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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ, जस्टिस एण्ड गवर्नेस द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन‌।

कर्मवीर आर्य संवाददाता दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर।
ग्रेटर नोएडा,'भारतीय अर्थव्यवस्था और हिन्दी' विषय पर गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ, जस्टिस एण्ड गवर्नेस द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ जस्टिस एण्ड गवर्नेस के कॉन्फ्रेंस रूम में 18 नवम्बर, 2022 प्रातः 11:00 बजे से ‘भारतीय अर्थव्यवस्था और हिंदी' विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ हुई ।
जिसका शुभारंभ मा. अतिथिगण द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित तथा पुष्प अर्पित करके हुआ। बी. ए. एल. एल. बी. की छात्राओं- नंदिनी पाण्डेय (तृतीय वर्ष) व श्रेया सिंह (द्वितीय वर्ष) द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई । 
तत्पश्चात् आदणीय कुलपति महोदय प्रो० रवीन्द्र कुमार सिन्हा ने सभी अतिथियों का स्वागत शॉल और स्मृति चिह्न भेंट कर किया । विधि संकाय के अधिष्ठाता डॉ. के. के. द्विवेदी ने कुलपति महोदय का स्वागत का शॉल व हरित पौधे से किया एवं स्वागत व्यक्तव्य प्रस्तुत किया। कुलपति महोदय प्रो. आर. के. सिन्हा को अध्यक्षीय उद्बोधन के लिए मंच पर आमंत्रित किया गया । उन्होंने अपने उद्बोधन में हिंदी और अर्थव्यवस्था के अटूट संबंध को उजागर किया तथा हमें बताया कि किस प्रकार विश्व में भाषा के माध्यम से कई देश, जैसे चीन, आदि, अपनी अर्थव्यवस्था मज़बूत कर रहें हैं । मा० कुलपति ने संक्षिप्त संवाद करते हुए, कार्यक्रम में पधारे अतिथिओं का विनम्र स्वागत किया तथा उनके वक्तव्यों को सुनने की अभिलाषा जताई ।
तत्पश्चात माननीय संयोजिका डॉ. प्रियंका सिंह ने सभी के समक्ष इस कार्यशाला का विषय प्रवर्तन किया । उन्होंने बताया कि इस विषय पर आयोजित कार्यशाला का उद्देश्य है- हमें हिंदी भाषा व साहित्य के ज्ञान, उपयोग व प्रयोग से अवगत कराना, हिंदी के क्षेत्र में सृजनात्मकता का प्रवेश, हिंदी की व्यवसायिक अथवा आर्थिक उपयोगिता से हमें अवगत कराना तथा हिंदी के महत्व भारतीय अर्थव्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में समझना ।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए, कार्यक्रम की सह-सचिव श्रीमती अनुराधा सिंह ने अतिथि डॉ. मुकेश कुमार मिश्र, जो करमा देवी स्मृति पी.जी. कॉलेज, बस्ती में प्राचार्य के पद पर कार्यरत है, उनको वक्तव्य देने हेतु मंच पर आमंत्रित किया । मा. मुकेश मिश्र जी ने अपने वक्तव्य में हमें विदेश में हिंदी भाषा, साहित्य व संस्कृति की स्थिति, दिशा और दशा से अवगत कराया । उन्होंने बताया कि भारत से भिन्न देशों के 175 विश्वविद्यालयों में हिंदी से संबंधित पाठ्यक्रम चलते हैं। अन्य देशों जैसे मॉरीशिअस, फिजी, श्रीलंका, इंडोनेशिया आदि देशों में हिंदी भाषा व संस्कृति का काफ़ी प्रचार-प्रसार देखने को मिलता है । " हिंदी के इस प्रचार-प्रसार में हिंदी पत्र-पत्रिकाओं का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है ।"
