ग्रेटर नोएडा। सामाजिक कार्यकर्ता कर्मवीर नागर पूर्व बिसरख ब्लाक प्रमुख ने दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स विशेष संवाददाता से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ग्रेनो प्राधिकरण की बेरुखी से जिला गौतमबुद्धनगर के किसान परेशान हैं। जिले के किसानों से निवेदन किया कि अहम त्याग कर किसान हित में एकत्रित हों सभी किसान संगठन। ग्रेनो प्राधिकरण की किसान विरोधी हठधर्मिता के कारण आगामी संसदीय चुनावों का बहिष्कार भी करना पड़े तो हम करेंगे। नागर ने मीडिया से अपील की है कि मीडिया किसान हित के मुद्दे सरकार तक पहुंचाने में निभाएं भूमिका। गैर पुश्तैनी के संबंध में एसआईटी की जांच रिपोर्ट उजागर करने से अधिकारी भयभीत हैं और कहा कि बड़ी ही विडंबना का विषय है कि जिन किसानों की भूमि पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण का नाम समूची दुनिया के पटल पर छा गया है, जिन किसानों की भूमि पर देश विदेश के इन्वेस्टर्स को सरकार आए दिन न्योता दे रही है, जिन किसानों की भूमि पर गगनचुंबी इमारतें खड़ी हो गई हैं और बड़े-बड़े उद्योग और व्यापारिक संस्थान स्थापित हो गए हैं उसी किसान को अपनी रिहाइश के लिए आबादी और मुआवजा जैसी मूलभूत समस्याओं के निस्तारण के लिए कभी कड़कड़ाती ठंड में तो कभी तपती धूप में और कभी झमाझम बारिश में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। लेकिन इस सब के बावजूद भी प्राधिकरण के अधिकारी किसानों की ज्वलंत समस्याओं के निस्तारण के लिए कतई गंभीर नजर नहीं आ रहा है। कारण जो भी हो लेकिन किसान संगठनों के तमाम प्रयासों के बावजूद क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी किसानों की समस्याओं के निस्तारण पर अभी तक लाचारी जाहिर करते नजर आए हैं। हालांकि यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों में पार्टी के अंदर अपनी स्थिति और कद मजबूत करने की होड़ जरूर लगी हुई है लेकिन किसानों के मुद्दों पर अधिकतर चुप्पी ही नजर आती है। इसीलिए किसानों के एक संगठन ने आबादी मामलों का निस्तारण करने, बगैर लीजबैक किए आबादी भूमि को शिफ्ट न करने, लीजबैक के 1451 मामलों का निपटारा करने, एसआईटी जांच की बाबत लीजबैक के 533 प्रकरण एवं बादलपुर के 208 प्रकरणों में मांगी गई रिपोर्ट की शासन से स्वीकृति लेना, किसानों के 6 एवं 8% के भूखंड आवंटित करने, किसान कोटा खत्म में करने और भूमि अधिग्रहण में नए भूमि अधिग्रहण बिल को लागू करने जैसे मुद्दों पर 18 सूत्रीय मांग पत्र प्राधिकरण को सौंपा है। इन मुद्दों को लेकर किसान संगठन 14 मार्च को प्राधिकरण के सामने प्रदर्शन करने जा रहा है। अहम बात यह है कि किसानों के मुद्दों पर किसी किसान संगठन द्वारा मांग पत्र देना और धरना प्रदर्शन करना पहली बार नहीं बल्कि ऐसे धरने प्रदर्शन सैकड़ों बार हो चुके हैं लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों के कानों पर आज तक जो नहीं रेंगी। मुझे यह कहने में कतई हिचक नहीं कि किसानों के हित में आवाज उठाने वाले जनपद गौतम बुद्ध नगर में सक्रिय किसान संगठनों की अपने अहम और वर्चस्व की लड़ाई भी कहीं ना कहीं किसानों को नुकसान देह साबित हो रही है। कारण जो भी रहे हो लेकिन किसान संगठनों का बिखराव किसान हित में नहीं है। अगर सभी किसान संगठन अहम त्याग कर और संगठित होकर लड़ाई लड़ें तो वह दिन दूर नहीं जब प्राधिकरण के अधिकारी किसानों के मुद्दों पर फोकस करते नजर आएंगे। मुद्दों के समाधान के लिए और शासन प्रशासन पर दबाव बनाने हेतु आम किसानों को इन सभी किसान संगठनों के मुखियाओं को एक बैनर तले लाने का प्रयास करना होगा। जिन प्राधिकरणों में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था अभी तलक टिप्पणी कर चुकी हो भ्रष्टाचारी संस्थान को घुटनों के बल आने में देर नहीं लगेगी बशर्ते कि किसान संगठन और स्थानीय