मोहित खरवार दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स संवादाता नोएडा
ग्लोबल म्यूजिक इंस्टीट्यूट की ओर से आज नई दिल्ली में द इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) साथ मिलकर और डॉल्बी इंडिया के सहयोग से अलग-अलग जॉनर के लेखकों, गीतकारों, म्यूजिक पब्लिशर्स और संगीतकारों के लिए गंभीर परिचर्चा पर आधारित सायंकालीन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसके माध्यम से रचनाकारों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी गई एवं उन्हें शिक्षित किया गया।
अपने जुनून को पेशे के रूप में आगे बढ़ाने की नई संस्कृति के इस दौर में, कला के क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रयास करने वाले व्यक्ति का परिवार पहले की तुलना में कम चिंतित होता है। नए जेनरेशन के युवाओं के लिए आज बड़ी संख्या में प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध एवं सुलभ हो गए हैं, साथ ही कंटेंट से भरपूर दुनिया ने सेवाओं का अपना इकोसिस्टम बनाया है - और इन सभी वजह से एक कलाकार के लिए असीमित संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं।
ग्लोबल म्यूजिक इंस्टिट्यूट नए जमाने के संगीत एवं प्रदर्शन की कला सीखने के लिए संगीत शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र है, जो कलाकारों के लिए असीमित अवसरों की बात को सही साबित कर रहा है। आज जीएमआई में सीट पाने वाले छात्र स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद आ रहे हैं, या इस संस्थान में एक साल अध्ययन करने के लिए अपने कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर आते हैं। इसकी तुलना में, पहले अधिक अनुभवी छात्र यहाँ अध्ययन करने आया करते थे, जो पारंपरिक तौर पर अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संगीत को आगे बढ़ाने की इच्छा रखते थे।
आज के रचनाकारों की दुनिया में ज्यादा से ज्यादा संख्या में गीतकारों, संगीतकारों और संगीत निर्माताओं को अपनी कला के प्रदर्शन का अवसर मिल रहा है, इसी वजह से उनके लिए एक रचनाकार के तौर पर अपने अधिकारों को समझना पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसा करने से उन्हें अपने संगीत से अधिकतम लाभ पाने में मदद मिलेगी।
यह सत्र आज के जमाने के रचनाकारों को नीचे दी गई मुख्य बातचीत से रूबरू कराएगा:
1. म्यूजिक में कॉपीराइट
2. म्यूजिक कॉपीराइट सोसायटी की भूमिका
3. IPRS जैसी म्यूजिक कॉपीराइट सोसाइटी में कौन शामिल हो सकता है और कैसे शामिल हो सकता है
4. मेटाडेटा और क्रिएटर्स की आमदनी पर इसका असर
5. म्यूजिक रॉयल्टी को समझना
6. डॉल्बी एटमॉस में मिक्सिंग का परिचय
द इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कॉपीराइट सोसाइटी है, जो कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के तहत पंजीकृत है और भारत के 10,000 से अधिक मशहूर लेखक, संगीतकार एवं म्यूजिक पब्लिशर्स इसके सदस्य हैं।
IPRS महामारी के इस दौर में उतार-चढ़ाव के बीच रचनाकारों के समुदाय की बुरी आर्थिक स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ था। संगीत के क्षेत्र में बड़ी तेजी से बदल रहे इस माहौल में इस संस्था ने अपने सदस्यों की कई शंकाओं और उनके मन में उठ रहे सवालों का भी अवलोकन किया। इस समस्या पर विचार करने के बाद, अपने सदस्यों को सही सूचना देने, जानकारी प्रदान करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए पहल शुरू करने की आवश्यकता उभरकर सामने आई। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए, IPRS ने अपने सदस्यों के लिए "लर्न एंड अर्न" नामक वर्कशॉप की एक सीरीज शुरू करने का निर्णय लिया। वर्ष 2022 की शुरुआत में इस पहल को शुरू किया गया जो पूरे देश में सफलतापूर्वक जारी रही। जीएमआई और डॉल्बी इंडिया के सहयोग से ग्लोबल म्यूजिक इंस्टीट्यूट, ग्रेटर नोएडा 18 जनवरी, 2023 को तथा त्रिवेणी कला संगम, नई दिल्ली में 19 जनवरी, 2023 को आयोजित ये दोनों सत्र उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। देश के इस हिस्से में संगीत रचनाकारों के समुदाय के साथ-साथ संगीत के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए तैयार हो रहे छात्रों एवं नवोदित संगीतकारों तक पहुंचने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसके बारे में अपनी राय जाहिर करते हुए, मशहूर गीतकार, पटकथा लेखक, फिल्म निर्माता और IPRS बोर्ड के सदस्य, श्री. मयूर