अनुपमा जायसवाल एवं बालिका वैदिक इंटर कॉलेज का समस्त शैक्षणिक स्टाफ व दर्जनों छात्राएं उपस्थित रही।
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