गौतम बुद्ध नगर कुमारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,बादलपुर में प्राचार्य प्रो (डॉ) दिव्या नाथ के निर्देशन में शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के तत्वाधान में दिनांक 23 जनवरी 2023 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती और आजाद हिंद फौज के गठन के बारे में व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डॉ सोनम शर्मा विभागाध्यक्ष शिक्षाशास्त्र विभाग ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं आजाद हिंद फौज के गठन के बारे मे जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुभाष चंद्र बोस मे बचपन से ही देशभक्ति की अनन्य भावना भरी हुई थी। एक संपन्न बंगाली परिवार में उनका जन्म हुआ और उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त कर,भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा भी उत्तीर्ण की। परंतु भारतीय प्रशासनिक सेवा को छोड़कर वह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए वह आंदोलन में कूद पड़े। क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के नाते स्वतंत्र भारत की अस्थाई सरकार बनाई। आजाद हिंद सरकार की आजाद हिंद फौज ने बर्मा की सीमा पर अंग्रेजो के खिलाफ आजादी के लिए जोरदार लड़ाई लड़ी। उन्होंने 'तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा दिया और युवाओं के भीतर बलिदान के भाव को जगाया।आजाद हिंद फौज का 'दिल्ली चलो'का नारा और सलाम 'जय हिंद' सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा स्त्रोत था। आजाद हिंद फौज में महिलाओं ने भी देश की आजादी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पहली बार फौज में नेता जी द्वारा महिला रेजिमेंट का गठन किया गया, जिसकी कमान कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन के हाथों में थी। जिस दिन से भारतीय सैन्य दल यानी आजाद हिंद फौज का निर्माण आरंभ हुआ उसी दिन से इस सैन्य दल के सदस्यों ने उन्हें नेताजी कहकर संबोधित करना शुरू कर दिया और इस प्रकार सुभाष चंद्र बोस जी का नाम नेताजी पड़ा। देश के इतिहास में आजाद हिंद फौज,एक ऐसा नाम है जिसने गुलाम भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अनेक बलिदान दिए । विपरीत स्थितियों में भी नेता जी ने आजादी के संघर्ष को आगे बढ़ाया।नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के वह अमर क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी है,जिन्होंने अपना सर्वस्व देश के लिए निछावर कर दिया।इस अवसर पर प्रो डॉ आशा रानी,प्रो डॉ निधि रायजादा,डॉ जूही बिरला एवं डॉ विजेता गौतम आदि प्राध्यापकगण और छात्राएं उपस्थित रही।
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