ग्रेटर नोएडा। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के साथ मिल कर *युवा विचारों को आपदा संबंधित जोखिमों के न्यूनीकरण के लिए प्रेरित करना* पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। यह कार्यशाला आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर भारतीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों का नेटवर्क (IUINDRR-NIDM) एनआईडीएम द्वारा भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार और विशेष रूप से आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) के लिए 10 बिंदु एजेंडा के एजेंडे -6 के अनुरूप स्थापित किया गया है। भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, के जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (सीसीए) पर वैश्विक मुद्दे, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंदाई फ्रेमवर्क (2015-2030), और शिक्षा, नवीन प्रौद्योगिकी और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी), क्षमता विकास की सुविधा, और स्थानीय जोखिमों और विभिन्न आपदाओं से प्रभावित समुदाय के सबसे कमजोर वर्गों की जरूरतों को पूरा करने के लिए निर्णय लेने में योगदान दें।
भारत के माननीय प्रधान मंत्री के नेतृत्व में दिशा-निर्देश पर कार्य करने के लिए, एनआईडीएम ने भारतीय विश्वविद्यालयों और संस्थान नेटवर्क (आईयूआईएनडीआरआर-एनआईडीएम) के तहत कदम आगे बढ़ाया और आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन पर मॉडल पाठ्यक्रम तैयार किया। पहली बार, देश भर से विशेषज्ञ एक मंच पर और के परामर्श से आए
अकादमिक, यूजी और पीजी स्तर पर मॉडल पाठ्यक्रम विकसित किए गए हैं। यूजीसी ने अपने पाठ्यक्रम में डीआरआर पाठ्यक्रमों को लागू करने के लिए डी.ओ. संख्या 2-9/2022 (सीपीपी-II), दिनांक 24 फरवरी, 2022 के माध्यम से प्रत्येक विश्वविद्यालय और कॉलेज को भी अधिसूचना भेजी है। इसलिए, "फाउंडेशन कोर्स करिकुलम" पर उत्तरी क्षेत्र के शिक्षाविद की क्षमता का निर्माण करने के लिए, जो उच्च शिक्षा की हर धारा में एकीकृत होगा, IUINDRR-NIDM "आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर क्षेत्रीय क्षमता विकास कार्यक्रम" का प्रस्ताव करता है। इस तरह के प्रशिक्षणों की एक श्रृंखला अधिक संवेदनशील, सटीक और समग्र आपदा तैयारी की संस्कृति विकसित करने में मदद करेगी। लंबे समय में, यह अधिक लचीला समुदायों को विकसित करने में मदद करेगा क्योंकि अगली पीढ़ी बेहतर प्रशिक्षित होगी।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है:
1. आपदा, आपदा प्रबंधन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण का ज्ञान और अवधारणा प्रदान करना।
2. खतरे की संवेदनशीलता और जोखिम विश्लेषण पर शिक्षाविद की समझ को बढ़ाना
3. उन्नत प्रौद्योगिकी और सतत विकास को अपनाकर आपदा प्रबंधन के विभिन्न चरणों में व्यावहारिक प्रतिक्रिया के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना।
4. आपदा जोखिम को कम करने के अभ्यास में मूल्यांकन, विश्लेषण, हस्तक्षेप और मूल्यांकन में आपदा प्रतिक्रिया कौशल सुनिश्चित करना।
5. संभावित आपदा जोखिमों को कम करने और बेहतर ढंग से तैयार संस्थानों के लिए आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रम को एकीकृत करने के लिए शिक्षाविदों को तैयार करना।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता के रूप में प्रो संतोष कुमार ने आपदा और उससे जुड़े जोखिमों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। आपदा के पूर्व जोखिम कम करने से आपदाओं का प्रभाव कम होगा । शिक्षण संस्थाओं की भूमिका ट्रांसफ़ॉर्मेटिव होगा।
विशेष अतिथि ब्रिग. डॉ आर. के. गुप्ता, निदेशक जीम्स ने अपने आपदा से संबंधित अनुभवों को साझा करते कहा पहले आपदा की घटनायें कभी कभी सुनने मिलती थी लेकिन आजकल यह आम बात हो गई है। इसलिए आपदा जोखिमों की जानकारी सभी को होनी चाहिए और यह कार्यशाला एक मील का पत्थर साबित होगा।
प्रो रविन्द्र कुमार सिन्हा, कुलपति ने अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में आपदा जोखिमों को कहा मानवीय आपदा से जोड़ते हुए कहा कि यदि आपदा का कारण तकनीकी है तो तकनीकी ही इसका निदान भी करता है। अतः *हमें आपने विचारों को प्रेरित आपदा जोखिमो से दो चार होने की ज़रूरत है यही समय की माँग है। जीबीयू में निकट भविष्य में आपदा प्रबंधन का केंद्र शुरू की जाएगी। लोगों के विचारों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए प्रेरित करना पर आज हुए कार्यशाला का उद्देश्य है कि जीबीयू में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के साथ मिलकर आपदा प्रधान का केंद्र जीबीयू में बने।
कार्यक्रम की रूपरेखा जीबीयू-एनआईडीएम के सौजन्य से की गई जिसमें मुख्य योगदान देने वालों में प्रो संतोष कुमार, डॉ प्रीति सोनी, डॉ अमित अवस्थी, डॉ दिनेश शर्मा, डॉ राकेश श्रीवास्तव, डॉ अरविंद कुमार सिंह, इत्यादि का रहा। कार्यशाला की उद्घाटन सत्र ka संचालन डॉ ओम प्रकाश ने किया।
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