एनटीपीसी कांड : 28 साल बाद भी नहीं ली सुध अधिकारियों की टालू नीति से लागू नहीं हुई घोषणाएं



मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर
दादरी।एनटीपीसी के किसानों का आंदोलन एक बार फिर चर्चाओं में है। शोर-शराबे एवं अखबारों की सुर्खियां बना एनटीपीसी प्रभावित गांवों के किसानों का आंदोलन सामान स्तर  सभी को मुआवजा, रोजगार , शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ गांवों के विकास की मुख्य मांगों के मुद्दों को इसी वर्ष जनवरी में किसान संगठनों ने प्रमुखता से उठाया था। किसान उत्थान समिति एनटीपीसी ऊंचा अमीरपुर के नेतृत्व में दादरी तहसील में नवंबर 2021 से मार्च तक धरना चला। धरने के दौरान भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखवीर पहलवान ने शिरकत की और किसानों की अगुवाई की दादरी तहसील में चले किसानों के धरना प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखवीर पहलवान उर्फ खलीफा की जुझारू छवि ने आंदोलन को  धार दी है ।दादरी तहसील में पांच माह तक शांतिपूर्ण तरीके से   धरना चला। किसानों की मुख्य मांग सामान स्तर  सभी को मुआवजा, रोजगार शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ गांव का विकास मुख्य मांग रही । भारतीय किसान परिषद इस आंदोलन में पहले ही दिन से शामिल रहा एनटीपीसी और जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा गंभीरता ना दिखाई जाने का परिणाम यह हुआ कि आंदोलन धीरे-धीरे दादरी से चलकर एनटीपीसी के मुख्य द्वार तक पहुंच गया। आज आंदोलन सुर्खियों में है। गत मंगलवार को किसानों ने गेट के बाहर धरना प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन कर किसान वापस घर लौट रहे थे कि इसी दौरान पुलिस प्रशासन ने घर लौटते हुए किसानों पर जबरन लाठी चार्ज कर डाला जिसमें पुलिस और ग्रामीणों के बीच टकराव की स्थिति बन गई करीब दर्जन दर्जन भर से अधिक किसान पुलिसकर्मी द्वारा किए गए लाठीचार्ज का शिकार हो गए।किसानों पर लाठीचार्ज होने पर किसानों का आंदोलन का रुख बदलने लगा है तमाम राजनीतिक दलों के नेता घायल किसानों की हमदर्दी पाने को रसूलपुर की ओर दौड़ते दिख रहे हैं। किसान संगठनों के अलावा राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि प्रतिनिधियों की धीरे-धीरे खून बढ़ने लगी है।किसानों के हितों से सीधे जुड़े इस आंदोलन का एक बार फिर हर कोई इसका श्रेय लेने के लिए किसानों के बीच आने में पीछे नहीं रहना चाहता।

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