जनप्रतिनिधि साफ नियत से किसान हित में अपनी आवाज बुलंद करें। इन प्राधिकरणों के भ्रष्टाचार के किस्से काम होने के बाद भी भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने वाली सरकार अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नजर नहीं आई है। और तो और गैर पुश्तैनी काश्तकारों की जांच हेतु गठित एसआईटी जांच रिपोर्ट भी आज तक आम जनता के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जाना इस बात की तरफ साफ इशारा करता है कि कहीं ना कहीं इस रिपोर्ट में भी गड़बड़ घोटाला नजर आ रहा है। किसान हित के मुद्दों पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी समझ से परे का विषय है। अगर किसानों के मुद्दों के मामले में प्राधिकरण के अधिकारी जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और अनसुनी कर रहे हैं तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बजट सत्र के दौरान किसान हित के मुद्दे सदन में उठाने चाहिए थे। लेकिन जनप्रतिनिधियों द्वारा किसानों की लंबित और ज्वलंत समस्याओं पर विधानसभा अथवा संसद में कोई चर्चा नहीं किया जाना जनपद गौतम बुद्ध नगर के किसानों का हौंसला पस्त करने वाली खबर है। हालांकि खतौली के विधायक मदन भैया द्वारा गौतम बुद्ध नगर के किसानों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हेतु बजट सत्र के दौरान विधानसभा में प्रश्न लगाना किसानों के शकुन भरी खबर हो सकती है।
हांलांकि यह भी एक कड़वा सच है कि शहरी क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या में आए दिन हो रही भारी बढ़ोत्तरी की वजह से भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर किसानों और ग्रामीणों का दबाव नजर नहीं आ रहा। शहरी क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या बल ने ग्रामीण क्षेत्र की अहमियत जनप्रतिनिधियों की नजरों में कम कर दी है। लेकिन बताना चाहूंगा कि जनप्रतिनिधियों को ग्रामीण क्षेत्र और किसानों की इतनी भी अनदेखी करना ठीक नहीं है क्योंकि जिस दिन ग्रामीण क्षेत्र का मतदाता पूरी तरह विरोध पर उतारू हो जाएगा तो परिणाम बदलने में देरी नहीं होगी। मेरा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के बंधुओं से भी अनुरोध है कि किसान की आवाज को शासन और सत्ता तक पहुंचाने में अपनी महती भूमिका निभाएं। क्योंकि जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते मीडिया की भूमिका अहम हो जाती है। लेकिन प्राधिकरण द्वारा दिए गए विज्ञापनों का प्रलोभन कई बार प्राधिकरण के विरुद्ध खबर प्रकाशित करने से बचते हुए नजर आते हैं लेकिन यह भी सच्चाई है कि मीडिया जितना अपनी भूमिका अच्छी तरह निभाएगा प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारी उतना ही नतमस्तक होते नजर आएंगे।
प्राधिकरण के अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को आगाह करना चाहता हूं कि अगर किसानों के मुद्दों का समाधान नहीं किया गया तो जनपद गौतम बुद्ध नगर के किसान और ग्रामीण आगामी चुनाव का खुला बहिष्कार करेंगे जिससे उस पूरे देश और दुनिया में प्राधिकरण की किरकिरी होना तय है। जिस अंतरराष्ट्रीय पटल पर नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण की एक साख है। किसानों के साथ हो रहे अन्याय और उत्पीड़न के विरुद्ध चुनाव बहिष्कार की यह खबर जब पूरी दुनिया में जाएगी तो इन्वेस्टर्स पर भी इसका बुरा असर पड़ना तय है जो सरकार के हित में नहीं है इसलिए समय रहते ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी किसानों के मुद्दों का समाधान करें अन्यथा 2024 आते आते जनपद गौतम बुद्ध नगर के किसानों के हित में राकेश टिकैत जैसे बड़े किसान नेता और अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी अपनी गतिविधियां तेज करते नजर आ सकते हैं।
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