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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जोड़ने वाले 56 गांवों के लोग विकास कार्य के लिए तरस रहे हैं !



मनोज तोमर ब्यूरो चीफ दैनिक फ्यूचर लाइन टाईम्स गौतम बुद्ध नगर
गौतम बुद्ध नगर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सेक्टर के अलावा हाइटेक सिटी कहने वाले  56 गांव भी ग्रेटर नोएडा के अंतर्गत ही आते हैं।जिनका मॉडल तैयार कर आप सारी दुनिया में ढिंढोरा पीटते हो ग्रेटर नोएडा इंदौर पेरिस से भी बेहतर है।जब से तीनों प्राधिकरण आए हैं  कभी ग्रेटर नोएडा सीईओ या उच्च अधिकारी गणों ने आकर हाइटेक सिटी कहे जाने वाले ग्रेटर नोएडा मैं बस रहे गांवो की तरफ भी ध्यान दिया है या सिर्फ कागजों में मॉडल तैयार कर पूरे देश में और सारी दुनिया में वाह-वाह लेने का खाका पीटा गया है।ग्रेटर नोएडा सीईओ चेयरमैन रितु महेश्वरी  आप कभी ऐसी ऑफिस और ऐसी गाड़ी से बाहर निकल कर  गांव नवादा,   पीपलका ,दाऊदपर  ,इमलिया, दादूपुर ,बरसात ,अमरपुर ,राजपुर , हतेवा ,कनारसी, बरसात ,दलेलगढ़ ,रामपुर ,नियाना, जॉनीपुरा, पतला खेड़ा, सलेमपुर आदि अन्य गांवों में आकर एक मुख्य दौरा कर कर बार बार देखें।आपको समझ आ जाएगा आपके मॉडल द्वारा तैयार प्राधिकरण की बिल्डिंग से एक दुनिया सेक्टरों के अलावा भोले भाले लोगों की दूसरी दुनिया गांवों में भी बसती है जिनका दुर्भाग्य है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जोड़ना जुड़ना और गांवों को नर्क से बेहतर जीने पर मजबूर करना जब से चौमुखी अजगर विकास प्राधिकरण आया है और गांव की प्रधानी जिला पंचायत खत्म किए जाने पर आप गांव के रास्तों को अगर देखेंगे तो गड्ढे नहीं गड्ढों में भी गड्ढा हो गए हैं। गांव के धार्मिक स्थल ,  चौपाल, गंदगी से भरे तालाब, शमशान लॉक टाइल द्वारा सुंदरीकरण, गरीब मजदूर के लिए राशन कार्ड वृद्धा और विधवा पेंशन भूमिहीन लोगों के लिए पक्के मकान व घर घर टॉयलेट होनी चाहिए।गांवों के बीचों बीच से गुजर रही नहर माइनर नाली और गांव की नालियों का बहुत बुरा से भी बुरा हाल है गांव में सालों साल 12 महीने मच्छरों का प्रकोप और गांवो में गंदगी के कारण संक्रमण जैसी बीमारी से संक्रमित होना। रितु माहेश्वरी  आपसे हमें उम्मीद , आशा के साथ भरोसा भी था  कि आप गांवों की  तस्वीर बदलने की तरफ आप अपना ध्यान और मन बनाएंगी किंतु  गांवों को निराशा और ठगा ठगा सा लग रहा है।अध्यक्ष संजय नवादा प्राणवायु फाउंडेशन व पर्यावरण संरक्षण समिति।

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