पुरी ने कहा, “IPRS पिछले कई महीनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में 'लर्न एंड अर्न' वर्कशॉप का आयोजन कर रहा है, जिसे हमारे सदस्यों, संगीत बिरादरी से जुड़े लोगों, मीडिया और बड़े पैमाने पर इस इंडस्ट्री की खूब तारीफ मिली है। IPRS इस तरह के जागरूकता अभियान के माध्यम से सरकारी निकायों, व्यावसायिक घरानों और इस क्षेत्र की सभी बड़ी कंपनियों सहित म्यूजिक इंडस्ट्री के सभी भागीदारों को प्रेरित कर रहा है, जिसके जरिए सभी को यह एहसास हुआ है कि देश के उभरते म्यूजिक क्रिएटर्स के लिए इस तरह के प्रयास और पहल बेहद हितकारी एवं फायदेमंद हैं। जल्द ही ऐसा समय आने वाला है, जब हर इंसान एक म्यूजिक क्रिएटर होगा। वर्तमान में भी, लगभग हर इंसान या तो एक क्रिएटर या ब्रॉडकास्टर बन चुका है। दर्शकों और क्रिएटर के बीच की रेखा धीरे-धीरे मिटती जा रही है, और इसी वजह से क्रिएटर्स के लिए अपने अधिकारों को समझना बहुत ज़रूरी हो गया है। हम अपने मौजूदा एवं भावी सदस्यों की भलाई के लिए इन प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए बेहद खुशी हो रही है।”
ग्लोबल म्यूजिक इंस्टीट्यूट में हम कलाकार, शिक्षाविद और शिक्षक की भूमिका निभाते हुए दुनियाभर की म्यूजिक इंडस्ट्री के आगे बढ़ने में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, ताकि हमारा पाठ्यक्रम हमेशा इस इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुरूप बना रहे। हम छात्रों को वह मजबूत बुनियाद देना चाहते हैं जिसके बलबूते पर वे अपनी कलात्मक पहचान को सदैव निखारने में सक्षम बनें, तथा रचनात्मक पेशे को सिर्फ अपने दिल का अरमान नहीं, बल्कि वास्तविकता बना सकें। इस मौके पर अपने विचार साझा करते हुए श्रीमती मेघा बलानी, डायरेक्टर- स्ट्रैटजी एंड डेवलपमेंट, ग्लोबल म्यूजिक इंस्टीट्यूट, ने कहा, "एक संस्थान के रूप में हम छात्रों में यह हौसला जगाना चाहते हैं कि उनमें दुनिया के किसी भी प्लेटफार्म पर अपनी कला के प्रदर्शन की काबिलियत है। हमारे लिए यह जरूरी है कि हम सिर्फ एक होनहार छात्र के तौर पर नहीं, बल्कि क्रिएटिव एंटरप्रेन्योर के रूप में उन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाएँ। ग्रेटर नोएडा के हमारे परिसर में आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हमारा यह संगीत गुरुकुल 'इंस्पायर्ड लर्निंग' के मूल सिद्धांत का पालन करता है, और इसी वजह से हम अपने छात्रों को म्यूजिक इंडस्ट्री के हर पहलू से परिचित कराने की कोशिश करते हैं। IPRS और डॉल्बी इंडिया के साथ हमारी साझेदारी संगीतकारों को कॉपीराइट, लाइसेंसिंग एवं रॉयल्टी के बारे में शिक्षित करने, जानकारी देने और उन्हें सक्षम बनाने में मददगार है। हम मानते हैं कि, आज के दौर के हर कलाकार और रचनाकार के लिए इन विषयों पर चर्चा करना सबसे ज्यादा मायने रखता है। हम 19 जनवरी, 2023 को त्रिवेणी कला संगम, दिल्ली में दोपहर 1:00 बजे से GMI के छात्रों के साथ-साथ सभी म्यूजिक क्रिएटर्स के लिए इस सत्र के आयोजन को लेकर बेहद उत्साहित महसूस कर रहे हैं।”
डॉल्बी एटमॉस म्यूजिक संगीत की रचना करने और अनुभव करने का एक बिल्कुल नया तरीका है, जो कलाकारों और उनके प्रशंसकों के बीच के रिश्ते को और मजबूत बनाते हुए अपनी पूरी क्षमता के साथ उनकी रचनाओं को कलात्मक तरीके से पेश करता है। डॉल्बी में संगीत सुनने का अनुभव सामान्य से परे है, जिसके माध्यम से सुनने वाला उस गीत में पूरी तरह डूब जाता है, और उसे बेजोड़ स्पष्टता एक गहराई के साथ संगीत की बारीकियों का अनुभव प्राप्त होता है। यह कलाकारों को अपनी सोच को साकार करने के लिए अधिक अवसर और पूरी आजादी देता है, जो इसकी मदद से श्रोताओं के लिए अपने संगीत में भावनाओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। चाहे चारों ओर बज रहे वाद्य यंत्रों से निकलने वाले अलग-अलग सुरों को सुनने की बात हो, या फिर गीतों के बीच गायक द्वारा ली जाने वाली हल्की सांस को पकड़ना हो, या फिर दिल को छू लेने वाली धुनों को महसूस करने की बात हो – डॉल्बी एटमॉस से बेहतर कुछ भी नहीं है, जो आपको संगीत के हर स्तर का अनुभव प्रदान करता है।इन सत्रों में इंडस्ट्री के दिग्गज अपने विचारों को साझा करने के लिए मंच पर आएंगे, साथ ही वे स्ट्रीमिंग, पब्लिशिंग तथा लाइसेंसिंग के मौजूदा संदर्भ में रचनाकारों एवं संगीतकारों के मन में उठ रहे सवालों का जवाब भी देंगे।
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