मुख्यमंत्री योगी ने नोएडा आने का भले ही तोड़ा हो मिथक लेकिन गोतम बुद्ध नगर के ग्रामीण क्षेत्र के हिस्से नहीं आई कोई खास सौगात।
दादरी। कर्मवीर नागर पूर्व प्रमुख ने बताया कि जनपद गौतमबुद्ध नगर के गठन के बाद बसपा और सपा शासनकाल में जनपद गौतम बुद्ध नगर आगमन से कुर्सी खो जाने जैसी भ्रातियों के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री नोएडा आगमन से हिचकते रहे लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मिथक को एक बार नहीं बल्कि दर्जनों बार तोड़ा है। लेकिन जनपद गौतम बुद्ध नगर आने का मिथक तोड़ने से ग्रामीण क्षेत्र को विकास की कोई खास सौगात अभी तक नहीं मिल पाई है। इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री को दोष देना तो उचित नहीं होगा क्योंकि क्षेत्र की समस्याओं और मुद्दों को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने का काम जनप्रतिनिधियों का होता है। लेकिन कारण भले ही कुछ भी रहा हो आम जनता विकास से अभी कोसों दूर है जो विकास जनपद गौतम बुद्ध नगर में होना चाहिए था।
माननीय मुख्यमंत्री का यह प्रथम दौरा नहीं बल्कि पहले भी जनपद गौतम बुद्ध नगर कई बार पधार चुके हैं। पहले भी कई सौगात मुख्यमंत्री ने दी हैं लेकिन विकास की ये सौगात अधिकतर शहरी क्षेत्र तक ही सीमित रहीं । ग्रामीण क्षेत्रों को तो अब तक की सभी सरकारें रोजगार विहीन करने के लिए भूमि अधिग्रहण करने की ही सौगात देती रही हैं। जिसके मुआवजे, बैकलीज और अर्जित भूमि की एवज में आवंटित होने वाले भूखंडों के लिए काश्तकारों को वर्षों तक भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे प्राधिकरणों के चक्कर काटने पड़ते हैं।
विधानसभा चुनाव से पूर्व विगत वर्ष जब प्रदेश के मुख्यमंत्री दादरी आए थे तो उस वक्त देहात क्षेत्र के लोगों को मुख्यमंत्री द्वारा विकास की सौगात देने की एक उम्मीद जगी थी क्योंकि उसी मौके पर पिलखुवा आदि क्षेत्रों को मुख्यमंत्री महोदय ने विकास की भारी सौगात दी थीं। लेकिन मुख्यमंत्री का व दादरी दौरा पूरी तरह मिहिर भोज प्रकरण की भेंट चढ़ गया और मुख्यमंत्री से मिलने वाली सौगातों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। इतना ही नहीं इस मौके पर जनपद गौतम बुद्ध नगर के ग्रामीण भाईचारे को भारी नुकसान हुआ क्योंकि आपस में भाईचारा रखने वाली दो जातियों के बीच राजा मिहिर भोज प्रकरण को लेकर अच्छी खासी दूरियां बढ़ गईं थीं।
माननीय मुख्यमंत्री के जनपद गौतमबुद्ध नगर आगमन पर मैं मीडिया के सम्मानित लोगों से अनुरोध करता हूं कि जनपद गौतम बुद्ध नगर और खास तौर पर दादरी विधानसभा क्षेत्र के लोगों की अति ज्वलंत समस्याओं और मुद्दों को माननीय मुख्यमंत्री तक पहुंचा कर सौगातों से अछूते ग्रामीणों को भी सौगात दिलाने में अहम भूमिका निभाने का काम करें। अगर स्थानीय जनप्रतिनिधि और सत्ता से जुड़े पदाधिकारी इन समस्याओं को माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष रख सकेंगे तो शायद ग्रामीण क्षेत्र का भला होना भी संभव हो सकेगा। माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष रखने लायक जनपद गौतम बुद्ध नगर के ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर नजर डालें तो इनमें प्रथम मुद्दा पुश्तैनी और गैर पुश्तैनी काश्तकारों की जांच के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट आज तक उजागर नहीं की गई है। जिससे किसानों के बहुत सही काम रुक गए हैं।
द्वितीय, किसानों को अपनी भूमि की बैकलीज और अर्जित भूमि की एवज में मिलने वाले 4%,6%, 8% और 10% परसेंट भूखंड आवंटित कराने के लिए प्राधिकरण के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। लेकिन बगैर सुविधा शुल्क कोई कार्य नहीं हो रहा है। जब जनप्रतिनिधियों के सामने इस समस्या को उठाया जाता है तो वह भी लाचार नजर आते हैं।
तृतीय, छपरौला के आधे अधूरे रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण को पूर्ण कराने और सादुल्लापुर मारीपत रेलवे स्टेशन के पास एक और रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण की अनुमति प्रदान करना एवं निर्माण हेतु धनराशि स्वीकृत करना। यह भी बताना अनिवार्य होगा कि दोनो ओवरब्रिज का एस्टीमेट बनकर शासन को जा चुका है। लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग की प्राथमिकता सूची में न होने के कारण निर्माण हेतु फंड्स आबंटित नहीं किए गए हैं
