ग्रेटर नोएडा। शारदा शारदा विश्वविद्यालय के धनवंतरी सभागार में कल शुक्रवार को कृष्णाबाबू नायक द्वारा मूल तेलुगु में लिखित और हिंदी में अलंकार शर्मा द्वारा अनुवादित पुस्तक "जय भीम वंदे मात्रम्" का विमोचन किया गया।
मूल लेखक कृष्णाबाबू द्वारा पुस्तक के बारे में बताया गया कि समाज में किस प्रकार देश और समाज को तोड़ने वाली शक्तियां छद्म एजेंडा और विभ्रम फैलाती हैं और किस प्रकार वे दलित और पिछड़ी जातियों जनजातियों वनवासियों आदि को भारत से और उनके मूल धर्म से दूर कर रही हैं । भारत के बाहर से होने वाले प्रायोजित दुष्प्रचार और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अनुदान किस प्रकार पिछड़ी जातियों को षडयंत्र पूर्वक अपने जाल में फंसाते हैं और सामाजिक एकता और समरसता को हानि पहुंचाते हैं वह इस पुस्तक की मुख्य विषय वस्तु है। कार्यक्रम में वक्ता डॉ. बी. आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. आनंदवर्धन ने बताया कि भारतीय शासन में किस प्रकार आज दलित कहीं जाने वाली जातियों के पास भी पर्याप्त धन बल और सामाजिक शक्ति थी उन्होंने बताया कि बाहर से आए आक्रमणकारियों ने भारत में इस प्रकार का भ्रम फैलाया जिससे समाज टूटे और उनको शासन करने में सरलता हो। पुस्तक के अनुवादक अलंकार शर्मा जो आईटी इंजीनियर और संस्कृत के विद्वान हैं, यह बताया कि समाज में कई प्रकार के भलाई गए हैं जो शास्त्रों पुराणों महाभारत इत्यादि के बारे में भ्रमपूर्ण बातें प्रचार करते हैं जिनका वास्तविकता से दूर दूर तक संबंध नहीं है और संस्कृत और संस्कृति के अध्ययन के माध्यम से ही इस दुष्प्रचार को रोका सकता है ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. राकेश चौधरी ने पुस्तक का समीक्षात्मक विषय रखते हुए इस पुस्तक को आज के समय में समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए समरसता के लिए आवश्यक और विदेशी षड्यंत्रों को समझने के लिए महत्वपूर्ण बताया । उन्होंने कृष्णाबाबू के लेखन और अलंकार शर्मा के इस पुस्तक के हिंदी अनुवाद के लिए भूरी भूरी प्रशंसा की ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री श्री कोटेश्वर शर्मा जी ने की और अपने अध्यक्षीय भाषण में आशीर्वाद देते हुए अंग्रेजों के फूट डालो और राज करो के षड्यंत्र स्वरूप समाज में वर्गों के बीच वैमनस्यता के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया । कार्यक्रम का प्रभावी संचालन राजकुमार आर्य ने किया एवं कार्यक्रम का प्रारंभ पाणिनी गुरुकुल ग्रेटर नोएडा के बटुकों के मंगलाचरण और अतिथियों के दीप प्रज्ज्वलन से हुआ ।
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