कार्यक्रम की आयोजन सचिव डॉ० अखिलेश कुमारी ने डॉ० गोपेश्वरदत्त पाण्डेय (खेकड़ा, बागपत) को वक्तव्य हेतु मंच पर आमंत्रित किया । डॉ. गोपेश्वर दत्त पाण्डेय ने विषय-उपयुक्त उद्बोधन दिया और हमें भाषा-आधारित अर्थव्यवस्था की संकल्पना व सांस्कृतिक कूटनीति से अवगत कराया । उन्होंने बताया कि कूटनीति के इस दौर में भाषा की विस्तृत पहुँच है । विदेशी निवेश में रोजगार का माध्यम बन सकती है भाषा । हिंदी भाषा का भारतीय अर्थव्यवस्था में अत्यंत महत्व हैं ‌।
इसके पश्चात् संयोजिका डा. प्रियंका सिंह ने डॉ. विनोद द्विवेदी को अपना वक्तव्य प्रदान करने हेतु आमंत्रित किया ।डॉ. विनोद द्विवेदी उ० प्र० सरकार में उपसचिव के पद पर कार्यरत हैं । इन्हें कई पुरस्कारों की प्राप्ति भी हुई है । आदरणीय डॉ. विनोद द्विवेदी ने संक्षिप्त उद्बोधन देते हुए हमें हिंदी भाषा, साहित्य व संस्कृति को सहजता से अपनाने के लिए प्रेरित किया व हिंदी से संबंधित सिनेमा उद्योग का भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान का विश्लेषण किया ।
तत्पश्चात, कार्यक्रम की सह सचिव श्रीमती अनुराधा सिंह ने प्रो० नित्यानंद श्रीवास्तव को भाषण देने हेतु आमंत्रित किया । मा. नित्यानंद जी, दिग्विजय नाथ पी० जी० कॉलेज, गोरखपुर के प्रोफेसर (आचार्य) हैं । उन्होंने अपना वक्तम भारतेंदु हरिश्चंद्र की एक पंक्ति से प्रारंभ किया– "निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति को मूल; बिन निज ज्ञान कैं, मिटे न हिय को सूल ।” उन्होंने वैदिक सभ्यता व भारतीय संस्कृति के महत्व को हमारे समक्ष उजागर किया तथा हमें हिंदी भाषा के माध्यम से हमारी सभ्यता के आयामों पर अनुसंधान व शोध करने को निर्देशित किया ।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए, कार्यक्रम सचिव डॉ. अखिलेश कुमारी ने जय प्रकाश विश्वविद्यालय के प्रो० सिद्धार्थ शंकर को वक्तव्य देने हेतु मंच पर आमंत्रित किया । उन्होंने देश की मज़बूत अर्थव्यवस्था की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डाला तथा भाषा में अर्थव्यवस्था के महत्व का विश्लेषण किया । उन्होंने कहा – "वही भाषा समृद्ध होती है जिसके पीछे आर्थिक संबद्धता होती है ।" आगे उन्होंने बताया कि हिंदी भाषा अर्थव्यवस्था को तब मजबूती प्रदान करेगी जब वह सिर्फ बाजार तक नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था में उत्पादन व वितरण तक की माध्यम बनेगी । प्रो. सिद्धार्थ ने हिंदी का महत्व बताते हुए अपनी वाणी को विराम दिया- “हिंदी मजबूरी की नहीं मज़बूती की भाषा है ।”
इसके पश्चात् स्कूल ऑफ लॉ, जस्टिस एण्ड गवर्नेस की सहायक आचार्या डॉ. ममता शर्मा ने सभी अतिथिगणों, अध्यक्ष महोदय, अधिष्ठाता, आयोजकों, अधिकारियों एवं सभी छात्र-छात्राओं तथा श्रोताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया । राष्ट्रगान के साथ कार्यशाला के प्रथम दिवस कार्यक्रम की समाप्ति हुई । 
कार्यक्रम का संचालन बी.ए.एल.एल.बी द्वितीय वर्ष छात्र-उत्कर्ष सिंह तथा प्रथम वर्ष यात्रा मेधा राय ने किया ।

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