चौथे, स्थानीय उद्योगों में जनपद गौतम बुद्ध नगर के युवा बेरोजगारों को रोजगार दिलाने हेतु सख्त सरकारी आदेश जारी किया जाना चाहिए।
पंचम, निजी स्कूलों और विद्यालयों में आरटीई के तहत प्रवेश दिलाने के लिए सख्त आदेश पारित किए जाएं। क्योंकि नामचीन स्कूल आरटीई के आदेशों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं। यहां तक की नामचीन स्कूल ग्रामीणों के बच्चों को एडमिशन देना तो दूर रहा, ग्रामीण परिवेश के लोगों को स्कूल में प्रवेश तक नहीं करने देते।छंठवें, जिन 288 गांवों को औद्योगिक नगरीय क्षेत्र घोषित कर पंचायत राज प्रणाली को समाप्त किया गया है उन गांवों के समुचित विकास हेतु प्राधिकरणों द्वारा वार्षिक योजना का प्रारूप तैयार करके विकास कार्य कराए जाने चाहिए। अथवा इन गांवों के लिए नगर निगम का गठन किया जाना चाहिए। आपको बताना चाहूंगा कि पिछले कई वर्षों से प्रायः देखा गया है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में ग्रामीण विकास के कार्यों के लिए जितनी धनराशि का प्रावधान किया जाता है उसकी आधी धनराशि भी विकास कार्यों पर खर्च नहीं हो पाती है।
सप्तम, कालोनाइजर्स द्वारा बसाई जा रही अवैध कालोनियों पर पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए या फिर कॉलोनी विकसित करने के नियमानुसार चोडे रास्ते छोड़े जाएं।
अष्टम, प्रायः देखा जा रहा है कि सरकारी भूमि से कब्जा हटाने का ढोल ज्यादा पीटा जा रहा है और काम कम किया जा रहा है। नई सरकार के 6 माह बीत जाने के बाद भी गौतम बुद्ध नगर में न तो पूरी तरह से अवैध कब्जे हट पाए हैं और नाही अवैध निर्माण रुक पाया है। अब भी सरकारी भूमि और तालाबों पर अवैध कब्जे बरकरार हैं। यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अवैध निर्माण कराने के मामले में नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अव्वल हैं। इन दोनों प्राधिकरण में सुविधा शुल्क देने के बाद अधिकारी अवैध निर्माण की तरफ आंख उठाकर देखना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। नौवें, सरकार के सख्त आदेशों के बाद भी सड़कों के गड्ढों को नहीं भरा गया है। उदाहरण के तौर पर ग्रेटर नोएडा के पतवाडी गांव के बीच से गुजरने वाली पीडब्ल्यूडी की सड़क के गड्ढों को देखा जा सकता है यही नहीं बल्कि ऐसे अनेकों उदाहरण हैं। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री महोदय को विधायक निधि और सांसद निधि की भी प्रॉपर समीक्षा करनी चाहिए ताकि जानकारी लग सके कि यह सरकारी निधि जरूरी विकास कार्यों में लगाई जा रही है या फिर दुरुपयोग कर बंदरबांट की जा रही है। क्योंकि इस निधि के दुरुपयोग की खबरें आमतौर पर मिलती रहती हैं। कई जगह यह निधि अवैध रूप से विकसित की जा रही कालोनियों को बसाने हेतु सड़क बनाने में व्यय करने की खबरें मिलती रहती हैं। सरकारी निधि के विषय में अगर अधिकारियों से रिपोर्ट ली गई तो लीपापोती होना संभव है। इसलिए विधायक निधि और सांसद निधि से जिन कार्यों को कराने के प्रस्ताव दिए जाएं पहले वह विज्ञापन के जरिए जनता के समक्ष रखे जाने चाहिए। ताकि आम जनता भी यह जान सके कि सरकारी निधि का दुरुपयोग तो नहीं किया जा रहा है।
11वें, वेवसिटी के किसानों को भूमि अधिग्रहण की एवज में मुआवजा वृद्धि और 10% विकसित भूखंड आवंटित करने हेतु आदेश पारित किए जाएं। ताकि भविष्य में वेवसिटी के ग्रामीण भी रेन बसेरा बना सकें।
बारहवें, माननीय मुख्यमंत्री महोदय को सीएसआर फंड के दुरुपयोग पर पाबंदी लगाने के लिए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि सीएसआर फंड के दायरे में आने वाली संस्थाओं/ कंपनियों ने अपने ट्रस्ट और फाउंडेशन बना लिए हैं जिनके जरिए भारी गोलमाल किया जा रहा है।
12वें, दादरी स्थित डिग्री कॉलेज को विश्वविद्यालय में तब्दील करने की घोषणा की जाए। इसके अतिरिक्त शहरी क्षेत्र की हाउसिंग सोसाइटीज में आशियाना बुक कराने वाले बायर्स को समय पर आशियाना उपलब्ध कराने हेतु सख्त आदेश पारित किए जाएं और बिल्डर्स द्वारा बायर्स पर लगाए जाने वाले अनाप-शनाप चार्जर्स को समाप्त कराया जाए।
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