-->

दीपावली के अगले ही दिन लगने जा रहा है साल का दूसरा सूर्य ग्रहण


मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर
25 अक्टूबर का खंड सूर्य ग्रहण लगेगा। जिसका असर भारत में भी देखने को मिलेगा। सूर्य ग्रहण शाम 4:40 बजे से 5:24 बजे तक रहेगा। इससे 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाएगा। इस सूर्य ग्रहण का स्पर्श भारत में दिन के 11.28 बजे हो जाएगा और करीब 07:05 घंटा बाद शाम 5.24 बजे मोक्ष होगा। वही ग्रहण का सूतक 12 घंटा पूर्व यानि 24 अक्टुबर की रात 11:28 बजे से ही लग जाएगा। इसलिए दीपावली की अगली सुबह ग्रहण के सूतक काल में होगी।

धर्मग्रंथों के अनुसार, सूतक के दौरान मूर्ति पूजा निषेध है। यही नहीं इस दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रखे जाते हैं। इसके अलावा मंदिरों में ग्रहण के बाद साफ-सफाई होने के बाद ही पूजा आरंभ होती है। 

साल का यह अंतिम सूर्य ग्रहण  यूरोप, नॉर्थ ईस्ट अफ्रीका और वेस्ट एशिया में दिखेगा. भारत की बात करें तो साल के इस अंतिम सूर्य ग्रहण को नई दिल्ली, बेंगलुरू, कोलकाता, चेन्नई, उज्जैन, वराणसी  और मथुरा में दिखाई देगा. जबकि, मेघालय के दाईं और असम राज्य के गुवाहाटी के आसपास के बाएं हिस्सों में ये सूर्य ग्रहण नजर नहीं आएगा. 

ज्‍योतिषीय और धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार, ग्रहण काल में प्रेगनेंट महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। क्योंकि इस समय ग्रहण की किरणें हानिकारक होती है, जिसका सीधा असर शिशु पर पड़ सकता है, और ये शिशु के लिए नुकसानदेह मानी जाती है।  

आपको बता दें, ग्रहण का सूतक काल लगने से पहले ही पीने के पानी में तुलसी के पत्ते डाल देने चाहिए। इस पानी को आप ग्रहण के बाद या ग्रहण के दौरान पी सकते हैं। क्योंकि तुलसी के पत्तों के कारण पानी दुषित नहीं हो पाता है। वैसे तो ग्रहण के दौरान पानी पीने से बचना चाहिए लेकिन अगर पीना ही पड़े तो तुलसी के पत्ते डालकर रखा हुआ पानी ही पिएं या फिर इस बीच नारियल पानी पिया जा सकता है।

ग्रहण काल को साधना का काल माना जाता है। इस दौरान अपने ईष्ट देवता की मानसिक साधना करनी चाहिए। गर्भवती महिलाएं इस दौरान गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, सूर्य मंत्र, विष्णु मंत्र या फिर सुंदरकांड का पाठ ज़रूर करें। ये बहुत ही लाभदायक माना जाता है। इसके अलावा आपको बता दें, ग्रहण काल में बिना देव मूर्ति स्पर्श किए जप करना चाहिए।

आपकी जानकारी के लिए बता दें जो गर्भवती महिलाएं है वो ग्रहण के दौरान घर में कहीं भी ताला न लगाकर रखें। इससे शिशु के अंगों पर असर पड़ता है।
ग्रहण के दैरान भोजन करना भी वर्जित माना जाता है लेकिन घर में किसी को बहुत भूख लगी हो तो ईश्वर को प्रणाम कर सेवन कर सकते हैं लेकिन ध्यान रखें भोजन में तुलसी या फिर कुश डला हो।

ग्रहण के दौरान सोने की भी मनाही होती है लेकिन बिमारी और प्रेग्नेंसी के दौरान यदि जागना संभव न हो तो ईश्वर का ध्यान कर आप सो सकती हैं।

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं चाकू, कैंची और सुई का प्रयोग न करें। तो वहीं इस दौरान ग्रहण के दौरान पति-पत्‍नी को नहीं मिलना चाहिए।

आपको बता दें, प्रेगनेंट महिलाओं और आम लोगों को भी नंगी आंखों से ग्रहण को देखने के लिए मना किया जाता है। माना जाता है कि नंगी आंखों से ग्रहण को देखने पर आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है।

ग्रहण के समाप्त होते ही दुष्प्रभाव से बचने के लिए प्रेगनेंट महिलाओं को स्नान करना चाहिए।
ग्रहण समाप्ति के बाद यथाशक्ति दान गरीबों को करना चाहिए जिससे कि ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है। 🌺🙏🌺
प्रेषक/लेखक 
शुभाकांक्षी 
श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर 
आचार्य अशोकानन्द जी महाराज 
       योगीराज (सूर्यवंशी) 
अंतर्राष्ट्रीय सूर्यवंशी अखाड़ा       पुर्तगाल (यूरोपियन कंट्री)
                  एवम्
     संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष 
               पीठाधीश्वर
श्री मोहन मंदिर दिव्य योग मन्दिर 
बिसरख धाम-रावण जन्म स्थली
          राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
       हिन्दू रक्षा सेना (भारत)
             🕉️🔱🚩🕉️

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