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आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में "हर घर ध्यान" कार्यशाला का आयोजन


मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर 
गौतम बुद्ध नगर कु. मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर में दिनांक 27 फरवरी 2023 को महाविद्यालय आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चित प्रकोष्ठ के तत्वावधान में संस्कृति मंत्रालय द्वारा संचालित हर घर ध्यान अभियान के अंतर्गत कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में आर्ट ऑफ लिविंग से संबंधित श्री निलेश कुमार जी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यशाला को सफल एवं व्यवहारिक स्वरूप प्रदान किया।कार्यशाला का शुभारंभ मां सरस्वती के सम्मुख प्रज्जवलन के साथ किया गया। तत्पश्चात प्राचार्य डॉ दिव्या नाथ द्वारा मुख्य वक्ता श्री निलेश कुमार को पादप भेंट कर उनका स्वागत किया गया । आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चय प्रकोष्ठ प्रभारी प्रो. दीप्ति वाजपेयी ने मुख्य वक्ता का परिचय देते हुए बताया कि श्री निलेश कुमार  जी आई.आई.टी दिल्ली के छात्र रहे हैं, तथा 29 वर्षो तक उन्होंने कारपोरेट जगत में अपना परचम लहराया किन्तु  वर्तमान में श्री श्री रविशंकर जी से प्रभावित होकर वे आर्ट ऑफ लिविंग में  एक फैकल्टी के रूप में कार्यरत हैं। 
कार्यशाला प्रारंभ करते हुए श्री निलेश कुमार ने कहा कि हमारे जीवन में से मुस्कुराहट कम होती जा रही है। बचपन में हम लोग जितना मुस्कुराते थे, आज की तारीख में हम उसका एक चौथाई भी नहीं मुस्कुरा पाते हैं और इसका मुख्य कारण स्ट्रेस है। उन्होंने सभागार को अवगत कराया कि स्ट्रेस अर्थात तनाव वर्तमान की जगह हमारे भूतकाल और भविष्य में जीने का कारण है । यदि व्यक्ति वर्तमान काल में जीने लग जाए तो उसके जीवन में अपने आप ही मुस्कुराहट वापस आ जाएगी। इसके पश्चात उन्होंने बताया कि वर्तमान में जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ हमारी सांसें हैं , अगर हम अपनी सांसों पर  नियंत्रण कर लेते हैं तो हम लोग स्ट्रेस से मुक्त हो सकते हैं।
कार्यशाला के द्वितीय चरण में नीलेश जी ने वर्तमान में जीने के लिए सभी को भ्रस्तिका प्राणायाम तथा 20 मिनट का मेडिटेशन कराया। सासों पर केंद्रित इस ध्यान योग में सभी ने अनुभव किया की वास्तव में ध्यान तनाव को कम करने का कारगर माध्यम है। अंत में प्राध्यापकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का भी श्री निलेश जी द्वारा समाधान प्रस्तुत किया गया।  अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो (डॉ) दिव्या नाथ ने अपने उद्बोधन में कहा कि  योग हमारे जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। बहुत सारी मल्टीनेशनल कंपनीज़ भी अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को नियमित 15-20 मिनट का मेडिटेशन कराते हैं, जिससे वे सभी लाभान्वित हो रहे हैं और उनकी कार्य क्षमता में वृद्धि हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हम लोग भी एक समय बनाकर नियमित मेडिटेशन करेंगे तो निश्चित तौर पर हमारा स्ट्रेस भी बहुत कम हो सकता है और हम द्विगुणित ऊर्जा से कार्य कर सकते है । कार्यशाला का संचालन करते हुए आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ प्रभारी प्रो.(डॉ )दीप्ति वाजपेयी ने  कहा कि योग-ध्यान हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है और पातंजल योग सूत्र में इसकी परिभाषा "योगश्चित्वृतिनिरोध" के रूप दी गई है। यह शारीरिक, मानसिक व आत्मिक प्रसन्नता का आधार है ।
कार्यशाला के अंत में आई.क्यू. ए.सी. सदस्य डॉ. सत्यन्त कुमार ने सभी का औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यशाला के आयोजन में आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ के सभी पदाधिकारियों प्रो. दिनेश चंद शर्मा, प्रो. सुरेंद्र कुमार, डॉ .मीनाक्षी लोहनी, डॉ. अरविंद कुमार यादव का भी विशेष योगदान रहा ।

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