गौतम बुद्ध नगर हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) ने 9 नवंबर, 2022 को पानीपत (हरियाणा) में 'फैसिलिटेटिंग एमएसएमई एक्सपोर्ट्स फ्रॉम हरियाणा' विषयक एक जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया। ईपीसीएच के महानिदेशक श्री राकेश कुमार ने सूचित किया कि इस मौके पर ईपीसीएच के चेयरमैन एवं अध्यक्ष, उत्तरी क्षेत्र - फीओ (एफआईईओ) श्री राज कुमार मल्होत्रा, युवा उद्यमी सोसायटी पानीपत के अध्यक्ष श्री रमन छाबड़ा, प्रशासन समिति ईपीसीएच के वरिष्ठ सदस्य - श्री रवि पासी, श्री डी कुमार, श्री सागर मेहता, श्री प्रिंस मलिक,हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्र कौशल परिषद के अध्यक्ष श्री अरशद मीर, ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर के वर्मा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के पानीपत एफटीडीओ संयुक्त डीजीएफटी श्री राकेश रावत, क्षेत्रीय प्रमुख फीओ श्री मनीष शर्मा, पानीपत के शाखा प्रबंधक ईसीजीसी श्री कुलदीप सिंह, हरियाणा सरकार के संयुक्त निदेशक एमएसएमई, करनाल के श्री प्रदीप ओझा की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस अवसर पर सुश्री मिनी शर्मा, श्री विपुल भारद्वाज के नेतृत्व में इंटरटेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की टीम अपने सहयोगियों और पानीपत के प्रमुख निर्यातकों के साथ उपस्थित रहीं। ईपीसीएच के चेयरमैन एवं अध्यक्ष, उत्तरी क्षेत्र - फीओ (एफआईईओ) श्री राज कुमार मल्होत्रा ने डीजीएफटी, ईसीजीसी, एमएसएमई और पानीपत जैसे विभागों ने केंद्र और राज्य सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारियों और हरियाणा के प्रमुख निर्यातक का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्टैंडर्ड्स एंड कंप्लायंस, हस्तशिल्प निर्यात के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता और विस्तृत निर्यात अवसरों तक पहुंच के प्रमुख कारकों के रूप में उभर रहे हैं। भारतीय हस्तशिल्प निर्यात का लगभग 70 प्रतिशत ऐसे बाजारों में होता है जो कंप्लायंस-जागरूक हैं। इसके साथ ही वैश्विक ब्रांड और खरीदार उन भारतीय निर्यातकों को ऑर्डर देना पसंद करते हैं जो बेहतर काम करने की स्थिति, कार्यस्थल मानकों और पर्यावरण की दृष्टि से सस्टेनेबल (टिकाऊ) उत्पादन का पालन करते हैं।श्री मल्होत्रा ने आगे कहा, निर्यातकों के निर्यात भुगतान को सुरक्षित करने में ईसीजीसी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही यह भारतीय निर्यातकों को आत्मविश्वास के साथ दुनिया भर के बाजारों का पता लगाने उन्हें विस्तार करने का अवसर और विश्वास दिलाता है। उन्होंने आगे कहा कि बैंक को एक्सपोर्ट क्रेडिट रिस्क बीमा कवर में 90% तक की वृद्धि ईसीजीसी द्वारा बहुत अच्छी पहल है और निश्चित रूप से बैंकों से छोटे निर्यातकों को उनके लिए कम ब्याज दरों पर निर्यात ऋण की सुविधा प्रदान करेगा।श्री राकेश कुमार ने बताया कि ईपीसीएच ने हमेशा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मानकों, सुरक्षा और कम्प्लायंस को एक प्रमुख आवश्यकता माना है। इसके साथ ही ईपीसीएच पूरे देश के स्तर पर विशेषज्ञों के माध्यम से इन विषयों पर जागरूकता सेमिनारों की श्रृंखला आयोजित करने में सबसे आगे रहा है। निर्यातकों ने भी सभी प्रमुख खरीदारों द्वारा अपनी विनिर्माण इकाइयों को ऑडिट के लिए तैयार करने की इच्छा जताई है। इसका नतीजा है कि क्रेता और विक्रेता का विश्वास बढ़ा है और भारत से सोर्सिंग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।इंटरटेक इंडिया के तकनीकी विशेषज्ञों - सुश्री मिनी शर्मा और श्री विपुल भारद्वाज ने प्रस्तुति देते हुए कहा, "यह माना जाता है कि वैश्विक बाजार के लिए अनुपालन आवश्यकता का अनुपालन करना निर्माताओं पर एक बोझ बढ़ाती है, लेकिन यह मूल्यवान निवेश वास्तव में ज्यादा बड़े और बेहतर निर्यात प्राप्त करने, कारोबार और लाभ को बढ़ाने में मदद करता है।"
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर के वर्मा ने बताया कि ईपीसीएच और फियो द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित आज के सेमिनार ने पानीपत के निर्यातकों को ईसीजीसी, डीजीएफटी, एमएसएमई, कंप्लायंस, परीक्षण और गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों को हल करने में मदद करेगा जिससे इस विश्व प्रसिद्ध उत्पादन क्लस्टर से निर्यात को और बढ़ावा दिया जा सके। अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार अपने व्यवसायों को कंप्लायंस, निरीक्षण और परीक्षण के लिए तैयार करके, निर्यातक घरेलू, ऑनलाइन और अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति बढ़ाने के लिए अपने वर्तमान व्यवसाय को ऊपरी बढ़त दे सकते हैं।इस मौके पर ईसीजीसी के पानीपत शाखा प्रबंधक श्री कुलदीप सिंह ने ईसीजीसी की योजनाओं और निर्यातकों को उपलब्ध लाभों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। इस मौके पर फीओ के क्षेत्रीय प्रमुख श्री मनीष शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।इस अवसर पर ईपीसीएच के महानिदेशक और आईईएमएल के चेयरमैन डॉ. राकेश कुमार ने सूचित किया कि ईपीसीएच दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारतीय हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने और उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प उत्पादों और सेवाओं के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेशों में भारत की छवि बनाने के लिए जिम्मेदार एक नोडल संस्थान है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान हस्तशिल्प निर्यात 33253.00 करोड़ (4459.76 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा, जिसमें बीते वर्ष की तुलना में रुपये के संदर्भ में 29.49% और डॉलर के संदर्भ में 28.90% की वृद्धि दर्ज हुई है।
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