गौतमबुद्ध नगर : कमेटी अध्यक्ष पवन बंसल ने बताया कि वृंदावन के कलकार रामलीला का मंचन कर रहे हैं। रामलीला का शुभारम्भ गणेश वन्दना के साथ हुआ।इसी के साथ इंद्र के दरबार का मंचन किया गया। तत्पश्चात कलाकारों द्वारा नारद मोह का भावपूर्ण मंचन किया गया, जिसमें विश्मोहिनी के स्वयंवर के बारे में चर्चा की जाती है। विश्वमोहिनी का हाथ देखकर नारद जी तीनों लोक का स्वामी बनने के लिए भगवान विष्णु से उनका रूप मांगने पहुंचते हैं, भगवान नारद जी को अपना रूप देने के बजाय बंदर का रुप दे देते हैं। शीलनिधि के दरबार में नारद जी की हंसी होती है तो गुस्से में आकर नारद जी भगवान विष्णु को श्राप देते हैं कि जैसे मैं स्त्री के लिए तड़प रहा हूं अगले जन्म में आप भी स्त्री के लिए दर-दर भटकेंगे। वहीं ऋषिमुनि पर रावण के अत्याचार को दिखाया गया। इसके बाद पुत्रेष्टि यज्ञ , विष्णु कौशल्या संवाद, श्री राम जन्म पर अयोध्या में उत्सव, जनक जी द्वारा हल चलाने और सीता जन्म , तड़का वह सुबाहु वध अहिल्या उद्धार जनकपुरी भ्रमण , गौरी पूजन के साथ मंचन का समापन हुआ। महाराज दशरथ जी अपने दरबार मे बैठ कर विचार करते हैं ‘‘ एक बार भूपति मन माहीं । भै गलानि मोरे सुत नाहीं’’ ऐसा विचार करके दशरथ जी गुरूवशिष्ठ के पास जाते हैं।गुरूवशिष्ठ जी राजा दशरथ कोआश्वस्त करते हैं कि ‘‘ धरहु धीर होइ हहिं सुत चारी।त्रिभुवन विदित भगत भयहारी’’ ऐसा कहकर वशिष्ठ जी श्रृंगी ऋषि को बुलाते हैं और पुत्रेष्ठि यज्ञ कराते हैं।यज्ञ सेअग्निदेव प्रकट होकर चारू फल तीनों रानियों को देते हैं।कुछ समय उपरांत भगवान राम सहित चारों भाईयों का जन्म होता है‘‘नौमी तिथिम धुमास पुनीता।सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता’’। राम जन्म सुनकर पूरे अयोध्या में खुशी की लहर दौड़ जाती है और दशरथ के दरबार में मंगल गीत गाये जाते हैं‘‘ बाल स्वरूप भगवान राम से मिलने शंकर जी योगी का भेष बनाकर आते हैंऔर इसके बाद चारों भाइयों का नाम करण गुरू वशिष्ठ द्वारा किया जाता है।चारों भाइयों की शिक्षा दीक्षा होती है।
अगले दृश्य में विश्वामित्र का राजा दशरथ के दरबार मे आगमन होता है और वह अपने यज्ञ की रक्षा के लिए राम लक्ष्मण को साथ ले जाने के लिए कहते हैं।दशरथ जी बोले हे मुनि‘‘ सबसुत मोहि प्रान की नाईं।राम देत नहिं बनइ गोसाईं’’।इसके बाद वशिष्ठ जी के समझाने पर दशरथ जी राम लक्ष्मण को विश्वा मित्र के साथ भेज देते हैं।रास्ते में जाते समय विश्वामित्र भगवान राम को राक्षसी ताड़का को दिखाते हैं। ताड़का क्रोध कर के विश्वामित्र व राम लक्ष्मण के ऊपर आक्रमण करती है भगवान राम ने धनुष उठाकर‘‘ एकहि बान प्रान हर लीन्हा । दीन जानिते हिनि जपददीन्हा’’। ताड़का का वध कर देते हैं और अपने परम धाम पहुंचा देते है। विश्वामित्र जब यज्ञ करने लगते हैं तब मारिच अपने साथियों के साथ यज्ञ पर धावा बोलता है । भगवान राम उसको एक बाण से सौ योजन पार पहुंचा देते हैं । इसके बाद राक्षस सुबाहु का भी वध कर देते हैं । देवता व ऋषि मुनि भगवान की स्तुति करते हैं । इस मौके पर लव कुश धार्मिक रामलीला कमेटी (रजि) दादरी अध्यक्ष पवन बंसल,मनोज गोयल, केशव गोयल, विजय बंसल सहित कमेटी के पदाधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
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