गौतम बुद्ध नगर कु.मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बादलपुर में दिनाँक 02 अक्टूबर, 2022 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिवस पर भव्य समारोह आयोजित किया गया।सर्वप्रथम महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर (डॉ.) दिव्या नाथ द्वारा विशाल प्रांगण में समस्त शिक्षकों,छात्राओं एवं एन.सी.सी कैडेट्स की उपस्थिति में ध्वज फहराया गया। राष्ट्रगान के स्वरों के साथ एन.सी.सी कैडेट्स की सलामी ने भारत के राष्ट्रीय नायकों को युवा राष्ट्र का सलाम प्रेषित किया। राष्ट्रीय ध्वज फहराने के उपरांत प्राचार्या डॉ. दिव्या नाथ द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के चित्र के समक्ष माल्यार्पण कर उनको याद किया गया। इसी क्रम में एन.सी.सी व एन. एस.एस की छात्राओं द्वारा महाविद्यालय प्रांगण में वृक्षारोपण अभियान के अंतर्गत वृक्ष रोपित किये गए एवं श्रमदान कर स्वच्छता अभियान के प्रति जागरूक किया गया। सभागार में चले आयोजन में सर्वप्रथम समारोहक डॉ.श्वेता सिंह द्वारा कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की गई, जहाँ उनके द्वारा महात्मा गांधी के दार्शनिक विचारों की वर्तमान प्रासंगिकता तार्किक आधारों पर स्पष्ट की गई। डॉ.नीलम शर्मा द्वारा महात्मा गांधी के जीवनदर्शन पर रामचरितमानस के प्रभाव को व्यक्त करते हुए मानस की चौपाइयों का पाठ किया गया। महात्मा गांधी कहते थे कि परिवार,समाज और राष्ट्र की समस्त समस्याओं को दूर करने की प्रेरणा उन्हें रामचरितमानस के शब्दों से मिलती है।
उनके उपरान्त प्रो.डॉ दीप्ति वाजपेयी ने गीता के श्लोकों के माध्यम से गीता में लिखे भगवत भाव से सभी को अवगत कराया। उन्होंने गीता में वर्णित संदर्भों को महात्मा गांधी के जीवन दर्शन से सम्बद्ध करते हुए कहा कि कैसे भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद् भगवत गीता में अर्जुन को जीवन जीने की कला सिखाई तथा बताया कि व्यक्ति को मोह, ममता और हिंसा त्याग कर निष्काम भाव से सत्य और असत्य का निर्णय करना चाहिए।
डॉ. जूही बिरला ने बाइबिल में ईसा मसीह के उपदेशों को पढ़कर सभागार में उपस्थित प्रत्येक मानस के मन को प्रकाशित कर दिया। उन्होंने बताया कि बाइबल मात्र धर्म ग्रंथ नहीं है बल्कि मानव जीवन का सरल सूत्र भी है।बी.वॉक. विभाग के प्रवक्ता डॉ. आज़ाद आलम सिद्दीकी ने कुरान की आयतों के माध्यम से इस्लाम धर्म में समाहित अहिंसा एवं शांति की मूल भावना से सभी को अवगत कराया।
डॉ. मणि अरोड़ा ने सिखों के आदिग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के शब्दों को गुरुवाणी के रूप में प्रस्तुत किया । उन्होंने बताया कि गुरु ग्रंथ साहिब में उल्लेखित दार्शनिकता कर्मवाद को मान्यता देती है। गुरुवाणी के अनुसार व्यक्ति अपने कर्मो के अनुसार ही महत्व पाता है। अतः उस सनातन सत्य को अपने आन्तरिक हृदय में ही खोजने व अनुभव करने की आवश्यकता है। संगीत विभाग प्रभारी डॉ. बबली अरुण के निर्देशन में सभी शिक्षकों व छात्राओं ने महात्मा गांधी के भजन गाकर साबरमती आश्रम के शान्त एवं संगीतमय आनन्द को पुनः साकार कर दिया।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर (डॉ.) दिव्या नाथ ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी गांधी जी और शास्त्री जी के विचार पूर्ण रूप से प्रासंगिक हैं। उन्होंने गांधी जी के कथन लर्निंग फॉर अर्निंग एवं अर्निंग फॉर लर्निंग को वर्तमान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जोड़ते हुए पूर्ण प्रासंगिक बताया।उन्होंने कहा कि गांधी दर्शन के अनुसार रामराज्य की परिकल्पना शांति और परस्पर स्नेह पर आधारित ऐसे राज्य की है जहाँ गरीबों,शोषितों एवं वंचितों की संपूर्ण रक्षा हो। प्राचार्या ने कहा कि छात्राओं को स्मरण रहे कि रामराज्य को अपने वास्तविक रूप में स्थापित करने के लिए हम सभी को अपने नियमित आचरण में सत्य,अहिंसा, मर्यादा,वीरता,क्षमा, धैर्य आदि गुणों को समाहित करना ही होगा। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन समरोहिका डॉ. श्वेता द्वारा किया गया। आयोजन के अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षकों,एन.सी.सी कैडेट्स व एन.एस.एस छात्राओं की उपस्थिति एवं सहयोग सराहनीय रहा।
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