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पाँच दिवसीय “विपश्यना ध्यान योग” शिवीर का होगा शुभारंभ।

मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर।
ग्रेटर नोएडा। गौतम बुद्ध विश्व विध्यालय में बुद्धिस्ट स्टडीस एण्ड सिवलिज़ैशन संकाय के द्वारा 18 से 22 फ़रवरी 2023 तक पाँच दिवसीय आवासी विपश्यना ध्यान योग शिवीर का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक कुलपति प्रो. आर. के. सिन्हा और डीन प्रो. श्वेता आनंद संकाय। बुद्धिस्ट स्टडीस एण्ड सिवलिज़ैशन के द्वारा नियोजित किया जायेगा। इस शिवीर के विपश्यना ध्यान के एक्सपर्ट के रूप में डॉ. मनीष मेश्राम, सहायक आचार्य के पद पर बुद्धिस्ट स्टडीस एण्ड सिवलिज़ैशन स्कूल में कार्यरत है। इस कोर्स के मध्यम से हमारे रोज के जीवन में जो तनाव, चिंता से मुक्त करने  और मानसिक स्वस्थ के प्रति समाज में जागृति का प्रसार करने के लिए विपश्यना ध्यान योग जरूर उपयोगी होने वाला है।‌आज के समय में तनाव (stress) लोगों के लिए बहुत ही सामान्य अनुभव बन चुका है, जो कि अधिसंख्य दैहिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं द्वारा व्यक्त होता है। तनाव की पारंपरिक परिभाषा दैहिक प्रतिक्रिया पर केंद्रित है। हैंस शैले ( Hans Selye) ने 'तनाव' (स्ट्रेस) शब्द को खोजा और इसकी परिभाषा शरीर की किसी भी आवश्यकता के आधार पर अनिश्चित प्रतिक्रिया के रूप में की है। हैंस शैले की पारिभाषा का आधार दैहिक है और यह हारमोन्स की क्रियाओं को अधिक महत्व देती है, जो ऐड्रिनल और अन्य ग्रन्थियों द्वारा स्रवित होते हैं।
तनाव (Stress) मनःस्थिति से उपजा विकार है। मनःस्थिति एवं परिस्थिति के बीच असंतुलन एवं असामंजस्य के कारण तनाव उत्पन्न होता है। तनाव एक द्वन्द है, जो मन एवं भावनाओं में गहरी दरार पैदा करता है। तनाव अन्य अनेक मनोविकारों का प्रवेश द्वार है। उससे मन अशान्त, भावना अस्थिर एवं शरीर अस्वस्थता का अनुभव करते हैं। ऐसी स्थिति में हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और हमारी शारीरिक व मानसिक विकास यात्रा में व्यवधान आता है।
एक सर्वे की मानें तो भारत में 89 प्रतिशत लोग तनाव का शिकार हैं, जबकि वैश्विक औसत 86 प्रतिशत है। सर्वे में शामिल लोगों में से हर आठ तनावग्रस्त लोगों में से एक व्यक्ति को इन परेशानियों से निकलने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सिग्ना टीटीके हेल्थ इंश्योरेंस ने अपने सिग्ना '360 डिग्री वेल-बीइंग सर्वेक्षण-फ्यूचर एश्योर्ड' की एक रिपोर्ट जारी की है। विकसित और कई उभरते देशों की तुलना में भारत में तनाव का स्तर बड़े रूप में है। इस सर्वे के दौरान दुनिया के विभिन्न देशों में रहने वाले 14,467 लोगों का ऑनलाइन इंटरव्यू लिया गया। जिसके बाद ये सामने आया कि भारत लगातार चौथे साल तनाव के मामले में दुनिया के बाकी देशों से कहीं आगे है। 
तनाव मुक्ति का मध्यम मार्ग विपश्यना ध्यान योग: माइनड़फूलनेस (सजगता) और विपश्यना ध्यान योग यह तनावमुक्त मन और आंतरिक सकारात्मक गुणों को विकसित करने के लिए एक शक्तिशाली तकनीक है। विपश्यना के ध्यान का अभ्यास करने और हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए इससे प्राप्त अनुभव को लागू करने पर जोर दिया जाता है। 
विपश्यना ध्यान योग का उद्देश्य हमारे मन को तनावमुक्त और कल्याणकारी बनाना है। यदि हमारा मन शांत है, तो हम चिंताओं, तनाव और मानसिक असुविधा से मुक्त होंगे, और इसलिए हम सच्ची खुशी का अनुभव करेंगे; लेकिन अगर हमारा मन शांत नहीं है, तो हमें खुश रहना बहुत मुश्किल होगा, भले ही हम सबसे अच्छी परिस्थितियों में रह रहे हों। यदि हम ध्यान में प्रशिक्षित होते हैं, तो हमारा मन धीरे-धीरे अधिक से अधिक शांतिपूर्ण हो जाएगा, और हम खुशी के शुद्ध और शुद्ध रूप का अनुभव करेंगे। आखिरकार, हम हर समय खुश रहने में सक्षम होंगे, यहां तक कि सबसे कठिन परिस्थितियों में भी।
ध्यान क्यों? ध्यान का उद्देश्य मन की सकारात्मक अवस्थाओं को विकसित करना है, जो शांति और कल्याण के लिए अनुकूल है, और मन की नकारात्मक आदतों को दूर करना है। खुशी मन की एक स्थिति है; इसलिए, खुशी का वास्तविक स्रोत मन में निहित है, बाहरी परिस्थितियों में नहीं। जब हमारा मन शांत होता है तो हम चिंताओं और मानसिक असुविधा से मुक्त होते हैं, और हम सच्ची खुशी का अनुभव करते हैं। इस कोर्स में  माइंडफुलनेस एवं विपश्यना ध्यान-योग तकनीकों को शामिल किया जाएगा, साथ ही मस्तिष्क के काम करने के तरीके पर शारीरिक और मनोवैज्ञानिक सदमे के प्रभाव के प्रकारों के बारे में कुछ जानकारी होगी और कैसे ध्यान और माइंडफुलनेस का अभ्यास लाभ हो सकता है और मन को ठीक करने में मदद कर सकता है। इस कोर्स के अंतर्गत विभिन्न बौद्ध ध्यान विषयों जैसे माइंडफुलनेस, विपश्यना ध्यान, मैत्री भावना, करुणा भावना, एवं अहिंसक संवाद जिनके द्वारा हम व्यावहारिक रूप से अपनी समस्याओं को हल करने और तनाव से मुक्त करने के लिए दैनिक जीवन में लागू कर सकते हैं।
तथागत बुद्ध ने कहा है, कि हमारा सारा दु:ख, तनाव और चिंता हमारे मन से आती है। विशेष रूप से यह हमारी अवास्तविक अपेक्षाओं और हमारे स्वयं, हमारे आसपास के लोगों और सामान्य रूप से दुनिया के बारे में हमारे अतिरंजित विचारों से आता है। तनाव और दुखी विचारों के वास्तविक कारणों की पहचान करना सीखकर, हम यह समझना शुरू कर सकते हैं कि उनसे कैसे मुक्त हो सकते हैं। इस कोर्स पर हम सोचने और ध्यान के विशेष तरीकों का पता लगाएंगे जो इन समस्याओं के स्रोत के दिमाग को ठीक करते हैं।
इस कोर्समे अभी तक 15-20 प्रतिभागीओंने नामांकन किया जिसमें गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्रों के साथ दिल्ली, एनसिआर, उत्तरप्रदेश के अलावा अन्य प्रांतों से भी सहभागीता बढ़ रही है।

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